Parshottam Rupala से नाराज क्षत्रिय समाज, डैमेज कंट्रोल में जुटी बीजेपी

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Parshottam Rupala's statement

Parshottam Rupala‘s statement से क्षत्रिय समाज नाराज

क्षत्रिय शासकों के खिलाफ रुपाला ने टिप्पणी की थी

बीजेपी रुपाला के बयान के बाद बैकफुट पर

क्षत्रिय समाज को मनाने की कोशिशें जारी

राजस्थान के राजपूत भी रुपाला से नाराज

गुजरात, यूपी के राजपूत समाज नाराज

देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं.. ऐसे में कोई भी पार्टी किसी भी समाज को नाराज नहीं करना चाहती.. लेकिन Parshottam Rupala की क्षत्रिय शासकों के खिलाफ कथित टिप्पणी के बाद समाज में काफी नाराजगी है.. बीजेपी के डैमेज कंट्रोल की तमाम कोशिशों के बाद भी गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में क्षत्रिय समुदाय में गुस्सा कम होता नहीं दिख रहा है… पिछले कुछ हफ्तों में इन राज्यों में बीजेपी के खिलाफ क्षत्रिय समुदाय की ओर से लगातार विरोध हो रहा है. क्षत्रिय समाज के नाराजगी से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए बीजेपी एक्टिव हो गई है. दूसरी तरफ 27 अप्रैल को रूपाला ने क्षत्रिय समाज से माफी मांग ली है.-Parshottam Rupala’s statement

 बताया जा रहा है कि भाजपा का कोर वोट बैंक कहे जाने वाले राजपूत इस बार मतदान केंद्रों से दूर ही नजर आए. इन तीन राज्यों राजस्थान, यूपी और गुजरात में क्या हो रहा है, जहां राजपूत समुदाय बड़ी संख्या में मौजूद हैं.. अब आपको उन राज्यों की कहानी बताते हैं जहां क्षत्रिय समाज की नाराजगी है जिसका असर वोटिंग में भी देखने को मिल रहा है… सबसे पहले राजस्थान की बात कर लेते हैं.. लोकसभा चुनाव के पहले चरण में राजस्थान की जिन 12 सीटों पर मतदान हुआ. उन सीटों पर 2019 की तुलना में 2024 में कम मतदान हुआ, जबकि 19 अप्रैल को मतदान करने वाले 102 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान में गिरावट आई, अब कुछ सुझाव देते हैं कि राजपूत/क्षत्रिय के खिलाफ गुस्सा है बीजेपी एक फैक्टर थी… हालांकि, रूपाला की टिप्पणी का इस्तेमाल कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और रेत खनन कारोबारी मेघराज सिंह द्वारा अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं. -Parshottam Rupala’s statement

उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में राजपूत आर्थिक सहायता देने वाले मेघराज सिंह राजपूत करणी सेना के जरिए रूपाला की कथित टिप्पणी पर विवाद बढ़ा कर… इस बार बीजेपी के राजपूत वोट बैंक को नुकसान पहुंचाने के लिए कथित तौर पर… वसुंधरा के साथ मिलीभगत कर रहे हैं, क्योंकि करणी सेना के अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने कई विधानसभा क्षेत्रों में प्रेस कॉन्फ्रेंस की हैं. दिलचस्प बात ये है कि करणी सेना ने उन सीटों पर प्रेस वार्ता की है, जहां या तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि कांग्रेस उम्मीदवार जीतें या वसुंधरा चाहती हैं कि भाजपा उम्मीदवार यहां हार जाए. हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी ने मेघराज सिंह के यहां छापेमारी कर उनकी संपत्ति जब्त कर ली है… वहीं, बीजेपी द्वारा जाटों की तरफदारी करने का असर राजपूतों के साथ पार्टी के रिश्तों पर भी पड़ रहा है.

