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भारतीय राजनीति के हाल के घटनाक्रम ने एक बार फिर से हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किस तरह से चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में 240 सीटों पर विजय प्राप्त की है, जो कि 2019 के चुनावों में जीती गई 303 सीटों से काफी कम है। इसके बावजूद, एनडीए के सहयोगियों की 53 सीटों के साथ, बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने में सक्षम है। लेकिन इस परिणाम ने कई सवाल खड़े किए हैं: क्या यह कमी बीजेपी की लोकप्रियता में गिरावट का संकेत है? क्या विपक्षी गठबंधन INDIA में बहुजन समाज पार्टी की भागीदारी से परिणाम भिन्न हो सकते थे? और सबसे महत्वपूर्ण, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बीजेपी की स्थिति क्यों कमजोर हुई है, जहाँ उसने 2014 से लगातार प्रभुत्व बनाए रखा था?-political latest news
नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
बीजेपी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में 240 सीटें जीती हैं, जो 2019 के चुनावों की तुलना में 63 सीटें कम हैं। हालांकि एनडीए के सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या 293 सीटें को पार कर लिया गया है, लेकिन यह प्रदर्शन बीजेपी की अपेक्षाओं से कमतर रहा है। बीजेपी ने 370 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, लेकिन वह इसमें असफल रही।-political latest news
उत्तर प्रदेश, जिसे भारतीय राजनीति का सबसे महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है, जहां कुल 80 लोकसभा सीटें हैं। 2014 और 2019 के चुनावों में ‘मोदी लहर’ के चलते बीजेपी ने यहां पर बड़े पैमाने पर जीत दर्ज की थी। 2019 में बीजेपी ने 62 सीटें और लगभग 50 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था, जबकि उसके सहयोगी अपना दल सोनेलाल ने दो सीटें जीती थीं। -political latest news
इस बार के चुनावों में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में केवल 33 सीटें जीतीं और वोट शेयर घटकर 41.3 प्रतिशत रह गया। यह गिरावट विपक्षी दलों के मजबूत प्रदर्शन और कुछ हद तक बसपा के INDIA गठबंधन में शामिल न होने के कारण हुई।
वैसे बसपा प्रमुख मायावती ने इस बार के चुनावों में अपने दल को INDIA गठबंधन से अलग रखा, जिससे विपक्षी वोटों का विभाजन हुआ और बीजेपी को इसका लाभ मिला। अगर बसपा INDIA गठबंधन में शामिल होती, तो शायद परिणाम भिन्न हो सकते थे और बीजेपी को और भी अधिक सीटों का नुकसान हो सकता था।
आपको बता दे की बीजेपी का इस बार का प्रदर्शन कई कारणों से प्रभावित हुआ है। सबसे प्रमुख कारण है उत्तर प्रदेश में पार्टी की सीटों की गिरावट। ‘मोदी लहर’ की कमजोरी और विपक्षी दलों के प्रभावशाली गठबंधन ने बीजेपी की स्थिति को कमजोर किया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाया है, जिससे बीजेपी की सीटें घटी हैं।
बाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी की चुनावी रणनीति को सफल बनाने के लिए अथक प्रयास किया, लेकिन विपक्षी दलों की एकजुटता और स्थानीय मुद्दों ने बीजेपी के पक्ष में चल रही हवा को कमजोर कर दिया। मायावती की बसपा का गठबंधन में शामिल न होना भी एक बड़ा कारक साबित हुआ।
हालाँकि 2014 और 2019 के चुनावों में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व सफलता हासिल की थी। ‘मोदी लहर’ के चलते पार्टी ने बड़े पैमाने पर वोटरों का समर्थन प्राप्त किया था। लेकिन इस बार, ऐसा प्रतीत होता है कि मतदाताओं में एक परिवर्तन हुआ है। स्थानीय मुद्दे, किसान आंदोलन, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों ने बीजेपी की लोकप्रियता को प्रभावित किया है।
इस चुनावी परिणाम का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ेगा। बीजेपी को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और भविष्य के चुनावों में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए नए तरीकों का सहारा लेना होगा। विपक्षी दलों को भी यह परिणाम एक संकेत के रूप में लेना चाहिए कि वे एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ मजबूती से खड़े हो सकते हैं।
वैसे भारतीय राजनीति में ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ चुनावी परिणामों ने राजनीतिक दलों की दिशा और दशा को प्रभावित किया है। 2004 के चुनावों में कांग्रेस ने अप्रत्याशित रूप से जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। इसी प्रकार, 2014 में बीजेपी ने कांग्रेस को बड़े अंतर से हराया और सत्ता में आई। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में कुछ भी संभव है और चुनावी समीकरण कभी भी बदल सकते हैं।
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