आज हम आपको बताएंगे कि कैसे पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से अपने पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान में प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के वित्तीय स्रोतों की जांच करने की मांग की है।”Pakistan’s Demand for UN Investigation”
क्या आप जानते हैं कि TTP कौन है और इसका अफ़ग़ानिस्तान के साथ क्या संबंध है? क्या आप जानते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में हाल ही में बनी अंतरिम सरकार ने TTP के साथ कैसे रिश्ते बनाए हैं? क्या आप जानते हैं कि TTP की गतिविधियों से पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों को कितना खतरा है?
अगर आपके पास इन सवालों का जवाब नहीं है, तो चिंता न करें। हम आपको इन सबके बारे में विस्तार से बताएंगे। लेकिन पहले, आइए देखते हैं कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से क्या मांग की है और इसके पीछे का कारण क्या है।
नमस्कार, आप देख रहे है AIRR न्यूज।
पाकिस्तान ने 9 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर अपने स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम के भाषण के बाद एक बयान जारी करके यह मांग की है कि संयुक्त राष्ट्र TTP के वित्तीय स्रोतों की जांच करे।
अकरम ने अपने भाषण में कहा कि TTP को अल-कायदा और कुछ राज्य प्रायोजकों का समर्थन मिलता है और अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह जल्द ही एक वैश्विक आतंकवादी खतरा बन सकता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के साथ मिलकर इस मांग को पूरा करना चाहिए कि अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार ने TTP और इसके सहयोगी संगठनों के साथ अपने संबंधों को समाप्त कर दे।
“मुझे विश्वास है कि यह परिषद पाकिस्तान के साथ मिलकर यह मांग करेगी कि अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार ने TTP और इसके सहयोगी संगठनों के साथ अपना संबंध समाप्त कर दिया है और उन्हें पाकिस्तान या अन्य पड़ोसी देशों के खिलाफ सीमा पार हमले करने की आजादी नहीं दी है,” अकरम ने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि यूनामा का अधिकारक्षेत्र आतंकवाद से संबंधित मुद्दों को नहीं ढकता है। फिर भी, अफ़ग़ानिस्तान के अंदर और बाहर से आतंकवाद अफ़ग़ानिस्तान में सामान्यीकरण के लिए सबसे बड़ी बाधा है, उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा, “आतंकवादी संगठन अफ़ग़ानिस्तान के प्रत्येक निकटवर्ती देश के लिए एक सुरक्षा खतरा है। आतंकवाद का मुकाबला करना अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार के साथ किसी भी भविष्य के रोड मैप में सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।’
इस बयान के बाद, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक और बयान जारी करके कहा कि TTP के वित्तीय स्रोतों की जांच करना और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद विरोधी समिति को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
पाकिस्तान का यह आरोप है कि TTP को अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार के कुछ सदस्यों और अन्य आतंकवादी संगठनों जैसे हकानी नेटवर्क और इस्लामिक स्टेट का सहयोग मिल रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि TTP ने पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान के खिलाफ कई हमले किए हैं, जिनमें सैनिकों और नागरिकों की मौत हुई है। पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान को इस बात की चेतावनी दी है कि यदि वह TTP को शरण देता है, तो यह दोनों देशों के बीच संबंधों को बिगाड़ सकता है।
अब आइए जानते हैं कि TTP कौन है और इसका इतिहास क्या है।
TTP का पूरा नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान है, जो एक आतंकवादी संगठन है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करना है। इसका गठन 2007 में हुआ था, जब पाकिस्तान के कुछ तालिबान समूहों ने एक होकर अपने विरोधियों के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। इन समूहों में से कुछ तो अफ़ग़ानिस्तान में भी सक्रिय थे, जहां वे नाटो और अफ़ग़ान सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे।
TTP का पहला प्रमुख बैतुल्लाह महसूद था, जिसने पाकिस्तान के कई हिस्सों में अपना कब्जा जमाया था। उन्होंने पाकिस्तान की सेना, सरकार और नागरिकों के खिलाफ कई हमले करवाए, जिनमें से कुछ सबसे खूनी थे। उन्होंने 2007 में लाल मस्जिद पर हमला करके उसे तबाह किया, 2008 में बेनजीर भुट्टो की हत्या की जिम्मेदारी ली, 2009 में श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर हमला किया और 2014 में पेशावर स्कूल में 132 बच्चों सहित 150 लोगों को मार डाला।
बैतुल्लाह महसूद की 2009 में मौत होने के बाद, TTP का नेतृत्व हकीमुल्लाह महसूद ने संभाला, जिसने भी पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद को जारी रखा। उन्होंने अमेरिका के साथ शांति बातचीत करने से इनकार किया और अल-कायदा के साथ अपनी मित्रता को मजबूत किया। उन्होंने 2010 में टाइम्स स्क्वायर में बम धमाके की कोशिश करने वाले फ़ैज़ल शहजाद को समर्थन दिया और 2012 में मलाला यूसुफज़ई पर हमला करने का आदेश दिया।
हकीमुल्लाह महसूद की 2013 में अमेरिका के द्वारा ड्रोन हमले में मौत होने के बाद, TTP का अगला प्रमुख मौलाना फ़ज़लुल्लाह बना, जिसने भी पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा दिया। उन्होंने 2014 में कराची हवाई अड्डे पर हमला करवाया और पेशावर स्कूल हमले का आदेश दिया। उन्होंने भी अमेरिका के साथ शांति बातचीत करने से मना किया और अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट और अफ़ग़ान तालिबान के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया।
फ़ज़लुल्लाह की 2018 में अमेरिका के द्वारा ड्रोन हमले में मौत होने के बाद, TTP का वर्तमान प्रमुख मुहम्मद नूर वली महसूद है, जिसे अबु मंसूर असीम भी कहा जाता है। उन्होंने 2019 में टीटीपी का नेतृत्व संभाला और अपने संगठन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया। उन्होंने अफ़ग़ान तालिबान के साथ अपनी मित्रता को बनाए रखा और उनके साथ अफ़ग़ानिस्तान में लड़ने के लिए अपने कई कारोबारियों को भेजा।
TTP के लक्ष्य और रणनीति क्या है?
