This is not the time for war, yet the world is on the brink of world war.

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    This is not the time for war, yet the world is on the brink of world war.

     ये युद्ध का समय नहीं, फिर भी दुनिया the brink of world war

    हम सब शांति चाहते हैं…क्योंकि हमें आगे बढ़ना है…विकास करना है…इसमें सबसे बड़ा रोड़ा अगर कोई है तो वो है दुनिया के कई इलाकों में जल रही युद्ध की आग…जो आए दिन एक नया फ्रंट खोल रही है…पिछले डेढ़ साल से रूस और यूक्रेन में युद्द जारी है…अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच एक साल से ठंडी पड़ी जंग की ज्वाला फिर भड़क गई है…इजराइल और गाजा पट्टी की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है…अमेरिका के साथ हथियारों की डील से तनाव इतना बढ़ गया कि चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है…दक्षिण कोरिया और चीन के निशाने पर है जापान यानि कहीं भी शांति नहीं है…भले ही पूरी दुनिया इस बात पर मुहर लगा रही है कि ये युद्ध का युग नहीं है…ऐसे समय में युद्ध पूरी दुनिया के लिए घातक है लेकिन सबसे ज्यादा युद्ध की इसी काल में हो रहा है…

    अजरबैजान और अर्मेनिया दोनों ही रूस के करीबी हैं लेकिन इन दोनों के बीच युद्ध करवाकर अमेरिका रूस को ये मजबूर कर रहा है कि वो अजरबैजान या अर्मेनिया में से किसी एक को चुने…चूंकि आर्मेनिया के साथ अमेरिका खड़ा है ऐसे में जाहिर है रूस अजरबैजान का ही साथ देगा…यानि जंग की असल वजह अमेरिका और रूस के बीच बढ़ा तनाव है जो रूस यूक्रेन युद्ध के अलावा दुनिया के दूसरे कोने में भी देखने को मिल रहा है…

    आर्मेनिया पूर्व सोवियत देश है जो अब तक अपनी रक्षा के लिए रूस पर निर्भर था…2020 में नागोर्नो-काराबाख को लेकर अजरबैजान के साथ हुए युद्ध के बाद आर्मेनिया ने अमेरिका से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी थी…पिछले साल अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी आर्मेनिया के दौरे पर पहुंची थीं… 

    अमेरिका के साथ अजरबैजान के इस प्लान से पुतिन पहले भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं…रूसी विदेश मंत्रालय ने इस पूरे मामले पर लंबे समय से सहयोगी आर्मेनिया के राजदूत को भी तलब किया था…इससे साफ होता है कि रूस और आर्मेनिया के बीच तनाव बढ़ गया है…जो कभी घनिष्ठ सहयोगी हुआ करते थे अब एक दूसरे के खिलाफ हैं जिसका कारण है सुपर पावर…जो आग में घी डालने का काम कर रहा है…

    भारत के  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कहा था कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’ तब फ्रांस और अमेरिका जैसी महाशक्तियों ने इसकी खुलकर तारीफ की थी और ये उम्मीद भी की थी कि ऐसा होना चाहिए…लेकिन इसके उलट ये दोनों देश यूक्रेन को जमकर हथियार मुहैया करा रहे हैं जिससे रूस के साथ उसकी जंग जारी रहे…इस बीच अब अमेरिका ने कहा है कि अगर भारत या कोई देश यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए ‘न्यायसंगत और स्थायी शांति’ के लिए मदद कर सकता है तो अमेरिका उसका स्वागत करेगा…यानि शांति की बात तो अमेरिका कर रहा है लेकिन युद्ध के हर फ्रंट पर आग में घी डालने का काम कर रहा है…ताइवान, यूक्रेन, जापान, आर्मेनिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को अत्याधुनिक हथियारों की ऐसी खेप दे रहा है जिससे जंग की ज्वाला कभी शांत नहीं होगी…

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