कांग्रेस की राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी राधिका खैरा ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ पार्टी इकाई पर असम्मान का आरोप लगाया था, और पार्टी के भीतर “पुरुष प्रधान मानसिकता” से पीड़ित लोगों को उजागर करने का संकल्प लिया था। ये एक स्वाभाविक सी घटना है जबसे लोकसभा चुनाव का आगाज हुआ है तबसे तमाम विपक्षी नेता अपनी पार्टिया छोड़ रहे है। लेकिन ये भी जानना जरुरी है कि राधिका खैरा ने कांग्रेस से इस्तीफा क्यों दिया? खैरा ने किन लोगों पर “पुरुष प्रधान मानसिकता” का आरोप लगाया है? और क्या खैरा का इस्तीफा कांग्रेस पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा?-Radhika Khera news update
आइये इस मुद्दे को गहराई से जाने।
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
कांग्रेस से इस्तीफा देने पर खैरा ने कहा कि उन्होंने राम मंदिर में दर्शन करने के कारण पार्टी से ‘न्याय’ की गुहार लगाई थी, लेकिन उन्हें इंकार कर दिया गया। “मैंने कभी पार्टी लाइन को पार नहीं किया, मैंने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम किया है…बस इसलिए कि मैं अयोध्या गई, बस इसलिए कि मैं एक हिंदू हूं, मैं सनातन धर्म की अनुयायी हूं, मुझे न्याय नहीं दिया गया। क्या कांग्रेस कि लड़ाई राम लल्ला से है या किसी राजनीतिक दल से है? इस पार्टी को फैसला लेना होगा…मैंने 6 दिन इंतजार किया और न्याय की गुहार लगाई लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसलिए 22 साल बाद, मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।”-Radhika Khera news update
उन्होंने अपने इस्तीफे के कारणों में से एक के रूप में राम मंदिर पर कांग्रेस के रुख पर भी प्रकाश डाला।
इससे पहले खैरा ने हाल ही में सुर्खियाँ बटोरीं थी जब एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्होंने कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी द्वारा अपने प्रति असम्मान के बारे में अपनी शिकायतें व्यक्त कीं। वीडियो में, उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगाते हुए सुना जा सकता है, जिसमें कहा गया है कि पार्टी में किसी का भी सम्मान नहीं किया जाता है, खासकर महिला राजनेताओं का।
खैरा के इस्तीफे से कांग्रेस के लिए नकारात्मक परिणाम होने की संभावना है। वह पार्टी में एक युवा और लोकप्रिय चेहरा थीं, और उनका इस्तीफा आंतरिक असंतोष के संकेत के रूप में देखा जा सकता है। यह पार्टी की महिला उम्मीदवारों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठाता है।
बाकि खैरा का इस्तीफा कांग्रेस के भीतर चल रही समस्याओं पर भी प्रकाश डालता है। पार्टी अनिर्णायक नेतृत्व, आंतरिक गुटबाजी और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के असंतोष का सामना कर रही है। खैरा के इस्तीफे से यह भी पता चलता है कि कांग्रेस को महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि खैरा पर किसी भी गलत काम का आरोप नहीं लगाया गया है। कांग्रेस को पार्टी के भीतर एक निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी चाहिए और यदि कोई गलत काम पाया जाता है तो जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
बाकि कांग्रेस का हिंदुत्व पर अस्पष्ट रुख भी पार्टी के लिए एक चुनौती रहा है। पार्टी एक धर्मनिरपेक्ष छवि बनाए रखने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसका मतलब यह भी हो गया है कि हिंदू मतदाताओं के बीच उसका समर्थन आधार कम हो रहा है। खैरा के इस्तीफे से हिंदुत्व के मुद्दे पर पार्टी के भीतर की गहरी विभाजन रेखाओं का भी पता चलता है।
आपको बता दे कि पिछले कुछ वर्षों में, कांग्रेस ने कई प्रमुख चुनाव हारे हैं। इन हारों से पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ गया है, और कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है।
जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव:में कांग्रेस ने केवल 44 सीटें जीतीं, जो अब तक का उसका सबसे खराब प्रदर्शन है। इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव का भी यही हाल रहा था जहा कांग्रेस केवल 52 सीटें जीतने में सफल रही।
बाकि विधानसभा चुनावो का हाल तो सबको पता है कि कांग्रेस ने हाल के वर्षों में कई विधानसभा चुनाव भी हारे हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा शामिल हैं।
तो इस तरह हमने जाना कि कांग्रेस की राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक राधिका खैरा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ पार्टी इकाई में अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है और राम मंदिर पर कांग्रेस के रुख की भी आलोचना की है। खैरा का इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक झटका है और यह पार्टी के भीतर चल रही समस्याओं पर प्रकाश डालता है।
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