“New Indian Penal Code Explained: From IPC to BNS, BNSS & BSA | AIRR News”

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कभी-कभी इतिहास के पन्नों को पलटते समय हमें उन बदलावों का एहसास होता है जो समाज और कानून में आते रहते हैं। “श्री 420” जैसी फिल्मों में दिखाए गए भारत के दिल में छुपे देशभक्ति के भाव आज भी उतने ही सजीव हैं। परंतु यदि आज के परिदृश्य में उस फिल्म का पुनः निर्माण किया जाए, तो शायद उसे “श्री 318” कहा जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय दंड संहिता यानि IPC के कुछ जाने-माने अनुच्छेद अब बदल दिए गए हैं, और उनका स्थान नई भारतीय न्याय संहिता BNS, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता BNSS, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम BSA ने ले लिया है।-New Criminal Laws update

इस बदलाव के साथ हमारे कानूनी ढांचे में न केवल अनुच्छेदों की संख्या बदली है, बल्कि न्याय प्रणाली में भी महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। लेकिन क्या ये सुधार वास्तव में हमारे समाज के लिए लाभदायक हैं, या फिर इससे न्याय पाने में और भी कठिनाईयां आएंगी? ये सवाल आज हर किसी के मन में उठ रहे हैं।

आइये इन सभी सवालो का जवाब ढूंढते है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-New Criminal Laws update

भारतीय दंड संहिता यानि IPC 1860, दंड प्रक्रिया संहिता CrPC 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम Indian Evidence Act 1872 को अब भारतीय न्याय संहिता BNS, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता BNSS, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम BSA ने प्रतिस्थापित कर दिया है। इन नए कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी और आधुनिक बनाना है।

उदाहरण के लिए, जहां पहले हत्या का अपराध धारा 302 के अंतर्गत आता था, अब इसे धारा 103 के अंतर्गत रखा गया है। बलात्कार का अपराध, जो पहले धारा 376 के अंतर्गत था, अब धारा 64 के तहत दंडनीय होगा। इसी प्रकार, कर्फ्यू लगाने के लिए अब धारा 144 के बजाय धारा 163 का उपयोग किया जाएगा।-New Criminal Laws update

हालाँकि BNS, BNSS, और BSA का मुख्य उद्देश्य कानूनी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और पीड़ितों के हितों की रक्षा करना है। उदाहरण के लिए, नए कानूनों के तहत 7 साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के मामले में तलाशी और जब्ती की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी। इससे न केवल अपराध की जांच में मदद मिलेगी बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा भी होगी।

वही अपराध स्थल पर फोरेंसिक विशेषज्ञों की उपस्थिति भी अनिवार्य की गई है, जो न्याय प्रक्रिया को और अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाएगी।-New Criminal Laws update

अब न्यायपालिका ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग के जरिए तलाशी और जब्ती की प्रक्रिया की निगरानी कर सकेगी, जिससे किसी भी प्रकार की प्रक्रिया में असंगतियों को रोका जा सकेगा।

हालांकि, नए कानूनों का स्वागत सभी ने नहीं किया है। कई राज्य बार एसोसिएशनों ने इन कानूनों के खिलाफ हड़ताल की धमकी दी है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया यानि BCI के अध्यक्ष मनोन कुमार मिश्रा ने कहा कि वे वकीलों की चिंताओं को केंद्र सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।

कुछ प्रमुख कानूनी विशेषज्ञ जैसे कि कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, अभिषेक मनु सिंघवी, विवेक टंखा, पी विल्सन, दुश्यंत दवे, और इंदिरा जयसिंग ने इन कानूनों का कड़ा विरोध किया है। उनका मानना है कि ये कानून न्यायिक प्रक्रिया में और अधिक कठिनाईयां उत्पन्न करेंगे।

ऐसे में ये सवाल कि नए कानूनों की आवश्यकता क्यों पड़ी? बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 काफी पुराने हो चुके थे। समय के साथ समाज में आए बदलावों और नए प्रकार के अपराधों की बढ़ती संख्या ने इन कानूनों में सुधार की मांग की। 

बाकि नए कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाना है। हालांकि, इनके लागू होने में कई चुनौतियां हैं। कानूनी समुदाय के विरोध और नए प्रावधानों को लागू करने में आने वाली कठिनाइयों के बावजूद, यदि इन्हें सही तरीके से लागू किया जाए तो यह न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार साबित हो सकते हैं।

तो यह थी आज की हमारी वीडियो। अगर आपको यह वीडियो पसंद आई हो, तो कृपया लाइक, शेयर और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। अपनी राय और सुझाव कमेंट बॉक्स में दें। हम फिर मिलेंगे एक नई वीडियो के साथ। तब तक के लिए, नमस्कार! आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

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