TTP का मुख्य लक्ष्य पाकिस्तान को एक इस्लामी राज्य में बदलना है, जहां शरिया कानून लागू हों। इसके लिए, वे पाकिस्तान की सरकार, सेना, पुलिस, न्यायिक प्रणाली और अन्य लोकतांत्रिक संस्थाओं को निशाना बनाते हैं। वे भी अमेरिका, नाटो और उनके सहयोगियों के खिलाफ जिहाद का ऐलान करते हैं और उनके खिलाफ हमले करते हैं। वे भी अपने विरोधियों को अपने विचारों को मानने या अपने अधीन होने के लिए मजबूर करने का प्रयास करते हैं।”Pakistan’s Demand for UN Investigation”
TTP की रणनीति अधिकांशतः आत्मघाती हमले, रेली बम, रोडसाइड बम, अग्निप्रयोग, अपहरण, हत्या और जनसंहार जैसे आतंकवादी तरीकों पर निर्भर करती है। वे अपने लक्ष्यों को चुनने और अपने हमलों को निष्पादित करने के लिए अपने जासूसों, गुप्तचरों और सहयोगियों का इस्तेमाल करते हैं। वे अपने आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखने के लिए अपने सदस्यों को प्रशिक्षण, हथियार, विस्फोटक, पैसा और शरण प्रदान करते हैं। वे अपने संदेशों को फैलाने और अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेने के लिए वीडियो, ऑडियो, प्रेस विज्ञप्ति, पोस्टर, पैंफलेट और सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। “Pakistan’s Demand for UN Investigation”
TTP के खिलाफ पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान का सहयोग कैसे सुधारा जा सकता है?
TTP के खिलाफ पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान का सहयोग सुधारने के लिए, दोनों देशों को निम्नलिखित कदम उठाने की जरूरत है:
दोनों देशों को टीटीपी को एक सामूहिक और गंभीर खतरा मानना चाहिए और इसके खिलाफ एक सामंजस्यपूर्ण और समन्वित रणनीति बनानी चाहिए।
दोनों देशों को टीटीपी के शिविरों, ठिकानों, नेटवर्कों और संसाधनों को नष्ट करने के लिए सैन्य, खुफिया और पुलिस के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाना चाहिए।”Pakistan’s Demand for UN Investigation”
दोनों देशों को टीटीपी के सदस्यों, नेताओं, सहयोगियों और भर्तियों को पकड़ने, गिरफ्तार करने, पूछताछ करने और न्याय के सामने लाने के लिए आपसी सहायता और सौंपने का प्रबंध करना चाहिए।
दोनों देशों को टीटीपी के प्रभाव क्षेत्रों में सुरक्षा, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए।”Pakistan’s Demand for UN Investigation”
दोनों देशों को टीटीपी के आतंकवाद से प्रभावित लोगों को पुनर्वास, पुनर्निर्माण, मनोवैज्ञानिक सहायता और दायित्व का एहसास कराने के लिए मदद करना चाहिए।
दोनों देशों को टीटीपी के आतंकवाद को रोकने और उसके खिलाफ जन समर्थन प्राप्त करने के लिए अपने मीडिया, साहित्य, कला, संस्कृति और धर्म का उपयोग करना चाहिए।”Pakistan’s Demand for UN Investigation”
यह था हमारा आज का विशेष कार्यक्रम, जिसमें हमने आपको TTP के बारे में विस्तार से बताया। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी और आपको इस मुद्दे की गहराई समझने में मदद मिली होगी।”Pakistan’s Demand for UN Investigation”
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