“Revolution in Property Acquisition Rules: Supreme Court’s Landmark Decision | AIRR News Special Report”

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आज हम एक ऐसे ऐतिहासिक फैसले के बारे में बात कर रहे हैं जिसने निजी संपत्तियों के अधिग्रहण के नियमों में क्रांति ला दी है। Supreme Court ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो कहता है कि अगर किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है तो संपत्ति का अधिग्रहण असंवैधानिक होगा। लेकिन क्या आप भी मानते है की संपत्ति का अधिग्रहण हमेशा असंवैधानिक होता है? , अगर सरकार पीड़ित को समुचित मुआवजा देती है तो क्या संपत्ति को जबरन लिया जा सकता है?  और कोर्ट ने इस ऐतिहासिक फैसले पर पहुंचने के लिए कौन से कानूनी विचारों का इस्तेमाल किया?-Property Acquisition Rules News

नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। 

26 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की श्रेणी से हटा दिया गया था। 44वें संविधान संशोधन के बाद संपत्ति का अधिकार संविधान के भाग III से भाग XII में स्थानांतरित कर दिया गया। 

हाल ही में कोलकाता नगर निगम के मामले में, Supreme Court ने एक पार्क बनाने के लिए संपत्ति के अधिग्रहण को रद्द कर दिया। जहा न्यायालय ने कहा कि संपत्ति के अधिग्रहण से पहले न्यायोचित प्रक्रिया का पालन करना राज्य का कर्तव्य है।

आपको बता दे कि 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान संपत्ति के अधिकार को एक मौलिक अधिकार घोषित किया गया था। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में पांचवें संशोधन में संपत्ति के अधिग्रहण पर प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसे में भारत में, संपत्ति के अधिकार को सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में महत्वपूर्ण माना है।

अगर बात करे संपत्ति के अधिकार कि तो इसका इतिहास सदियों पुराना है, और इसे कई कानूनी परंपराओं में एक मौलिक अधिकार माना गया है।

जैसे 1215 में मैग्ना कार्टा कहे जाने वाले ऐतिहासिक दस्तावेज़ ने राजा की मनमानी शक्तियों को सीमित किया और संपत्ति के अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी दी।

वही 1689 में अंग्रेजी बिल ऑफ राइट्स के जरिये ब्रिटिश नागरिकों को संपत्ति के अधिग्रहण से बचाया, बाकि उचित मुआवजे मिलने पर ये अधिग्रहण किया जा सकता है।

1789 में संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के पांचवें संशोधन में सरकार को “जनहित” के बिना संपत्ति को जब्त करने से रोका जाता है।

इसी कड़ी में 1950 में भारतीय संविधान में अनुच्छेद 31 और 300A संपत्ति के अधिकार की रक्षा करते हैं, लेकिन सरकार को सार्वजनिक उद्देश्य के लिए संपत्ति का अधिग्रहण करने की अनुमति देते हैं।

हालाँकि, भारत में संपत्ति के अधिकार का इतिहास हमेशा स्पष्ट नहीं रहा है। 1954 में, Supreme Court ने शंकर बनाम भारत सरकार मामले में फैसला सुनाया कि संपत्ति का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। हालाँकि, 1978 में, 44वें संविधान संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को संविधान के भाग III से भाग XII में स्थानांतरित कर दिया, जिससे यह एक गैर-मौलिक अधिकार बन गया।

ऐसे में Supreme Court के हालिया फैसले ने संपत्ति के अधिग्रहण से पहले न्यायोचित प्रक्रिया के महत्व पर प्रकाश डाला है। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के मालिक को अधिग्रहण के इरादे के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। संपत्ति के मालिक को अधिग्रहण पर आपत्ति करने का अवसर दिया जाना चाहिए। संपत्ति के मालिक को अधिग्रहण के निर्णय के कारणों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। संपत्ति का अधिग्रहण केवल सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए और सब बड़ी बात कि संपत्ति का मुआवजा निष्पक्ष, समयबद्ध और कुशलतापूर्वक होना चाहिए।

न्यायालय का फैसला Acquisition कानूनों की संवैधानिकता को भी चुनौती देता है जो इन न्यायोचित प्रक्रिया आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं।

इस फैसले का संपत्ति के अधिग्रहण के पूरे न्यायिक दृष्टिकोण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। यह Acquisition कानूनों को संशोधित करने और नागरिकों के संपत्ति अधिकारों की बेहतर सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए सरकार को मजबूर करेगा।

यह फैसला उन न्यायिक हस्तक्षेपों की एक श्रृंखला में नवीनतम है जो सरकार की कार्रवाइयों को सीमित करते हैं। यह इस बात का संकेत है कि अदालतें नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और सरकार की शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए अधिक इच्छुक हो रही हैं।-Property Acquisition Rules News

तो इस तरह हम मान सकते है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला संपत्ति के अधिग्रहण पर एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह निर्णय इस बात पर जोर देता है कि नागरिकों को उनकी संपत्ति से वंचित करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करना राज्य का कर्तव्य है। यह Acquisition कानूनों की संवैधानिकता को भी चुनौती देता है जो न्यायोचित प्रक्रिया की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं। इस वीडियो में इतना ही बाकि अन्य खबरों के लिए जुड़े रहिये हमारे साथ। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़। 

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