राज्य मंत्री बनाए गए…राष्ट्रपति भवन में 7 देशों के लीडर्स के अलावा देश के फिल्म स्टार भी इस समारोह में पहुंचे…इनमें अक्षय कुमार, शाहरुख खान, विक्रांत मेसी और राजकुमार हिरानी शामिल हुए…रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी भी कार्यक्रम में मौजूद रहे…-pm modi oath news
मोदी मंत्रिमंडल ने तीसरी बार शपथ ले ली है, कुछ चेहरों ने चौंकाया तो कुछ चेहरे के नदारद होने से हैरानी हुई है, जबकि कुछ नाम पहले ही तय हो चुके थे कि उन्हे नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने वाली…आइए आपको बताते हैं वो कौन कौन से बड़े चेहरे हैं जिनको नए मंत्रिमंडल मोदी 3.0 में जगह नहीं दी गई और उसके पीछे की वजह क्या रही…मोदी सरकार 3.0 के गठन के साथ ही दिल्ली में सियासी हलचल काफी तेज हो गई…शपथ ग्रहण से पहले जिन सांसदों के पास फोन पहुंचा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन कुछ नाम ऐसे भी रहे जिन्हे ना तो फोन आया और ना ही वो सेंट्रल हॉल से लेकर शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के इर्दगिर्द नजर आए.-pm modi oath news
बीजेपी नेताओं के 20 दिग्गजों के नाम सामने आपके सामने रख रहे हैं जिनकी मोदी 2.0 में तो तूती बोलती थी…उनके बिना मोदी का दूसरा कार्यकाल अधूरा सा था, लेकिन आज आलम ये है कि उनका कहीं जिक्र भी नहीं हो रहा, जिन्हें मोदी सरकार 2.0 में बेहद अहम जिम्मेदारियां मिली थीं, लेकिन इस बार उनका नाम लिस्ट से गायब है…
मोदी 2.0 में कैबिनेट मंत्री रही स्मृति ईऱानी को मोदी 3.O में मंत्री पद की जिम्मेदारी नहीं दी गई है…हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट अमेठी से पिछले चुनाव में राहुल गांधी को हराने के बाद खूब सुर्खियों में रहीं..लेकिन 2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को जितने वोट से हराया, 2024 में उससे 3 गुना मार्जिन से खुद हार गईं. स्मृति अपने कांग्रेसी प्रतिद्वंदी केएल शर्मा को कांग्रेस का प्रॉक्सी उम्मीदवार बता रही थीं. उन्होंने चुनाव जीतकर पूरे देश को चौंका दिया. पब्लिक की मानें तो 2019 का चुनाव स्मृति ‘दीदी’ बनकर जीत गई थीं. मगर 5 साल में अमेठी की फिज़ा काफी बदल गई. आखिर क्या कारण रहा कि स्मृति इस हालात में पहुंच गईं.
अमेठी के बारे में आम है कि यहां प्रेशर पॉलिटिक्स काम नहीं आती, यहां प्रेम से रहिए राजनीति करिए तो जनता पलक पांवड़े बिछा देगी, इसी आधार पर गांधी परिवार के लोग राजनीति करते रहे…स्मृति ईरानी भी 2019 में आईं तो दीदी बनकर जीती थीं, दबाव में नहीं जीती थीं…
स्मृति ईरानी के हारने की वजह कई हैं लेकिन उसमें जो बातें अहम हैं वो है कार्यकर्ताओं से दूरियां बनाना, जिन पुराने भाजपाइयों ने स्मृति ईरानी को चुनाव जितवाया था, उन्हीं से स्मृति किनारा कर बैठीं…चुनाव में बड़े चेहरे तो अमेठी पहुंचे, लेकिन लोकल कार्यकर्ता डोर-टु- डोर प्रचार करने गए ही नहीं…उन्ही की नाराजगी का नतीजा रहा कि स्मृति ईरानी संसद नहीं पहुंच सकीं..
मोदी मंत्रिमंडल में कुछ चेहरों ने चौंकाया तो कुछ चेहरे के नदारद होने से हैरानी हुई है
क्या इस बार भी मंत्रियों के कामकाज का असर केंद्रीय कैबिनेट पर पड़ेगा
हारने वाले मंत्रियों में चुनाव से पहले किस बात का ओवर कॉन्फिडेंस था