“Human Finger in Ice Cream: Questioning Food Safety Standards – AIRR News”

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मुंबई के एक डॉक्टर ने ऑनलाइन ऑर्डर किए गए आइसक्रीम में एक मानव उंगली का टुकड़ा पाए जाने का दावा किया, जिसके बाद पूरे देश में सनसनी फैल गई। इस घटना ने न केवल खाद्य सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े किए बल्कि आम जनता में भी डर और चिंता का माहौल बना दिया। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी FSSAI ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इंदापुर स्थित फॉर्च्यून डेयरी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड का लाइसेंस निलंबित कर दिया, जो युम्मो आइसक्रीम्स का तीसरी निर्माण इकाई है।-Question for Food Safety news

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे दैनिक जीवन में उपभोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों की सुरक्षा और गुणवत्ता किस हद तक सुनिश्चित की जा रही है? क्या हमारे खाद्य सुरक्षा मानक वास्तव में प्रभावी हैं या केवल कागजों पर ही सीमित हैं? यह घटनाक्रम कई सवाल उठाता है जिनका उत्तर खोजना आवश्यक है। आइये इस महत्वपूर्ण घटना के संदर्भ को समझते है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।

12 जून को ब्रेंडन फेराओ, 26 वर्षीय डॉक्टर, ने मलाड पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसने ऑनलाइन ऑर्डर की गई आइसक्रीम में मानव उंगली का टुकड़ा पाया। इस शिकायत के बाद भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 272, 273 और 336 के तहत युम्मो आइसक्रीम्स के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।-Question for Food Safety news

शिकायत के बाद, कंपनी प्रबंधन ने दावा किया कि आइसक्रीम फॉर्च्यून डेयरी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, इंदापुर में निर्मित की गई थी। इसके बाद, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण FSSAI और खाद्य एवं औषधि प्रशासन FDA के अधिकारियों ने इंदापुर और हडपसर स्थित इकाइयों का दौरा किया। पुणे क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त, सुरेश अन्नापुरे ने कहा कि केंद्रीय अधिकारियों ने फॉर्च्यून डेयरी का खाद्य लाइसेंस निलंबित कर दिया है।

इसके बाद फॉर्च्यून डेयरी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, इंदापुर के मालिक सचिन जाधव ने इस घटना को एक साजिश बताया और कहा कि उनका लाइसेंस अस्थायी रूप से निलंबित किया गया है और कंपनी को सील नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि फॉर्च्यून डेयरी इंडस्ट्रीज ने 2020 में निर्माण इकाई शुरू की थी और कंपनी रोजाना दो लाख लीटर दूध एकत्र करती है और मक्खन और स्किम्ड मिल्क पाउडर का उत्पादन करती है।-Question for Food Safety news

वही वॉक्को क्यूएसआर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, युम्मो आइसक्रीम्स के मालिक, ने अपनी आइसक्रीम का निर्माण गाजियाबाद, जयपुर और गुजरात में स्थित इकाइयों से कराते हैं। सचिन जाधव ने कहा कि उनकी कंपनी ने 19 सितंबर, 2023 से युम्मो आइसक्रीम्स के लिए आइसक्रीम का निर्माण शुरू किया था। उन्होंने यह भी बताया कि घटना की जांच चल रही है और वे अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं।

आपको बता दे कि  ऐसी घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे खाद्य सुरक्षा मानक कितने प्रभावी हैं। अगर एक डॉक्टर, जो खुद खाद्य सुरक्षा के महत्व को समझता है, इस तरह की घटना का शिकार हो सकता है, तो आम जनता का क्या हाल होगा? यह सवाल उठता है कि क्या हमारी खाद्य सुरक्षा एजेंसियां पर्याप्त रूप से अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हैं?

इस घटना के बाद फॉर्च्यून डेयरी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के उत्पादन प्रक्रिया की पूरी तरह से जाँच की गई। हडपसर इकाई का भी निरीक्षण किया गया, हालांकि उस इकाई का इस घटना से कोई संबंध नहीं पाया गया। यह जाँच लगभग 12 घंटे तक चली और इसके परिणामस्वरूप इकाई को नोटिस जारी किया गया।

सचिन जाधव ने इस घटना को एक साजिश बताया और दावा किया कि उनकी कंपनी को बदनाम करने के लिए यह सब किया गया है। उनका यह भी कहना है कि उनकी कंपनी ने हमेशा से ही उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने पर ध्यान दिया है और इस घटना ने उन्हें गहरी चोट पहुंचाई है।

इस घटना के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। यह एक उत्पादन प्रक्रिया में हुई गलती हो सकती है या फिर किसी कर्मचारी की लापरवाही का परिणाम हो सकता है। हालांकि, यह भी संभव है कि यह किसी व्यक्तिगत या व्यावसायिक दुश्मनी का परिणाम हो।

हालाँकि इससे पहले भी 2015 में, नेस्ले इंडिया की मैगी नूडल्स में अत्यधिक मात्रा में सीसा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट MSG पाए जाने पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। इसके परिणामस्वरूप, देशभर में मैगी नूडल्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और नेस्ले को अपने उत्पाद वापस मंगवाने पड़े थे। इस घटना ने भी खाद्य सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।

वही जॉनसन एंड जॉनसन का बेबी पाउडर विवाद भी एक प्रमुख उदाहरण है। 2018 में, कंपनी पर आरोप लगे कि उनके बेबी पाउडर में कैंसरकारी एस्बेस्टस पाया गया था। इस मामले ने वैश्विक स्तर पर कंपनी की साख को गंभीर नुकसान पहुंचाया और उपभोक्ताओं में व्यापक चिंता उत्पन्न की।

बाकि विभिन्न खाद्य और पेय उत्पादों में पैथकॉन्टैमिनेशन की घटनाएँ भी समय-समय पर सामने आती रही हैं। जैसे कि डेयरी उत्पादों में लिस्टेरिया बैक्टीरिया का पाया जाना, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस तरह की घटनाओं ने खाद्य सुरक्षा मानकों और निरीक्षण प्रक्रियाओं की कमी को उजागर किया है।

तो इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खाद्य सुरक्षा मानकों को और सख्त बनाने की जरूरत है। उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए खाद्य उत्पादकों और निर्माताओं को अधिक जिम्मेदारी से काम करना होगा। इसके साथ ही, खाद्य सुरक्षा एजेंसियों को भी अपनी निरीक्षण प्रक्रियाओं को और प्रभावी बनाने की जरूरत है।

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

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