आपको याद होगा कि पाकिस्तान में 2024 के आम चुनावों में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) या पीएमएलएन ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं, लेकिन उनके पास अकेले सरकार बनाने का बहुमत नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने पूर्व साथी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ साथ अन्य छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन सरकार बनाने का फैसला किया था। इसके लिए उन्होंने अपने छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को जिम्मेदार बनाया था।
लेकिन अब ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि Nawaz Sharif ने गठबंधन सरकार बनाने का अपना इरादा बदल दिया है, और वो अब विपक्ष में बैठना चाहते हैं। इसके पीछे क्या कारण हैं? क्या यह फैसला उनकी अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, या फिर इसमें पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है? क्या इससे पाकिस्तान की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर कोई असर पड़ेगा? और क्या इससे भारत और दुनिया के साथ पाकिस्तान के रिश्तों में कोई बदलाव आएगा? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ, क्योंकि हम आपको इस मुद्दे पर बताएंगे कि इसके पीछे कौन सी ताकतें काम कर रही हैं, और इसके आगे क्या हो सकता है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
पाकिस्तान में राजनीतिक उलटफेर की शुरुआत तब हुई, जब जमात-उल-इस्लामी (फजल) के नेता फजलुर रहमान ने पाकिस्तानी मीडिया के एक इंटरव्यू में यह दावा किया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 2024 के चुनावों में पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने हराया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पाकिस्तान के पूर्व आईएसआई प्रमुख फैज हमीद ने इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए कहा था, और इसमें पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) का भी अहम योगदान था।
फजलुर रहमान ने दावा करते हुए यह भी कहा कि उन्हें आईएसआई के दफ्तर में बुलाकर इस बात की धमकी दी गई थी कि अगर वो इस डील को नहीं मानते तो उनके खिलाफ आतंकवाद के मामले दर्ज कर दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें इस डील के तहत नवाज शरीफ के खिलाफ भी बोलने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने इसके लिए मना कर दिया।
फजलुर रहमान के इस खुलासे ने पाकिस्तान की राजनीति में एक नया हंगामा खड़ा कर दिया। पीटीआई और आईएसआई ने इन आरोपों को झुठला दिया और उन्हें बेबुनियाद और निराधार बताया। वहीं पीएमएलएन और पीपीपी ने इन आरोपों को सच माना और इसे पाकिस्तान की जमहूरियत के लिए एक खतरा बताया। उन्होंने आईएसआई को राजनीति से दूर रहने और चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने की मांग की।
इस बीच, नवाज शरीफ ने अपने भाई शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित करने का फैसला बदल दिया है। उन्होंने अपने दल के वरिष्ठ नेता शहीद खाकान अब्बासी को इस पद के लिए चुना है। उन्होंने कहा कि वो अपने भाई को पंजाब के मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, क्योंकि वो वहां के विकास के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वो अपनी बेटी मरियम नवाज को अभी राजनीति में नहीं लाना चाहते हैं, क्योंकि वो अभी अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं।
इस प्रकार, नवाज शरीफ ने अपने दल के अंदर और बाहर दोनों तरफ से अपनी राजनीतिक चाल चली है। वो अपने भाई को पंजाब में मजबूत करना चाहते हैं, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा और अहम प्रांत है। साथ ही वो अपनी बेटी को अभी राजनीति से दूर रखकर उनकी सुरक्षा करना चाहते हैं, क्योंकि वो अपने पिता की तरह आईएसआई और सेना के निशाने पर हैं। और वो अपने दल को एक नए नेता के साथ एकजुट करना चाहते हैं, जो इमरान खान के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष का रूप ले सके।
ऐसे में क्या नवाज शरीफ की यह राजनीतिक चाल कामयाब होगी? क्या वो अपने दल को एक साथ रख पाएंगे? क्या वो आईएसआई और सेना के दबाव से बच पाएंगे? क्या वो इमरान खान की सरकार को गिराने में कामयाब होंगे? या फिर वो अपनी राजनीतिक जिंदगी के आखिरी दौर से गुजर रहे हैं? इन सभी सवालों के जवाब के लिए आपको देखना होगा कि आगे क्या होता है।
नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
Extra 🙂
पाकिस्तान, नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ, पाकिस्तान मुस्लिम लीग, पीएमएलएन, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी, पीपीपी, आम चुनाव, गठबंधन सरकार, विपक्ष, राजनीतिक चाल, AIRR न्यूज़,Pakistan, Nawaz Sharif, Shahbaz Sharif, Pakistan Muslim League, PMLN, Pakistan Peoples Party, PPP, General Elections, Coalition Government, Opposition, Political Strategy, AIRR News