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खिमसर की ये टिप्पणी भी वायरल हो रही है कि भाजपा नागौर लोकसभा सीट इसलिए हार रही है, क्योंकि राजपूतों ने पार्टी को वोट नहीं दिया. . अब आपको बताते हैं कि राजस्थान में राजपूतों की आबादी कितनी है… बता दें कि राजस्थान की आबादी में राजपूतों की अनुमानित संख्या आठ से नौ प्रतिशत है. हालांकि, राजपूतों का दावा है कि उनकी आबादी 10 प्रतिशत है और वह ज्यादातर सीटों पर निर्णायक भूमिका में है.. कहा यह भी जा रहा है कि अशोक गहलोत ने खुद कई राजपूतों ग्रुप से संपर्क कर रूपाला विवाद पर राजपूतों को भड़काने का काम किया है, ताकि उन्हें फायदा हो सके. यदि भाजपा राजस्थान में सीटें हारती है तो इसका श्रेय समूह की गैर-भागीदारी को दिया जाएगा...

अब गुजरात की बात कर लेते हैं कि वहां क्या हो रहा है.. गुजरात की सभी लोकसभा सीटों पर 7 मई को वोटिंग होनी है, लेकिन क्षत्रिय समुदाय का राज्य भर में विरोध कम नहीं हो रहा है. जो भाजपा के लिए चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि ये प्रदर्शन खुद-ब-खुद एक बड़ा मुद्दा बन गया है जो गांव तक पहुंच गया है. हजारों प्रदर्शनकारी अपने आसपास भीड़ जुटा रहे हैं और भाजपा की सार्वजनिक रैलियों और रोड शो में शामिल होकर विरोध कर रहे हैं. साथ ही रूपाला के खिलाफ समाज की महिलाएं अनशन कर रही हैं और उन्हें बीजेपी से निष्कासित करने की मांग कर रही हैं... अब सवाल ये है कि ऐसे में बीजेपी इससे निपटने के लिए क्या कर रही है..

राजस्थान में मतदाताओं के विरोध को कम करने के लिए भाजपा ने दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, चंद्रभान सिंह आक्या, रणधीर सिंह भिंडर और राजेंद्र राठौड़ जैसे नेताओं को मैदान में उतारा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सभी को समझाने के लिए चित्तौड़गढ़ और दौसा गए थे…वहीं, गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल और राज्य के गृह मंत्री हर्ष सांघवी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने क्षत्रिय समुदाय के नेताओं के साथ कई बैठकें की हैं, लेकिन उनका कोई फायदा नहीं हुआ… -Parshottam Rupala’s statement

नवसारी में पाटिल के साथ आखिरी बैठक के बाद समुदाय के 108 सदस्य एकत्र हुए. उन्होंने कहा कि उनकी समस्या राजकोट के उम्मीदवार Parshottam Rupala के साथ है, न कि भाजपा या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ. 18 अप्रैल को गांधीनगर में एक रोड शो के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को संबोधित किया और कहा कि रूपाला ने ईमानदारी से माफी मांगी है. हम उनसे चर्चा कर रहे हैं. मुझे विश्वास है कि चुनाव से पहले कोई सौहार्दपूर्ण समाधान निकलेगा. हम सभी सीटें जीतेंगे…

बात पश्चिम यूपी की करें तो यहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, नोएडा विधायक पंकज सिंह और अन्य जैसे पार्टी के दिग्गज क्षत्रिय नेताओं को मैदान में उतारने के बावजूद भाजपा को अभी भी क्षत्रियों के असंतोष का सामना करना पड़ रहा है.. 26 अप्रैल के चुनावों से पहले, राजपूतों को शांत करने के आखिरी प्रयास में पार्टी ने राजनाथ सिंह को ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव भेजा, लेकिन केवल आश्वासन और कोई कार्रवाई नहीं होने से वे अप्रभावी हो गए हैं…

बिसाहड़ा साठा चौरासी गांव में सिसोदिया के 60 और तोमर के  84 गांव रजपूतों के प्रवेश द्वार है और यह क्षेत्र उत्तर भारत की सेना फैक्ट्री के रूप में जाना जाता है, जहां सबसे बड़ी संख्या में युवा सशस्त्र बलों में भर्ती होते हैं…राजनाथ ने नरेंद्र मोदी को फिर पीएम बनाने की अपील की थी, जिससे ग्रामीण सहमत नहीं थे.. अब ऐसे में राजपूतों की नाराजगी का कितना असर आगामी चरणों में होगा ये तो वक्त ही बताएगा… लेकिन बीजेपी फिलहाल बैकफुट पर नजर आ रही है.. हालांकि राजपूतों को मनाने का कवायद जारी है..

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