“लोकसभा में घूसकांड यानी संसद में कॅश फॉर क्वेरी के मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित कर दिया गया है। एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने वोटिंग कराई। ध्वनिमत से प्रस्ताव पास होने के बाद महुआ के निष्कासित कर दिया गया।”-Parliamentary Scandal The Story of Mahua Moitra’s Expulsio
आपको बता दे कि इस पूरे मामले पर बीएसपी सांसद दानिश अली की प्रतिक्रिया सामने आई है। दानिश अली ने कहा- “संसद तब अपमानित नहीं हुआ था क्या जब रमेश बिधूड़ी ने मुझे इतने अपमानजनक शब्द बोले थे। अब महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। क्या इससे संसद अपमानित नहीं हुआ। आज गांधी और अंबेडकर की आत्मा रो रही होगी।”-Parliamentary Scandal The Story of Mahua Moitra’s Expulsio
महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द होने पर तमाम विपक्षी सांसद सांसद भवन के बाहर आए। विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी की। बीएसपी सांसद दानिश अली गले में तख्ती लटकाए नजर आए। इस दौरान उन्होंने कहा, “मैंने यह पोस्टर इसलिए लगाया है, क्योंकि एथिक्स कमिटी ने अपनी सिफारिश में मेरा भी जिक्र किया है, क्योंकि मैं मोइत्रा को न्याय दिलाना चाहता हूं।”
बता दें कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान भरी लोकसभा में बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने बीएसपी सांसद दानिश अली के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। 7 दिसंबर को लोकसभा की प्रिविलेज कमिटी ने दानिश अली और रमेश बिधूड़ी को बारी-बारी से बुलाया और दोनों के बयान दर्ज किए। BJP सांसद सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली इस कमिटी से बातचीत में रमेश बिधूड़ी ने कहा कि उन्हें अपने उस बयान पर पछतावा है। दानिश अली शुरुआत से ही महुआ मोइत्रा के मामले में एथिक्स कमिटी के आलोचक रहे हैं। पिछले महीने, एथिक्स कमिटी ने मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश की थी। दानिश अली ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद कमिटी के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर ने जोर देकर कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया, लेकिन कुछ लोग बाधा डालना चाहते थे।
आखिरकार रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने यानी कॅश फॉर क्वेरी के मामले में घिरीं तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की सांसदी खत्म हो गई है। लोकसभा में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बाद मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश हुआ। हालांकि, महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने के लिए सदन में वोटिंग शुरू होते ही विपक्ष ने बॉयकॉट कर दिया। वोटिंग के बाद लोकसभा स्पीकर ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ निष्कासन प्रस्ताव पास कर दिया। लोकसभा की सदस्यता खोने के बाद में लोकसभा की सदस्यता खोने के बाद महुआ मोइत्रा ने विपक्षी सांसदों के साथ संसद में विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ एक कदम बताया और कहा कि इससे संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है।
इस घटना के बाद, विपक्षी दलों ने एकजुट होकर संसद के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार की आलोचना की। वे मानते हैं कि यह कदम संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ है और इससे संसद की गरिमा को नुकसान पहुंचा है।
आपको बता दे कि इस तरह कि घटनाओ ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हमारे संविधानिक संस्थानों की गरिमा को बनाए रखने के लिए पर्याप्त साधन और उपाय हैं?
क्या हमारे सांसदों को उनके कार्यों के प्रति और अधिक जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है?
और सबसे महत्वपूर्ण, क्या हमारे नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों के कार्यों के प्रति अधिक सचेत होने की आवश्यकता है?
इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढना हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें अपने संविधानिक संस्थानों की गरिमा को बनाए रखने के लिए सचेत और सक्रिय होना होगा। हमें अपने प्रतिनिधियों को उनके कार्यों के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। और सबसे महत्वपूर्ण, हमें अपने नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनने की आवश्यकता है।
इस प्रकार, हम अपने लोकतंत्र को मजबूत और स्वस्थ बना सकते हैं। हम अपने संविधानिक संस्थानों की गरिमा को बनाए रख सकते हैं। और हम अपने देश के भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं।
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