“Odisha Assembly Elections 2024: The Defeat of Naveen Patnaik and its Implications – AIRR News”

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Odisha की राजनीति में नवीन पटनायक का नाम एक ऐसा नाम है जो पिछले 24 सालों से सत्ता की धुरी रहा है। Odisha के कटक में जन्मे नवीन पटनायक ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा दिल्ली के लुटियंस इलाके के विशाल पारिवारिक संपत्ति में बिताया। उनके पिता बीजू पटनायक ने इस संपत्ति को जुब्बल के महाराजा से खरीदा था, और यह स्थान दिल्ली के सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का केंद्र बन गया था। यहाँ मिक जैगर, रॉबर्ट डी नीरो, जैकी केनेडी और ब्रूस चैटविन जैसी वैश्विक हस्तियों ने भी शिरकत की थी। -Odisha-Assembly-Elections-2024

लेकिन 1997 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, नवीन पटनायक ने दिल्ली की सामाजिक चकाचौंध को छोड़कर Odisha लौटने का निर्णय लिया और तब से लेकर अब तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत रहे। लेकिन 2024 के चुनाव में बीजू जनता दल की सत्ता का अंत और बीजेपी का उदय एक अप्रत्याशित झटका था। बीजेपी ने राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 78 और लोकसभा की 21 में से 20 सीटें जीतीं। बीजेडी मात्र 51 विधानसभा सीटों और लोकसभा में शून्य सीटों के साथ निराशाजनक स्थिति में है। इस चुनावी हार ने नवीन पटनायक के राजनीतिक करियर पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं ऐसे में नवीन पटनायक के इस राजनीतिक पतन के पीछे कौन से प्रमुख कारण हैं?-Odisha-Assembly-Elections-2024

क्या बीजेपी की यह जीत Odisha की राजनीति में एक स्थायी परिवर्तन लाएगी? नवीन पटनायक और बीजेडी के लिए आगे की राह क्या होगी?

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

Odisha विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की विजय और बीजेडी की हार ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है। नवीन पटनायक, जिन्होंने Odisha में 24 साल तक शासन किया, उनकी पार्टी बीजेडी को इस बार करारी हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी ने 147 विधानसभा सीटों में से 78 सीटें जीतीं और लोकसभा की 21 में से 20 सीटों पर कब्जा किया। जबकि बीजेडी सिर्फ 51 विधानसभा सीटें जीत सकी और लोकसभा में शून्य पर सिमट गई।-Odisha-Assembly-Elections-2024

बीजेडी की इस हार के पीछे कई प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। सबसे पहले, राज्य में बढ़ती “आउटसाइडर सेंटीमेंट” यानि बाहरी व्यक्ति के प्रति विरोध, विशेष रूप से वी.के. पांडियन के खिलाफ था, जो नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी और निजी सचिव थे। पांडियन, जो तमिलनाडु से हैं, को बीजेडी और राज्य की प्रशासनिक मशीनरी में अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता था। इस बाहरी व्यक्ति के शासन की धारणा ने Odisha की जनता के बीच असंतोष पैदा किया, जिसे बीजेपी ने बखूबी भुनाया। – Odisha-Assembly-Elections-2024

वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी ने Odisha अस्मिता, या Odisha की स्वाभिमान की भावना पर जोर दिया। पीएम मोदी ने 10 रैलिया और रोड शो किए, जबकि अमित शाह ने जोरदार अभियान चलाया। इन प्रयासों ने मतदाताओं के बीच गहरी छाप छोड़ी, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बीजेडी का पारंपरिक प्रभुत्व था।

इसके अलावा नवीन पटनायक की कम होती दृश्यता भी एक महत्वपूर्ण कारक थी। पिछले चुनावों के विपरीत, इस बार पटनायक कम दिखाई दिए। जिन रैलियों में वे उपस्थित हुए, वहाँ हमेशा उनके साथ वी.के. पांडियन थे, जो अक्सर माइक पकड़ते या पटनायक का हाथ स्थिर रखते नजर आते थे। इसने बीजेडी के अभियान को नीरस और कम प्रेरणादायक बना दिया। इसके विपरीत, बीजेपी के अभियान में पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, हिमंता बिस्वा सरमा और हेमा मालिनी जैसे नेताओं की मौजूदगी ने स्टार पावर दी, जिसकी बीजेडी को कमी खली।

बीजेडी की रणनीतिक गलतियों और उत्तराधिकार योजना की कमी भी उनकी हार में महत्वपूर्ण रही। बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर अघोषित समर्थन देने की बीजेडी की रणनीति उल्टी पड़ गई। इससे बीजेडी की विशिष्ट पहचान खत्म हो गई और उनके बीच असमंजस पैदा हो गया। 

