कैसे दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी, Osama Bin Laden, पाकिस्तान में छिपकर रहा था, और कैसे अमेरिका ने उसे ढूंढकर मार डाला। यह एक ऐसी घटना है, जिसने दुनिया की राजनीति, सुरक्षा और इतिहास को हिला कर रख दिया। यह एक ऐसी घटना है, जिसके पीछे के राज़, अब तक सामने नहीं आए हैं। यह एक ऐसी घटना है, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
ओसामा बिन लादेन, एक ऐसा व्यक्ति जिसने आतंक की दुनिया में ऐसा नाम कमाया की उसका नाम सदियों तक याद किया जायेगा। सऊदी अरब में जन्मा लादेन जिसने 1988 में अल-कायदा नामक आतंकवादी संगठन की स्थापना की और अपने संगठन के साथ, दुनिया भर में कई हमले किए, जिनमें सबसे बड़ा और भयानक हमला 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुआ था। उस दिन, अल-कायदा के कुछ हिजैकरों ने चार विमानों को अपने कब्जे में लिया, और उनमें से दो को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टावरों में टकरा दिया। इस हमले में, लगभग 3000 लोगों की जान गई, और अमेरिका को एक बड़ा झटका लगा।
इस हमले के बाद, अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंकवादी घोषित कर दिया, और उसके पीछे पूरा ख़ुफ़िया तंत्र लगा दिया। अमेरिका ने अल-कायदा के कई ठिकानों पर हमले किए, और उसके कई सहयोगियों को मार गिराया। लेकिन, ओसामा बिन लादेन को पकड़ने में अमेरिका को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। क्योंकि वो अपनी जगह बार बार बदलता रहता था, और अपने आप को दुनिया से छुपाता रहता। वह अपने संदेशों को वीडियो या ऑडियो के माध्यम से भेजता था, जिसमें वह अमेरिका और उसके मित्रों को धमकी और चुनौती देता था।
अमेरिका की खुफिया एजेंसी, सीआईए, ने ओसामा बिन लादेन को ढूंढने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया, जिसने उसके हर निशान को ट्रैक करने का प्रयास किया। सीआईए को यह पता चला कि ओसामा बिन लादेन का एक विश्वसनीय संपर्क, जिसे कुशीलदर नाम से जाना जाता था, पाकिस्तान में रहता है, और उससे बातचीत करता है। सीआईए ने कुशीलदर को नजर में रखा, और उसके फोन कॉल्स को इंटरसेप्ट किया। इससे सीआईए को यह पता चला कि कुशीलदर पाकिस्तान के एक गैरिसन शहर, अबोटाबाद में रहता है, और वहां एक बड़े और सुरक्षित कम्पाउंड में रहता है। सीआईए ने इस कम्पाउंड की सैटेलाइट और ड्रोन से निगरानी सुरु कर की, और उसमें कुछ अजीब बातें देखी। इस कम्पाउंड में कोई या इंटरनेट जैसी कोई सुविधा नहीं थी, और उसके चारों ओर ऊंची दीवारें और तारों की जाली थी। इस कम्पाउंड में एक बड़ा घर था, जिसमें ओसामा बिन लादेन अपनी तीन पत्नियों और छह बच्चों के साथ रहता था। इसके अलावा, उसके दो निजी गार्ड, उनकी पत्नियां और बच्चे भी वहां रहते थे। इस कम्पाउंड को बनाने में लगभग एक करोड़ रुपये खर्च हुए थे, और यह शहर के बाकी घरों से काफी अलग और बड़ा था।
सीआईए को शक हुआ कि इस कम्पाउंड में ओसामा बिन लादेन ही छिपा हुआ है, लेकिन उसका कोई पक्का सबूत नहीं था। इसलिए, वो अपने कुछ एजेंटों को वहां के आस-पास भेजकर जासूसी करने का काम करवाती रही। उन्होंने कुशीलदर के घर के सामने एक डॉक्टर की क्लिनिक खोली, जिसका नाम डॉ. शकील अफ्रीदी था। डॉ. अफ्रीदी ने ओसामा बिन लादेन के घर के लोगों को हेपेटाइटिस का टीका लगाने का बहाना बनाया, और उनके खून के नमूने लेकर अमेरिका को भेजा। इससे अमेरिका को ओसामा बिन लादेन के DNA का पता चला, और वो उसके रिश्तेदारों के साथ मिलाकर उसकी पहचान करने में कामयाब हुई।
