New Twist in Karnataka Politics: Demand for Three Deputy CMs | AIRR News

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Karnataka की राजनीति हमेशा से ही रोमांचक और उतार-चढ़ाव से भरी रही है। इसमें जहां एक ओर राजनीतिक साजिशों और रणनीतियों का खेल होता है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न समुदायों और उनके नेताओं के बीच शक्ति संतुलन की जंग भी चलती रहती है। ऐसी ही एक दिलचस्प घटना हाल ही में घटी, जब Karnataka में तीन और उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग तेजी से बढ़ने लगी। -New Twist in Karnataka Politics

इस घटना के मुख्य पात्र हैं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और विश्व वोक्कालिगारा महासंस्थान मठ के चंद्रशेखर स्वामी। चंद्रशेखर स्वामी ने सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से अपने पद से इस्तीफा देने और डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने का आग्रह किया। इस मांग ने राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जिससे न केवल कांग्रेस पार्टी के भीतर, बल्कि राज्य के सभी राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।-New Twist in Karnataka Politics

क्या मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस मांग को स्वीकार करेंगे? क्या डी.के. शिवकुमार Karnataka के नए मुख्यमंत्री बनेंगे? और अगर ऐसा होता है, तो इससे राज्य की राजनीति और कांग्रेस पार्टी पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इन सवालों के जवाब जानने के लिए आइए इस घटना का विस्तृत विश्लेषण करते हैं।-New Twist in Karnataka Politics

नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

Karnataka की राजनीति में हाल के दिनों में तीन और उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। विश्व वोक्कालिगारा महासंस्थान मठ के चंद्रशेखर स्वामी ने सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से अपने पद से इस्तीफा देने और डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने का आग्रह किया है। इस मांग के पीछे कई कारण और विवाद हैं, जिन्हें समझना महत्वपूर्ण है।-New Twist in Karnataka Politics

वर्तमान में, डी.के. शिवकुमार Karnataka के एकमात्र उप-मुख्यमंत्री हैं और वोक्कालिगा समुदाय के प्रमुख नेता हैं। वोक्कालिगा समुदाय Karnataka की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और शिवकुमार का नेतृत्व इस समुदाय के समर्थन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। 

वही चंद्रशेखर स्वामी का यह आग्रह कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने पद से इस्तीफा दें और डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं, राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है। यह मांग उस समय की गई जब बेंगलुरु के संस्थापक केम्पे गौड़ा की 515वीं जयंती के अवसर पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार दोनों उपस्थित थे।

वैसे कांग्रेस पार्टी के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद हैं। चन्नागिरी के कांग्रेस विधायक बसवराजू वी. शिवगंगा ने भी डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि “पार्टी हाई कमान को अधिक उप-मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करना चाहिए, अगर आवश्यकता हो तो उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, हमें कोई आपत्ति नहीं है।” उन्होंने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष के रूप में डी.के. शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस ने इस बार नौ लोकसभा सीटें जीती हैं, जो पिछली बार केवल एक सीट थी। 

इसपर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि कांग्रेस हाई कमान का फैसला अंतिम होगा। उन्होंने कहा, “जो भी हाई कमान का फैसला होगा, वह अंतिम होगा।” कुछ मंत्रियों ने वीरशैव-लिंगायत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदायों से नेताओं को उप-मुख्यमंत्री पद देने की मांग की है। 

वही डी.के. शिवकुमार ने मंत्रियों की इस मांग पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी उचित प्रतिक्रिया देगी। उन्होंने कहा, “कोई भी कोई मांग कर सकता है, पार्टी उन्हें उचित प्रतिक्रिया देगी।” जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी में अधिक उप-मुख्यमंत्री बनाने की योजना है, तो उन्होंने कहा, “आप कृपया मल्लिकार्जुन खड़गे और हमारे प्रभारी महासचिव से मिलें या मुख्यमंत्री से पूछें।”

कांग्रेस पार्टी ने पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच फैसला किया कि डी.के. शिवकुमार “केवल” उप-मुख्यमंत्री होंगे। यह निर्णय कांग्रेस नेतृत्व द्वारा शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद की मांग छोड़ने और उप-मुख्यमंत्री पद को स्वीकार करने के लिए मनाने के दौरान किया गया एक “प्रतिबद्धता” थी।

डी.के. शिवकुमार, Karnataka के प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय के प्रमुख नेता हैं। वोक्कालिगा समुदाय Karnataka की सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और शिवकुमार का नेतृत्व इस समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व करने में महत्वपूर्ण है। उनके नेतृत्व का महत्व इस बात से भी है कि वह वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन बनाए रखने में सफल रहे हैं, जो राज्य में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है।

आपको बता दे कि Karnataka की राजनीति में समुदायों का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण रहा है। राज्य में मुख्य रूप से दो प्रमुख समुदाय हैं – लिंगायत और वोक्कालिगा। इन दोनों समुदायों के नेताओं का राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

वोक्कालिगा समुदाय Karnatakaमें एक प्रमुख और राजनीतिक रूप से सक्रिय समुदाय है। इस समुदाय के नेताओं ने राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डी.के. शिवकुमार जैसे नेता वोक्कालिगा समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं, जिन्होंने अपने समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व करते हुए कांग्रेस पार्टी को मजबूत किया है।

हालाँकि लिंगायत समुदाय भी Karnataka की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस समुदाय के नेता जैसे बी.एस. येदियुरप्पा ने राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लिंगायत समुदाय का समर्थन हासिल करना किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होता है।

बाकि कांग्रेस पार्टी के भीतर सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार के बीच सत्ता संघर्ष लंबे समय से चल रहा है। दोनों नेता अपने-अपने समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं और पार्टी के भीतर महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इस संघर्ष का मुख्य कारण मुख्यमंत्री पद की दावेदारी है।

अब भविष्य में कांग्रेस पार्टी को इस संघर्ष का समाधान निकालना होगा। पार्टी को अपने नेताओं के बीच सामंजस्य बनाए रखना होगा ताकि वह राज्य की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रख सके। इसके लिए पार्टी को विभिन्न समुदायों के नेताओं को उचित प्रतिनिधित्व देना होगा और उनकी मांगों पर विचार करना होगा।

Karnataka की राजनीति में इस प्रकार की घटनाएँ पहले भी हो चुकी हैं। जैसे कि 2019 में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन सरकार गिरने के बाद बी.एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी सरकार का गठन हुआ था। उस समय भी विभिन्न समुदायों के नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष देखने को मिला था। 

एक अन्य उदाहरण है 2018 में कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री बनने का, जब कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन ने सरकार बनाई थी। उस समय भी मुख्यमंत्री पद के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली थी।

तो इस तरह Karnataka की राजनीति में विभिन्न समुदायों और उनके नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान में चल रही तीन और उप-मुख्यमंत्री बनाने की मांग ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस मांग का समाधान निकालना कांग्रेस पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होगा ताकि वह राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रख सके।

इस वीडियो में इतना ही बाकि अगली वीडियो में हम आपको बताएंगे कि कैसे Karnataka की राजनीति में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के बीच सत्ता संघर्ष ने राज्य की राजनीति को प्रभावित किया है। इसके अलावा, हम आपको दिखाएंगे कि इन समुदायों के नेताओं ने अपने-अपने समुदायों के हितों का कैसे प्रतिनिधित्व किया है और उनकी राजनीति में क्या भूमिका रही है।

नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़। 

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