Newly emerged South Indian cicada species

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नए रूप में उभरा South Indian सीकड़ा प्रजाति

हाल ही में taxonomic research में आमतौर पर South Indian में पाई जाने वाली सिकाडा प्रजाति के संबंध में एक महत्त्वपूर्ण खोज का खुलासा किया गया है।

§  पहले इसे  Malaysian species Purana tigrina समझ लिया गया था लेकिन अब इस सिकाडा की पहचान Purana cheeveeda नामक एक विशिष्ट प्रजाति के रूप में की गई है।  

§  यह अध्ययन ecological assessments के लिये cicada के distribution के potential implications पर भी प्रकाश डालता है।

What are the Major Findings of the Research?

§  पुराना चीवीडा का वितरण South Indian में गोवा से कन्याकुमारी तक tropical evergreen forests में विस्तृत है।

§  यह खोज सिकाडा प्रजाति के बीच उच्च स्तर की स्थानिकता का समर्थन करती है।

§  विभिन्न क्षेत्रों में सिकाडा की घटती उपस्थिति deterioration of soil quality and vegetation का संकेत दे सकती है।

सिकाडा:

o सिकाडा वे कीड़े हैं जो Hemiptera क्रम और सुपरफैमिली सिकाडोइडिया से संबंधित हैं।

·         Hemipteran insects, जिन्हें true bugs भी कहा जाता है, अपने mouthparts का उपयोग भोजन खाने के लिये करते हैं तथा उनके two pairs of wings होते हैं।

o उनकी large eyes, transparent wings aur loud calls होती है जो विशेष अंगों द्वारा उत्पन्न होती है जिन्हें Tymbals कहा जाता है। 

o Dietary Pattern and Life Cycle

सिकाडा ज़्यादातर herbivorous हैं और पौधों से निकलने वाले रस/तरल पदार्थ का सेवन करते हैं।

o उनका जीवन चक्र जटिल होता है, अधिकांश समय वे भूमि के अंदर ही बढ़ते हैं और जब बड़े होते है तब बाहर निकलते हैं परंतु यह अवधि तुलनात्मक रूप से छोटी होती है। 

o Habitat:

o अधिकांश सिकाडा canopy के आसपास रहते हैं और बड़े पेड़ों वाले प्राकृतिक जंगलों में पाए जाते हैं। अंटार्कटिक को छोड़कर ये हर continent में पाए जाते हैं।

o भारत और बांग्लादेश सामान्यतः सिकाडा की generic diversity में दुनिया में सबसे उच्च स्थान रखते हैं, इसके बाद चीन का स्थान है।

§  Significance:  

o सिकाडा biodiversity के लिये महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि वे कई predators को भोजन प्रदान करते हैं, पुष्पों के परागण में सहायता करते हैं, soil को उपजाऊ बनाते हैं, पोषक तत्त्वों का recycle करते हैं और पर्यावरणीय स्वास्थ्य का संकेतक के रूप में कार्य करते  हैं।

§  प्रमुख खतरा:  

o Human development activities उन वृक्षों की संख्या को कम कर देती हैं जिन पर सिकाडा भोजन और प्रजनन के लिये निर्भर करते हैं।

o जलवायु परिवर्तन सिकाडा के emergence की timing and synchronization को बाधित कर सकता है।

o Pesticides, herbicides and fungicides soil एवं water को प्रदूषित करते हैं तथा सिकाडा और उनके host plants के health and survival को प्रभावित करते हैं।

निष्कर्ष में, हाल के टैक्सोनोमिक शोध ने दक्षिण भारत में पाए जाने वाले एक महत्वपूर्ण सीकड़ा प्रजाति, पुराना चीवीड़ा, के बारे में प्रकाश डाला है। यह खोज चीवीड़ा जनसंख्या की विविधता और समुद्रविशेषता को प्रकट करती है। उनके वितरण के प्रभावों के साथ-साथ सीकड़ों की पारिस्थितिकीय महत्व को दिखाते हुए मानव गतिविधियों और पर्यावरणीय परिवर्तनों के द्वारा पैदा होने वाले खतरों का सामना करने की तत्परता को दिलचस्पी देता है। इन अद्भुत कीटों की संरक्षण की महत्वपूर्णता, पारिस्थितिकी संरचना को बनाए रखने और मानव गतिविधियों और पर्यावरणिक परिवर्तनों द्वारा उन पर उत्पन्न खतरों का समाधान करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इन आश्चर्यजनक कीटों की रक्षा करना पारिस्थितिकी समुद्री संरचना के संतुलन और एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

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