अब जब अमेरिका को यकीन हो गया कि ओसामा बिन लादेन वहीं है, और उसने उसे मारने का प्लान बनाया। अमेरिका ने अपने नेवी सील्स की एक टीम को तैयार किया, जिसे ओसामा बिन लादेन को जिंदा या मृत पकड़ना था। इस टीम को अफगानिस्तान के एक एयरबेस पर ले जाया गया, और वहां से वो चार हेलीकॉप्टरों में बैठकर अबोटाबाद की ओर रवाना हुए। इस टीम का नेतृतव रोबर्ट ओनील नाम के एक कमांडो ने किया, जिसने बाद में दावा किया कि उसने ही ओसामा बिन लादेन को मारा था।
इस ऑपरेशन का नाम नेपच्यून स्पीयर रखा गया, और इसे रहस्यमय तरीके से आयोजित किया गया। अमेरिका ने पाकिस्तान को इस बारे में कुछ नहीं बताया, और उसके बिना ही उसके वायुक्षेत्र में प्रवेश किया। अमेरिका के पास ऐसे हेलीकॉप्टर थे, जो रडार से छिपे रह सकते थे, और उन्होंने अपने आप को पाकिस्तान की फ़ौज से बचाने के लिए इस्तेमाल किए।
दो मई 2011 की रात, अमेरिकी कमांडो अबोटाबाद पहुंचे, और ओसामा बिन लादेन के कम्पाउंड पर हमला करने लगे। उन्होंने अपने हेलीकॉप्टरों को उसके आँगन में उतारा, और उसके घर में घुस गए। उन्होंने अपने रास्ते में आने वाले सभी लोगों को मार डाला, जिनमें कुशीलदर, उसकी पत्नी, उसका बेटा, और ओसामा बिन लादेन के दो निजी गार्ड शामिल थे। उन्होंने घर की तीसरी मंजिल पर पहुंचकर ओसामा बिन लादेन को देखा, जो अपनी पत्नी के साथ अपने कमरे में था।
उन्होंने बिना किसी चेतावनी के ओसामा बिन लादेन पर गोलियां बरसाईं, सीने और सिर में लगने वाली दो गोलियों से उसकी मौत हो गई। उसकी पत्नी ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वो भी घायल हो गई। अमेरिकी कमांडो ने ओसामा बिन लादेन की लाश को अपने साथ ले लिया, और उसके घर में जिन्दा बच गए अन्य लोगों को बंधक बना लिया। उन्होंने उसके घर से कई दस्तावेज़, कंप्यूटर, हार्ड ड्राइव, वीडियो, फोटो, और अन्य सामग्री भी जब्त कर ली।
इस ऑपरेशन में एक ही अमेरिकी कमांडो घायल हुआ, जब उनका एक हेलीकॉप्टर खराब हो गया, और वो ओसामा के आँगन में गिर गया था। उन्होंने अपना हेलीकॉप्टर नष्ट कर दिया, और दूसरे हेलीकॉप्टरों में सवार होकर वहां से निकल गए। इस पूरे ऑपरेशन में उन्हें करीब 40 मिनट लगे।
अमेरिका ने इस ऑपरेशन की सफलता का ऐलान किया, और दुनिया भर में लोगों ने इसका स्वागत किया। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि ओसामा बिन लादेन की मौत से अमेरिका और दुनिया को न्याय मिला है, और यह एक बड़ी जीत है उनकी आतंकवाद के खिलाफ। वहीं, पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया, और अमेरिका को इसके लिए काफी बुरा भला कहा।
इसके बाद अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन की लाश को अपने एक युद्धपोत पर ले जाकर इस्लामिक रीति से अंतिम संस्कार किया, और उसे समुद्र में फेंक दिया। इससे पहले, उसका DNA टेस्ट करके उसकी पहचान की पुष्टि की गई। अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन की मौत की कोई तस्वीर या वीडियो जारी नहीं की, और कहा कि वो उसके परिवार और धर्म के प्रति सम्मान करता है।
ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद, उसके बच्चों और पत्नियों से पाकिस्तान की एजेंसियों ने पूछताछ की, और बाद में उन्हें सऊदी अरब और यमन में भेज दिया गया। उसके दो निजी गार्ड को पाकिस्तान की अदालत ने दो साल की सजा सुनाई, और फिर वो भी रिहा कर दिए गए। डॉ. शकील अफ्रीदी को पाकिस्तान ने गद्दारी का आरोप लगाकर 33 साल की सजा सुनाई, लेकिन बाद में उसकी सजा कम कर दी गई। अमेरिका ने उसकी रिहाई के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन अब तक वो पाकिस्तान की जेल में ही है।
ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद जैसा की मन जा रहा था की अब आतंकवाद का खत्म हो जायेगा लेकिन अफ़सोस की ओसामा की मौत के बाद भी अल कायदा का आतंक जारी रहा, और उसके उत्तराधिकारी अयमन अल-जवाहिरी ने उसका नेतृत्व संभाला। अल कायदा के अलावा, इस्लामिक स्टेट जैसे नए आतंकी संगठन भी उभरे, जिन्होंने दुनिया भर में कई हमले किए। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने इन आतंकी संगठनों को खत्म करने के लिए कई ऑपरेशन चलाए, जिसमे अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को मार गिराया, और उनके कब्जे में से कई इलाकों को आजाद करवाया। इस्लामिक स्टेट के सरगना अबू बक्र अल-बगदादी को भी 2019 में एक अमेरिकी ऑपरेशन में मार डाला गया। इसके बाद, इस्लामिक स्टेट का प्रभाव कम होता गया, लेकिन वो अभी भी कई देशों में अपने समर्थकों के साथ सक्रिय है।
अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के अलावा, दुनिया में और भी कई आतंकी संगठन हैं, जैसे तालिबान, बोको हराम, अल-शबाब, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और अन्य। ये सभी संगठन अपने-अपने क्षेत्रों में आतंक फैलाते हैं, और अक्सर आपस में भी टकराते हैं। इन संगठनों के खिलाफ लड़ने के लिए दुनिया के कई देशों ने एकजुट होकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझौते किए हैं। लेकिन, इन संगठनों को पूरी तरह से खत्म करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए लंबे समय और बहुत सारे प्रयास की जरूरत है।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका ने अपना एक महत्वपूर्ण दुश्मन ओसामा बिन लादेन को मार डाला, लेकिन उसके साथ ही उसने अपने कई मित्रों और सहयोगियों को भी खो दिया। अमेरिका ने अपने लोगों को न्याय दिलाने के लिए अपनी जान और संसाधनों का बहुत बलिदान किया है, लेकिन उसने अपने दुश्मनों को भी बहुत नुकसान पहुंचाया है। अमेरिका का यह ऑपरेशन इतिहास में एक यादगार घटना के रूप में दर्ज होगा, जिसने दुनिया को आतंकवाद के खतरे से आँखें खोली, और उसके विरोध में एक नई उम्मीद जगाई।
वैसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत भी अमेरिका का एक विश्वसनीय और अहम साथी रहा है। भारत ने अपनी सीमाओं और अंदरूनी इलाकों में आतंकवाद का सामना किया है, और उसने अपनी सुरक्षा और विकास को बनाए रखने के लिए अनेक उपाय किए हैं। भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को बार-बार आतंकवाद का समर्थन करने और उसे शरण देने के लिए निंदा की है। भारत ने अपने आतंकवाद के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी है, और उनके परिवारों को सहायता दी है।
भारत और अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर सहयोग और समन्वय बढ़ाया है। दोनों देशों ने आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं को खत्म करने के लिए अनेक ऑपरेशन किए हैं। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी तकनीकी, सैन्य और खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान किया है। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने मानवाधिकारों का सम्मान किया है, और उन्हें बचाने के लिए प्रयास किए हैं।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका का साथ एक मिसाल है, जिसने दुनिया को दिखाया है कि आतंकवाद को हराने के लिए एकता, साहस और निष्ठा की जरूरत है। दोनों देशों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका को और मजबूत बनाना होगा, और अन्य देशों को भी इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका का साथ दुनिया को एक बेहतर और शांतिपूर्ण कल की ओर ले जाएगा। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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