Extra : लोकसभा चुनाव 2024, पोस्टल बैलेट, गिनती, विपक्षी दल, चिंताएं, AIRR न्यूज़, Lok Sabha Elections 2024, postal ballot, counting, opposition parties, concerns, AIRR News-Postal Ballot update
चुनाव किसी भी लोकतंत्र के मूल स्तम्भ होते हैं, और उनकी पारदर्शिता और निष्पक्षता से ही जनता का विश्वास लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बना रहता है। जब हम वोटों की गिनती की प्रक्रिया की बात करते हैं, तो यह केवल तकनीकी कार्य नहीं होता, बल्कि इसके माध्यम से जनता का मंतव्य सामने आता है। ऐसे में किसी भी प्रकार की अनियमितता या संदेह की स्थिति जनता के विश्वास को हिलाने का कारण बन सकती है।-Postal Ballot update
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों की गिनती से पहले, INDIA गठबंधन ने चुनाव आयोग से एक महत्वपूर्ण मांग की है। यह मांग पोस्टल बैलेट की गिनती को प्राथमिकता देने से संबंधित है। यह मुद्दा केवल तकनीकी नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी राजनीतिक और लोकतांत्रिक चिंताएं हैं। क्या पोस्टल बैलेट की गिनती की प्रक्रिया में बदलाव सही है? क्या इससे चुनाव परिणामों की निष्पक्षता पर असर पड़ेगा? यह सवाल महत्वपूर्ण हैं, जिनका जवाब जानना आवश्यक है।-Postal Ballot update
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़
आज हम एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा करेंगे, जो लोकसभा चुनाव 2024 की वोटों की गिनती प्रक्रिया से जुड़ा है। चुनाव आयोग द्वारा 2019 में पोस्टल बैलेट की गिनती के दिशा-निर्देशों में किए गए बदलाव ने विपक्षी दलों के बीच चिंता उत्पन्न की है। विपक्षी गठबंधन INDIA ने चुनाव आयोग से इन दिशा-निर्देशों को बदलने की मांग की है।
विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि पोस्टल बैलेट की गिनती को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की गिनती से पहले पूरा किया जाए। यह मांग 2019 के चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के विरोध में की गई है, जिनके अनुसार पोस्टल बैलेट की गिनती EVM गिनती के 30 मिनट पहले शुरू होती है, लेकिन इसे पूरा करना अनिवार्य नहीं होता।
आपको बता दे कि 2019 के लोकसभा चुनावों में, चुनाव आयोग ने दिशा-निर्देश बदले थे क्योंकि पोस्टल बैलेट की संख्या बढ़ गई थी, विशेष रूप से इलेक्टॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) के लागू होने के बाद। पहले, पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी होने के बाद ही EVM गिनती का अंतिम चरण शुरू होता था। अब, EVM गिनती पोस्टल बैलेट की गिनती के किसी भी चरण में जारी रह सकती है।
INDIA गठबंधन का कहना है कि इस बदलाव से चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर असर पड़ सकता है। उनका मानना है कि पोस्टल बैलेट की गिनती को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि इससे चुनाव परिणामों में किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोका जा सकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पिछले चुनावों में भी पोस्टल बैलेट की गिनती में अनियमितताओं के आरोप लगे थे, जिससे चुनाव परिणामों की विश्वसनीयता पर सवाल उठे थे।
वैसे पोस्टल बैलेट उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो चुनाव के दिन मतदान केंद्र पर उपस्थित नहीं हो सकते, जैसे कि सैन्य बलों के सदस्य, आवश्यक सेवा कर्मी, वरिष्ठ नागरिक और विकलांग व्यक्ति। 2019 में, 22.71 लाख पोस्टल बैलेट डाले गए थे, जो कुल 60.76 करोड़ वैध वोटों का 0.37% था। इस बार यह संख्या और बढ़ने की संभावना है।
हालाँकि चुनाव आयोग ने 2019 में पोस्टल बैलेट की गिनती के दिशा-निर्देशों में बदलाव किए, जिससे EVM गिनती पोस्टल बैलेट की गिनती के साथ-साथ चल सकती है। यह बदलाव इसलिए किया गया क्योंकि पोस्टल बैलेट की संख्या बढ़ गई थी और VVPAT स्लिप्स की अनिवार्य गिनती भी लागू हुई थी।
इसपर विपक्षी दलों का कहना है कि पोस्टल बैलेट की गिनती को पहले पूरा करना आवश्यक है ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता या संदेह से बचा जा सके। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का उदाहरण दिया, जहां जीत का अंतर 12,700 वोटों का था जबकि पोस्टल बैलेट की संख्या 52,000 थी। विपक्षी दलों का मानना है कि पोस्टल बैलेट की गिनती के दिशा-निर्देशों में बदलाव से चुनाव परिणामों की निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है।
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना हमेशा से ही चुनाव आयोग की प्राथमिकता रही है। 1961 के चुनाव नियमों के अनुसार, पोस्टल बैलेट की गिनती पहले की जानी चाहिए। 2019 में चुनाव आयोग द्वारा दिशा-निर्देशों में बदलाव के बाद, विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति जताई है।
इससे पहले भी चुनावी प्रक्रियाओं में बदलाव और उनके प्रभाव को लेकर विवाद होते रहे हैं। इंदिरा गांधी के आपातकाल के समय भी चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठे थे। वर्तमान में, जब लोकतंत्र की नींव मजबूत करने की आवश्यकता है, तो चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता या संदेह से बचना आवश्यक है।
भारतीय राजनीति में चुनाव प्रक्रिया को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनावों में भी विपक्ष ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे। 2019 में, जब VVPAT स्लिप्स की गिनती अनिवार्य की गई, तब भी विपक्षी दलों ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर दिया।
तो इस तरह पोस्टल बैलेट की गिनती की प्रक्रिया में बदलाव और इसके परिणामस्वरूप विपक्षी दलों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि चुनाव आयोग पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए। पोस्टल बैलेट की गिनती पहले पूरी करने से चुनाव परिणामों की विश्वसनीयता बढ़ेगी और जनता का विश्वास लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बना रहेगा।
नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।