क्या आप जानते हैं कि भारतीय किसानों के लिए नई उम्मीद की किरण क्या है? क्या आपको पता है कि ‘किसान न्याय’ के वादे किस प्रकार से उनके जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं? आइए, इस विशेष कार्यक्रम में हम गहराई से जानें कि कांग्रेस के ये पांच वादे किसानों के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-rahul gandhi-Farmer Justice
कांग्रेस नेता rahul gandhi ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के लिए पार्टी के ‘किसान न्याय’ गारंटी के तहत पांच बड़े वादे किए हैं। यह घोषणा उस समय हुई है जब किसान अपनी कई मांगों को मानने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं।-rahul gandhi-Farmer Justice
कांग्रेस के किसानों के लिए पांच बड़े चुनावी वादे इस प्रकार हैं:
1. MSP को कानूनी दर्जा देने की गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार।
2. किसानों के कर्ज माफी के लिए एक स्थायी कृषि ऋण माफी आयोग बनाने की गारंटी।
3. फसल बीमा योजना में बदलाव करके, फसल क्षति के मामले में 30 दिनों के भीतर किसानों के बैंक खाते में सीधे भुगतान सुनिश्चित करने की गारंटी।
4. किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए नई आयात-निर्यात नीति बनाने की गारंटी।
5. कृषि वस्तुओं से GST हटाकर किसानों को GST-मुक्त बनाने की गारंटी।
rahul gandhi ने अपने संदेश में लिखा, “देश के सभी अन्नदाताओं को मेरा नमस्कार! कांग्रेस आपके लिए पांच ऐसी गारंटी लाई है जो आपकी समस्याओं को जड़ से मिटा देगी…कांग्रेस का उद्देश्य देश की मिट्टी को अपने पसीने से सींचने वाले किसानों का जीवन सुखमय बनाना है और ये पांच ऐतिहासिक निर्णय उस दिशा में उठाए गए कदम हैं।”
इस वर्ष 13 फरवरी को ‘दिल्ली चलो’ मार्च के साथ शुरू हुए 200 से अधिक किसान संघों के विरोध ने केंद्र सरकार पर अपनी मांगों को मानने के लिए दबाव बनाया है। किसान संगठनों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाला कानून बनाया जाए – यह शर्त उन्होंने 2021 में तब रखी थी जब उन्होंने अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन वापस लेने के लिए सहमति जताई थी। वे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, और कृषि ऋण माफी की भी मांग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के साथ वार्ता के बाद कुछ दिनों के लिए आंदोलन को रोकने के बाद, किसानों ने 10 मार्च को एक राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें देश भर के विभिन्न राज्यों में रेल मार्गों को अवरुद्ध कर दिया गया। इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार का ध्यान उनकी मांगों की ओर आकर्षित करना था। इस घटना ने रेल यातायात में बड़ी बाधाएं पैदा कीं, और इसके परिणामस्वरूप कई ट्रेनें रद्द या देरी से चलीं।
इस विरोध प्रदर्शन के बाद, सरकार और किसान संगठनों के बीच वार्ता के नए दौर शुरू हुए। इन वार्ताओं में किसानों की मुख्य मांगों पर चर्चा की गई, और सरकार ने कुछ मांगों को मानने का आश्वासन दिया। हालांकि, किसान संगठनों ने स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे भविष्य में और भी बड़े पैमाने पर विरोध करेंगे।
इस विरोध प्रदर्शन ने देश में कृषि सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय है कि सरकार और किसान संगठन एक साथ बैठकर एक समग्र और स्थायी समाधान पर काम करें, जो न केवल किसानों के हितों की रक्षा करे, बल्कि देश की कृषि प्रणाली को भी मजबूत करे। इसके लिए नीति निर्माण में नवाचार और तकनीकी प्रगति को शामिल करना होगा, ताकि भारतीय कृषि अधिक समृद्ध और टिकाऊ बन सके।
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