इसके अलावा, पटनायक की स्वास्थ्य स्थिति पर बढ़ती चिंताओं ने स्थिति को और बिगाड़ दिया, जिससे मतदाताओं के बीच अस्थिरता और विश्वास की कमी पैदा हुई।

पश्चिमी Odisha में बीजेपी के रणनीतिक ध्यान ने भी उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संबलपुर में कैंप किया और क्षेत्र के विकास के वादों के साथ जोरदार अभियान चलाया। प्रधान की राष्ट्रीय नेता के रूप में छवि ने मतदाताओं को एक मजबूत विकल्प प्रदान किया, जबकि पटनायक के पास ऐसा कोई उत्तराधिकारी नहीं था जिसे सभी स्वीकार कर सकें।

वही बीजेडी का आत्मविश्वास भी उनकी हार का एक कारण था। चुनाव प्रचार के दौरान, बीजेडी का यह दावा था कि पटनायक आराम से छठी बार मुख्यमंत्री बनेंगे, जिससे पार्टी में आत्मसंतुष्टि और लापरवाही की भावना पैदा हो गई। वहीं, बीजेपी का ऊर्जावान और सशक्त अभियान इस पर भारी पड़ा और निर्णायक जीत दिलाई।

आपको बता दे कि रत्नभंडार विवाद, जो भगवान जगन्नाथ के खजाने की गुम चाबी से जुड़ा था, भी बीजेडी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। बीजेपी ने इस मुद्दे को बीजेडी की कुप्रबंधन और ओडिया सांस्कृतिक विरासत के प्रति अनादर के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया।

आपको बता दे कि नवीन पटनायक की राजनीतिक यात्रा और उनके पतन का विश्लेषण करने पर कई प्रमुख बिंदु उभर कर आते हैं। नवीन पटनायक ने 1997 में अपने पिता बीजू पटनायक की मृत्यु के बाद राजनीति में कदम रखा। बीजू जनता दल (बीजेडी) के नेता के रूप में, उन्होंने Odisha में विकास और सुशासन के एजेंडे को आगे बढ़ाया। उनकी सरल और निष्पक्ष छवि ने उन्हें जनता के बीच अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया। 

हालांकि, हाल के वर्षों में नवीन पटनायक के प्रशासन में कुछ कमजोरियाँ उभरकर सामने आईं। वी.के. पांडियन, जो उनके करीबी सहयोगी और निजी सचिव थे, को अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता था। पांडियन की भूमिका और उनकी शैली ने राज्य के लोगों के बीच असंतोष पैदा किया, जिसे बीजेपी ने बखूबी भुनाया।

बीजेपी की विजय के पीछे एक अन्य प्रमुख कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का आक्रामक अभियान था। उन्होंने Odisha अस्मिता पर जोर देते हुए राज्य की स्वाभिमान की भावना को उभारा। पीएम मोदी और अमित शाह की रैलियों और रोड शो ने मतदाताओं के बीच गहरी छाप छोड़ी। इसके अलावा, धर्मेंद्र प्रधान का पश्चिमी Odisha में जोरदार अभियान भी बीजेपी की जीत में महत्वपूर्ण रहा।

नवीन पटनायक की कम होती दृश्यता और बीजेडी की अभियान की कमी ने भी उनकी हार में योगदान दिया। पटनायक की स्वास्थ्य स्थिति पर बढ़ती चिंताओं ने भी स्थिति को बिगाड़ दिया। बीजेडी की रणनीतिक गलतियाँ, जैसे बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर अघोषित समर्थन देना और उत्तराधिकार योजना की कमी, ने उनकी हार को और भी स्पष्ट कर दिया।

हालाँकि भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसी कई घटनाएँ हैं जहाँ लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले नेता अचानक चुनाव हार गए। उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल में 2011 में ममता बनर्जी ने 34 साल के वामपंथी शासन को समाप्त किया था। इसी तरह, तमिलनाडु में 2016 के चुनाव में जयललिता की पार्टी AIADMK ने डीएमके को हराया था, जो लंबे समय से सत्ता में थी। इन घटनाओं ने साबित किया कि राजनीति में कोई भी पार्टी या नेता अजेय नहीं है।

तो इस तरह Odisha विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे साबित करते हैं कि राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं है। नवीन पटनायक की हार ने यह स्पष्ट किया कि जनता का समर्थन बनाए रखने के लिए नेताओं को लगातार जनता की भावनाओं और समस्याओं को समझना और हल करना होता है। बीजेपी की यह जीत Odisha की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ती है और बीजेडी के लिए एक नए सिरे से शुरुआत का अवसर प्रदान करती है।

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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