पाकिस्तान को अपने आंतरिक विद्रोह को संभालने में असमर्थता का सामना करना पड़ रहा है, और इसलिए वह अपनी असफलता से ध्यान भटकाने के लिए भारत को बलोचिस्तान में चल रहे अत्याचार का दोष दे रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसने पाकिस्तान के अंदर और बाहर दोनों तरफ से आलोचना का सामना किया है। पाकिस्तान के विशेषज्ञ तिलक देवशर ने इस विषय पर अपनी राय दी है, और उन्होंने पाकिस्तान की नीतियों, रवैयों और चुनौतियों का विश्लेषण किया है।-“Pakistan LOW”
इस वीडियो में, हम इस मुद्दे के पीछे के कारणों, इसके प्रभावों और इसके संभावित परिणामों के बारे में जानेंगे।
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।
पाकिस्तान को अपने आंतरिक विद्रोह को संभालने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जो उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक समन्वय पर असर डाल रही हैं। इन विद्रोहों में सबसे प्रमुख हैं तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान TTP और बलोच आजादी आंदोलन। इन दोनों ने पाकिस्तान के कई इलाकों में हिंसा, आतंकवाद, उग्रवाद और विद्रोह की लहर फैलाई है, जिससे पाकिस्तान की सरकार और फौज को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा है।
TTP का उद्देश्य पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करना है, और इसके लिए वह पाकिस्तान की सरकार, फौज और नागरिकों के खिलाफ हमले करता रहता है। TTP ने 2007 में अपना गठन किया था, और तब से लगभग 70,000 लोगों की मौत का कारण बना है। TTP को अफगानिस्तान में तालिबान का सहयोगी माना जाता है, और इसके कई शाखाएं हैं, जो अलग-अलग इलाकों में कार्य करती हैं। TTP का सबसे बड़ा हमला 2014 में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में हुआ था, जिसमें 150 से ज्यादा लोग, जिनमें से ज्यादातर बच्चे थे, मारे गए थे।
बलोच आजादी आंदोलन का उद्देश्य पाकिस्तान से अलग होकर बलोचिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना है, जो कि पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती है। बलोच लोग अपने इलाके में पाकिस्तान की नीतियों, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और संसाधनों के शोषण से नाराज हैं। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह करके अपने अधिकारों की मांग की है, लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें दमन, गिरफ्तारी, यातना, हत्या और लापता करने का जवाब दिया है।
आपको बता दे कि, इस अत्याचार के खिलाफ बलोच लोग ने दुनिया भर में प्रदर्शन और आवाज उठाने की कोशिश की है, और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी है। उन्होंने भारत को भी अपने मुद्दे का समर्थन करने के लिए आग्रह किया है, जिससे पाकिस्तान को बौखलाया है। पाकिस्तान ने भारत को बलोच विद्रोह को भड़काने और फाइनेंस करने का आरोप लगाया है, जिसका कोई सबूत नहीं है। पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि भारत अपने आंतरिक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए बलोचिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है।
वैसे इस विवाद का एक और पहलू है, जो पाकिस्तान के चीन के साथ के संबंधों से जुड़ा है। पाकिस्तान और चीन ने बलोचिस्तान में एक बड़ा आर्थिक और सैन्यिक परियोजना, जिसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा CPEC कहा जाता है, शुरू किया है। इस परियोजना के तहत, चीन ने बलोचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को अपने नियंत्रण में लिया है, और उसे अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव BRI का हिस्सा बनाया है। इससे चीन को अरब सागर और भारत महासागर में एक्सेस मिलेगा, जो उसके लिए एक स्ट्रैटेजिक फायदा है।-“Pakistan LOW”
शायद बलोच लोग इस परियोजना का ही विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उनके इलाके के संसाधनों को लूटने और उनकी पहचान को मिटाने का एक प्रयास है। उन्होंने CPEC के खिलाफ आतंकवादी हमले किए हैं, और चीनी कर्मचारियों और संपत्तियों को निशाना बनाया है। इससे चीन और पाकिस्तान को बड़ी चिंता का सामना करना पड़ा है, और वे इस परियोजना को बचाने के लिए अपनी सुरक्षा बढ़ा रहे हैं।
इस विवाद का एक अंतरराष्ट्रीय पक्ष भी है, जिसमें भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों ने बलोच लोगों के हक के लिए आवाज उठाई है। इन देशों ने पाकिस्तान को बलोचिस्तान में चल रहे अत्याचार, नरसंहार, लापता होने और अन्य मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए निंदा की है। इन देशों ने पाकिस्तान को बलोच लोगों के साथ बातचीत करने और उनकी मांगों को सुनने की सलाह दी है। बाकि इन सभी आरोपों पर निंदा के अलावा कुछ भी नहीं हो पा रहा है और बलोच लोगो कि परेशानियों का समाधान मिलना नामुमकिन ही लगता है। -“Pakistan LOW”
तो ये थी हमारी आज कि खास पेशकश। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़
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