भारतीय राजनीति में संसद की कार्यवाही के दौरान कई बार विवाद उत्पन्न होते हैं। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस पार्टी के बीच एक ऐसा ही विवाद उभर कर सामने आया है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान की गई टिप्पणियों को लेकर कांग्रेस ने विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है। यह विवाद तब बढ़ गया जब प्रधानमंत्री ने पूर्व राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी पर “झुकाव” रखने का आरोप लगाया।-PM Modi vs Congress
इस विवाद से कई सवाल उत्पन्न होते हैं की कि क्या प्रधानमंत्री का बयान सच में विशेषाधिकार हनन था? क्या हामिद अंसारी का कार्यकाल विवादास्पद था? और क्या यह आरोप भारतीय राजनीति में एक नई प्रवृत्ति का संकेत है? आज हम चर्चा करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस पार्टी के बीच के हालिया विवाद पर, जिसमें कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है। इस विवाद की गहराई में जाएं और जानें कि इसके पीछे की कहानी क्या है।-PM Modi vs Congress
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 जुलाई, 2024 को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा, “जब हम 2014 में आए थे, तब राज्यसभा में हमारी संख्या बहुत कम थी और अध्यक्ष का झुकाव थोड़ा दूसरी ओर था।” कांग्रेस ने इस बयान को लेकर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है और राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ को एक पत्र लिखा है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पत्र में लिखा, “प्रधानमंत्री द्वारा डॉ. हामिद अंसारी पर विपक्ष की ओर झुकाव रखने का आरोप लगाना पूरी तरह से अस्वीकार्य और घोर अपमानजनक है, इसके अलावा यह पूरी तरह से गलत है।”
यह पहला अवसर नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी को निशाना बनाया है। 10 अगस्त, 2017 को, अंसारी के सेवानिवृत्ति के समय प्रधानमंत्री ने उनके पूर्व कूटनीतिक पदस्थापनाओं का उल्लेख किया था।
आपको बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस के आरोप गंभीर हैं। यह विवाद संसद में विशेषाधिकार और सम्मान की परंपरा को लेकर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान कि “अध्यक्ष का झुकाव थोड़ा दूसरी ओर था” एक गंभीर आरोप है। यदि यह आरोप सही है, तो यह संसद के कार्यकलापों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। लेकिन, बिना किसी ठोस प्रमाण के इस तरह का बयान देना भी उतना ही खतरनाक है।
वैसे पूर्व राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी का कार्यकाल हमेशा से विवादों में रहा है। उनकी नियुक्ति के समय से ही उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठते रहे हैं। प्रधानमंत्री का बयान इसी पृष्ठभूमि में आता है, जहां उन्होंने अंसारी पर विपक्ष के प्रति झुकाव रखने का आरोप लगाया।
कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने अपने बयान में संसदीय मानदंडों का उल्लंघन किया है। विशेषाधिकार हनन के आरोप के साथ-साथ, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर संसद में असत्य और भ्रामक बयान देने का भी आरोप लगाया है।
वैसे भारतीय राजनीति में इस तरह के विवाद पहले भी हुए हैं। 2015 में, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी पर संसद में भ्रामक बयान देने का आरोप लगाया था।
इसी तरह, 2018 में, राज्यसभा में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लेकर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया था।
तो इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस पार्टी के बीच का यह विवाद भारतीय राजनीति में एक नई प्रवृत्ति का संकेत हो सकता है। विशेषाधिकार हनन के आरोप से संसद की गरिमा और मानदंडों पर सवाल उठते हैं।
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