बाहुबली pappu yadav के दबंग से दयावान बनने की कहानी 

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RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले pappu yadav के नाम पर भले ही बिहार की राजनीति में सियासी उबाल मचा हो लेकिन 1999 में जब pappu yadav की हत्या के केस में गिरफ्तारी हुई थी तब उनकी सियासत चरम पर थी…सीमांचल और मिथिलांचल में उनकी तूती बोलती थी…लेकिन उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा हो जाती है…-pappu yadav in politics

14 जून 1998 में माकपा नेता अजीत सरकार की हत्या हो जाती है…जिसका आरोप pappu yadav पर लगता है और 24 मई 1999 को इसी आरोप में pappu yadav की गिरफ्तारी हो जाती है…उस समय भी pappu yadav पूर्णिया लोकसभा सीट से सांसद थे…2008 में CBI की विशेष अदालत पप्पू को आजीवन करावास की सजा सुनाती है…लेकिन 2013 में पटना हाईकोर्ट सबूतों के अभाव में पप्पू को बरी कर देता है…और pappu yadav खुली हवा में सांस लेते हैं… -pappu yadav in politics

जेल से लौटने के बाद pappu yadav अपनी छवि बनाने में लग जाते हैं…लोगों के मसीहा बनन लगते हैं…कोई घटना होती है तो आवाज उठाते हैं…पीड़ितों से जाकर मिलते हैं…2019 में जब पटना में तेज बारिश से बाढ़ आई थी और राजधानी जलमग्न हुआ तो pappu yadav ने नाव के सहारे लोगों को खाना-पानी दिया था… pappu yadav in politics

pappu yadav एक जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते हैं…उनके पास जमीन और संपत्ति की कमी नहीं थी…कॉलेज में जाने के बाद pappu yadav की पहचान दबंग के रूप में हो रही थी…उनकी दबंगई के चर्चे सीमांचल के कई जिलों में थे…ये दौर 1980 के बाद का है…उसी वक्त लालू प्रसाद यादव भी अपनी राजनीतिक करियर चमकाने में लगे हुए थे…उस वक्त कॉलेज से निकलने के बाद pappu yadav ने लालू यादव का साथ दिया था और pappu yadav की दबंगई लालू यादव के काम आई…उस वक्त pappu yadav पर लालू यादव के लिए बूथ कैपचरिंग या फिर मत पेटियों को चुरा लेने का आरोप लगता था… 

1990 में विधायक बनने के बाद से पप्पू की वो छवि धीरे धीरे बदलती चली गई…पहली बार 1991 में पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत हासिल की…इसके बाद 1996 और 1999 में भी वह पूर्णिया से ही निर्दलीय सांसद बने…2004 में लालू प्रसाद यादव ने उन्हें मधेपुरा से RJD का टिकट दिया और वो चौथी बार जीते…2008 में उन पर हत्या का आरोप साबित हो गया तो उनकी सदस्यता रद्द हो गई…2013 में पटना हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद pappu yadav फिर पांचवी बार 2014 में RJD के टिकट से मधेपुरा से चुनाव लड़े और पांचवीं बार जीते…16वीं लोकसभा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सांसदों की लिस्ट में शामिल हुए 

2015 में तेजस्वी यादव की बयानबाजी के बाद पप्पू खफा हो गए और RJD से दूरी बनाकर अपनी ‘जन अधिकार पार्टी’ बनाई…2019 में pappu yadav अपनी ही पार्टी से चुनाव लड़े लेकिन हार गए…2013 में जेल से आने के बाद से ही pappu yadavका रुख लालू और RJD को लेकर बदल चुका था…जेल से आकर पप्पू लगातार जनता के बीच काम करते रहे…पटना हो या फिर पूर्णिया, बाढ़ हो या फिर बवाल…खुद आगे बढ़कर लोगों को राहत और मदद करते रहे…कभी पैसों से तो कभी खाने और पीने के सामान से…जिससे pappu yadav की छवि पूरी तरह से बदल गई…और अब दबंग से दयावान बने pappu yadav एक बार फिर पूर्णिया की धरती से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोक रहे हैं…

1990 में विधायक बनने के बाद pappu yadav का लक्ष्य लोकसभा था

 क्या pappu yadav फिर से सांसद का तमगा हासिल करेंगे?

pappu yadav की सबसे बड़ी सियासी गलती क्या थी?

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