New Twist in Maharashtra Politics: The Battle of Disqualification Petitions in Shiv Sena Factions
Maharashtra Politics में नया मोड़: शिवसेना गुटों में अयोग्यता याचिकाओं की लड़ाई
आज हम आपके सामने ला रहे हैं एक ऐसी कहानी जिसने Maharashtra Politics को हिला कर रख दिया है। शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चल रही अयोग्यता याचिकाओं की जंग में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने एक और नया मोड़ ला दिया है। इस नये मोड़ के बाद अब सबकी नजरें हैं विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर पर, जिन्हें 10 जनवरी, 2023 तक इन याचिकाओं पर फैसला लेने का समय दिया गया है। इस फैसले का असर सीधा महाराष्ट्र की सरकार पर पड़ेगा। तो बने रहिए हमारे साथ।
आपको बता दे कि महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चल रही अयोग्यता याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से दिसंबर तक इन याचिकाओं पर फैसला लेने का निर्देश दिया था, लेकिन इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें इसके लिए और समय की जरूरत है।
ये सभी याचिकाएं शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट की ओर से दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं में कुछ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने के लिए अनुरोध किया गया है।
इन विधायकों में से कुछ शिवसेना के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों हैं, जो जून, 2022 में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के फैसले में समर्थक बने । इससे उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और विपक्ष में जाना पड़ा।
इन सभी विधायकों के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने अयोग्यता याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ये विधायक शिवसेना के नियमों का उल्लंघन करके भाजपा के साथ गठबंधन कर रहे हैं। इसलिए, उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।
दूसरी तरफ राकांपा के शरद पवार ने भी शिवसेना के कुछ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ये विधायक राकांपा के नियमों का उल्लंघन करके भाजपा के साथ गठबंधन कर रहे हैं। इसलिए, उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।
इन याचिकाओं की सुनवाई में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके फैसले पर निर्भर करेगा कि महाराष्ट्र में कौन सी सरकार बनेगी। अगर वे शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करते हैं, तो उद्धव ठाकरे गुट को फिर से सत्ता में आने का मौका मिल सकता है। लेकिन अगर वे उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करते हैं, तो शिंदे गुट को सत्ता में बने रहने का मौका मिल सकता है।
इसलिए हम कह सकते है कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला महाराष्ट्र की राजनीति को पूरी तरह बदल सकता है। इसके अलावा, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी निगरानी रखी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला अंतिम नहीं होगा, और यदि किसी विधायक को अयोग्य घोषित किया जाता है, तो उसे अपनी बचाव के लिए न्यायालय में जाने का अधिकार होगा।
इस प्रकार, महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चल रही अयोग्यता याचिकाओं की जंग अभी भी जारी है, और इसका अंजाम किसी को नहीं पता है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष का फैसला और सुप्रीम कोर्ट का रुख दोनों ही महत्वपूर्ण होंगे।
महाराष्ट्र की राजनीति में इस तरह की उलझन और अस्थिरता का प्रभाव आम जनता पर भी पड़ रहा है। कई लोग इस बात का विरोध कर रहे हैं कि शिवसेना के विधायक अपने वादे और वोटर्स के भरोसे को तोड़कर गठबंधन बदल रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इस बात का समर्थन कर रहे हैं कि शिवसेना के विधायक अपनी मर्जी से किसी भी गठबंधन में शामिल हो सकते हैं, और इसमें उन्हें अयोग्य नहीं कहा जा सकता है।
इस प्रकार, महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चल रही अयोग्यता याचिकाओं की जंग ने राजनीति को बेहद रोमांचक बना दिया है। इस मामले में आने वाले दिनों में क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
धन्यवाद्।
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