Parliament Security Breach: Smoke Scare Plot | Special Report by AIRR News

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Parliament Security Breach: Smoke Scare Plot | Special Report by AIRR News

संसद सुरक्षा उल्लंघन: धुआं डराने की साजिश | AIRR न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट

13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में धुआं उड़ाने की साजिश का खुलासा हुआ। इस साजिश के पीछे कथित रूप से मास्टरमाइंड ललित मोहन झा का नाम सामने आया। दिल्ली पुलिस की पूछताछ में झा ने बताया कि उन्होंने लोकसभा में कूदकर धुआं उड़ाने का फैसला करने से पहले खुद को आग लगाने और पर्चे बांटने जैसे तरीके भी सोचे थे। 

झा ने बताया कि उन्होंने पहले संसद के बाहर और भीतर आत्‍मदाह की योजना बनाई थी। इसके लिए उन्होंने अपने शरीर पर ‘आग से बचाने वाला जेल’ लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन जब यह जेल नहीं मिल पाई तो उन्होंने यह प्लान ड्रॉप कर दिया। उन्होंने बताया कि धुएं के कैन का इस्तेमाल उनकी ‘प्लान बी’ थी। 

इसके अलावा झा ने अपने और दूसरों के मोबाइल हैंडसेट जलाकर खाक कर देने का दावा भी किया है, जिससे जांचकर्ताओं का यह शक पुख्ता हुआ कि झा और इस ग्रुप के कुछ और लोग सिर्फ पब्लिसिटी ही नहीं चाहते थे। दिल्ली पुलिस को झा के उस दावे पर शक है कि उसने सारे मोबाइल फोन नष्ट कर दिए हैं। 

आपको बता दे कि इस मामले में अब तक झा समेत कुल छह आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। छठे आरोपी के पकड़े जाने की खबर शनिवार को आई। उसे दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के संबंधित जज के समक्ष पेश किया गया । बाकी पांचों आरोपियों को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है।दिल्ली पुलिस की स्‍पेशल सेल जल्द ही बीजेपी सांसद प्रताप सिन्हा का बयान दर्ज कर सकती है। 

इस पूरी घटना को पहली नजर में यही स्पष्ट होता है कि यह एक बड़ी साजिश थी, जिसमें ललित मोहन झा ने कई योजनाएं बनाई थीं। उनका दावा कि उन्होंने सभी मोबाइल फोन नष्ट कर दिए हैं, जांचकर्ताओं के लिए चिंता का विषय है क्योंकि इन फोनों में साजिश से जुड़े कई सुराग हो सकते हैं। इसके अलावा, यह घटना संसद की सुरक्षा के प्रश्नों को उठाती है और हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी सुरक्षा प्रणाली पर्याप्त है।

आपको बता दे कि इस घटना के बाद 2001 में हुए संसद हमले के शहीदो को विभिन्न नेताओं ने जिनमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीदों के परिजनों से मुलाकात भी की।

इसके अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि राष्ट्र हमेशा उन बहादुर सुरक्षाकर्मियों का ऋणी रहेगा, जिन्होंने 2001 में संसद पर हुए हमले में अपनी जान गंवा दी. उन्होंने आतंकवाद को खत्म करने का संकल्प दोहराया। 

फिलहाल , इस घटना के बाद Parliament Security व्यवस्था को और अधिक पुख्‍ता बनाया गया है। 

आपको बता दे कि इस घटना के बाद कुछ नेताओ ने जिनमे राहुल गाँधी भी शामिल है ने कहा कि ये सब केंद्र सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा है जो गरीबी , भुखमरी और बेरोजगारी कि वजह से  पनप रहा है। 

खैर इस घटना से देश दो धड़ो में बट गया है कुछ इन आरोपियों कि तुलना शहीद भगत सिंह के अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन से भी कर रहे है और दूसरी तरफ कुछ इन्हे देश द्रोही बता रहे है।  

अब ये सवाल उठता है कि क्या इन लोगों का उद्देश्य वास्तव में गरीबी, बेरोजगारी और अन्य सामाजिक मुद्दों को उजागर करना था? यदि हां, तो क्या यह तरीका सही था? यदि नहीं, तो उनका असली उद्देश्य क्या था?

इस घटना के बाद विभिन्न नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं, जिसमें उन्होंने इस घटना की निंदा की और इसे एक आतंकी हमला बताया। इसके अलावा, वे इस घटना की गंभीरता को महसूस करते हैं और इसे एक बड़ी चुनौती मानते हैं।

इसके अलावा, यह घटना Parliament Security प्रणाली के प्रश्नों को उठाती है और हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी सुरक्षा प्रणाली पर्याप्त है। इसके बावजूद, संसद की सुरक्षा व्यवस्था को निरंतर सुधारा और बेहतर बनाया जा रहा है.

धन्यवाद्।

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