1971 का इतिहास दोहराने को तैयार Pakistan…
डूरण्ड रेखा पर घमासान
Pakistan ने तालिबानियों को अपने देश से निकालकर 1971 के अपने इतिहास को दोहराने का न्योता दे दिया है…जैसे Pakistan के दो टुकड़े 1971 में हुए थे ठीक 55 साल बाद Pakistan का वो इतिहास दोहराने जा रहा है…लेकिन इस बार Pakistan को दो टुकड़े करने की वजह हिंदुस्तान नहीं बल्कि Pakistan का दूसरा पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान है…जी हां.. वही अफगानिस्तान जिसके खिलाफ Pakistan ने अमेरिकियों की हर संभव मदद की थी…यही वजह है कि अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलने के बाद से ही Pakistan अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत की आंख में खटकने लगा था और इस पर आग में घी का काम किया Pakistan सरकार का वो फैसला जिसके तहत पिछले दिनों Pakistan ने अवैध रूप से रह रहे लाखों अफगानियों को देश से निकाल दिया…
Pakistan ने तालिबानियों को अपने देश से निकालकर 1971 के अपने इतिहास को दोहराने का न्योता दे दिया है…जैसे Pakistan के दो टुकड़े 1971 में हुए थे ठीक 55 साल बाद Pakistan का वो इतिहास दोहराने जा रहा है…लेकिन इस बार Pakistan को दो टुकड़े करने की वजह हिंदुस्तान नहीं बल्कि Pakistan का दूसरा पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान है…जी हां.. वही अफगानिस्तान जिसके खिलाफ Pakistan ने अमेरिकियों की हर संभव मदद की थी…यही वजह है कि अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलने के बाद से ही पाकिस्तान अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत की आंख में खटकने लगा था और इस पर आग में घी का काम किया Pakistan सरकार का वो फैसला जिसके तहत पिछले दिनों Pakistan ने अवैध रूप से रह रहे लाखों अफगानियों को देश से निकाल दिया…
Pakistan के इस फैसले पर अफगानिस्तान के उप-विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई Pakistan को 1971 की तरह बांटने की धमकी दे रहे हैं…उनका कहना है कि Pakistan ने अफगान शरणार्थियों को दमनकारी तरीके से निकाला.. Pakistan की सरकार ने कहा कि वापस जाओ अपने देश में..Pakistan को शर्म नहीं आती कि जो अफगानी दशकों से वहां रह रहे हैं Pakistan उनका भी है…Pakistan उनसे भी पासपोर्ट और वीजा मांग रहा है…ये स्वीकार नहीं है…Pakistan की कोई ताकत इन पश्तून जातियों को अलग नहीं कर सकती है…बल्कि Pakistan के इस रवैये की वजह से Pakistan को वही दिन देखना पड़ेगा जो 1971 में हुआ था…Pakistan दो हिस्सों में बंटा था और बांग्लादेश अस्तित्व में आया था…अल्लाह की इच्छा से इस बार Pakistan का खैबर पख्तूनख्वा इनके चुंगल से आजाद होगा…
दरअसल अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत उस डूरण्ड रेखा को मानने से इनकार कर रही है जिसे अफगानिस्तान और Pakistan के बीच 1896 में काल्पनिक रूप से खींची गई थी…2430 किलोमीटर लंबी ये रेखा Pakistan में पश्तून जनजातीय इलाके से होकर दक्षिण में बलोचिस्तान से होकर गुजरती है…इस प्रकार ये रेखा पश्तूनों और बलूचों को दो देशों में बांटते हुए निकलती है…पश्चिम में अफगानिस्तान और पूर्व में Pakistan …भू-राजनीतिक और भू-रणनीति की दृष्टि से डूरण्ड रेखा को विश्व की सबसे खतरनाक सीमा माना जाता है…यही वजह है कि अफगानिस्तन इस सीमा को मानने से इनकार करता रहा है…डूरण्ड रेखा की वजह से आज अफगानिस्तान का एक हिस्सा अलग है…
Pakistan के विदेश मंत्रालय ने भी अफगानिस्तान के इस बयान कड़ी प्रतिक्रिया दी है…पाक विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि तालिबानी हुकूमत का ये बायन कतई बर्दाश्त नहीं है…तो वहीं अफगानिस्तान में Pakistan के विशेष दूत आसिफ दुर्रानी ने रण्ड रेखा पर तालिबान के रुख का विरोध किया है और कहा है कि पाकिस्तान के लिए डुरंड रेखा का मामला निर्णायक रूप से सुलक्ष गया है जबकि तालिबान रण्ड रेखा को नहीं मानता है…खैबर पख्तूनवा और फाटा के कुछ इलाके पर अफगानिस्तान शुरू से ही दावा करता आ रहा है….लेकिन इस बार तनाव चरम पर पहुंच गया है.. क्योंकि Pakistan ने अफगानिस्तान के शरणार्थियों को जब से वापस भेजना शुरू किया है..तब से ये दोनों मुल्कों के बीच का तनाव और भी बढ़ गया है…