2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी और बीजेपी सांसद Pragya Singh Thakur को एनआईए की विशेष अदालत ने मंगलवार से बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया है, अन्यथा उन पर “आवश्यक कार्रवाई” की जाएगी।-pragya singh thakur news
आज के वीडियो में, हम आपको 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले के ताजे हालत के बारे में बताएंगे, जिसमें बीजेपी सांसद Pragya Singh Thakur और छह अन्य लोगों को यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है। हम आपको इस मामले से जुड़ी अन्य जानकारियां भी सांझा करेगे।
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
मालेगांव ब्लास्ट मामला एक आतंकवादी हमला है, जिसमें 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर लगाए गए विस्फोटक से छह लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की घटना हुई थी।
इस मामले का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें शामिल होने का आरोप बीजेपी की वर्तमान सांसद और पूर्व साध्वी Pragya Singh Thakur पर लगा है, जिन्हें हिंदू आतंकवाद की शुरुआत करने का भी आरोप लगाया गया है। इस मामले में उनके साथ ही छह अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है, जिनमें कर्नल पुरोहित, स्वामी अमितानंद गिरी, सुधाकर द्विवेदी, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय और अजय रहीरकर शामिल हैं।
इन लोगों पर अवैध गतिविधियों को रोकने के अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है, जिनमें देशद्रोह, हत्या, आगजनी और विस्फोट सामग्री का अवैध रखरखाव शामिल हैं।
इस मामले की जांच पहले महाराष्ट्र की एंटी टेररिस्म स्क्वाड (एटीएस) ने की थी, लेकिन 2011 में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया था।
एनआईए, एक केंद्रीय जांच एजेंसी है, जिसका काम आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच करना है। एनआईए ने 2013 में मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें उन्होंने प्रज्ञा ठाकुर और अन्य आरोपियों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था।
विशेष अदालत, जिसे यूएपीए के तहत आतंकवाद से संबंधित मामलों को सुनने के लिए गठित किया जाता है। विशेष अदालत ने 2016 में मालेगांव ब्लास्ट मामले में प्रज्ञा ठाकुर को जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी।
विशेष अदालत अब आरोपियों के बयान दर्ज करा रही है, जो कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत एक आवश्यक चरण है। विशेष अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर को मंगलवार से अदालत में पेश होने के लिए बुलाया है, अन्यथा उन पर “आवश्यक कार्रवाई” की जाएगी।
अब बात करते है कि अगर प्रज्ञा ठाकुर अदालत में पेश नहीं होती हैं, तो उनके लिए क्या परिणाम हो सकते हैं?
तो आपको बता दे कि ऐसी सूरत में विशेष अदालत उनकी जमानत रद्द कर सकती है,या उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकती है।
इस प्रकार, प्रज्ञा ठाकुर को अदालत में पेश होना चाहिए, अन्यथा उनके लिए कानूनी मुसीबतें बढ़ सकती हैं।
इस मामले का देश की राजनीति पर काफी प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि प्रज्ञा ठाकुर बीजेपी की एक प्रमुख नेता हैं, जिन्होंने 2019 में भोपाल से सांसद चुनाव जीता था। उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे में उनकी पार्टी को भी घेरा गया है, जिसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का दावा करने वाली पार्टी के रूप में देखा जाता है।
इस मामले में अगर प्रज्ञा ठाकुर को दोषी पाया जाता है, तो उनके लिए न केवल कारावास की सजा हो सकती है, बल्कि उनकी सांसदीय सीट भी खतरे में पड़ सकती है। इससे उनकी पार्टी को भी राजनीतिक नुकसान हो सकता है, जिसे विपक्षी पार्टियों द्वारा आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए, इस मामले का देश की राजनीति और सामाजिक तनाव पर गहरा असर पड़ने की संभावना है।
इस वीडियो में, हमने आपको 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले के बारे में बताया, जिसमें बीजेपी सांसद Pragya Singh Thakur और छह अन्य लोगों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा है। हमने आपको इस मामले की शुरुआत, वर्तमान और भविष्य के प्रभाव का विस्तार से उल्लेख किया है। हमें उम्मीद है कि आपको यह वीडियो पसंद आया होगा।
अगले वीडियो में, हम आपको एक और रोचक और महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में बताएंगे, जो देश की राजनीति और समाज पर प्रभाव डाल रहा है। वह मुद्दा है, फार्मर्स प्रोटेस्ट, जिसमें किसानों ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है। हम आपको इस आंदोलन की वजह, मांग, चुनौतियां और संभावित समाधान के बारे में बताएंगे।
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