सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने का दिया अधिकार

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मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह निर्णय इस्लामी शरीयत के खिलाफ है–Muslim Women Alimony

निर्णय से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को वित्तीय स्थिरता और आत्मनिर्भरता मिलेगी।

NCW ने  निर्णय का किया  स्वागत –Muslim Women Alimony

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सुप्रीम कोर्ट का हाल ही में एक निर्णय आया  कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं, अब इस फैसले के बाद से देश में व्यापक चर्चा और विवाद का विषय बना हुआ है। मुस्लिम संगठनों का मानना है कि इस तरह  के निर्णय इस्लामी शरीयत के खिलाफ हैं… वे मानते हैं कि शरीयत के अनुसार, तलाक के बाद महिला का गुजारा भत्ता उसके परिवार द्वारा दिया जाना चाहिए न कि पूर्व पति द्वारा। अब इस मुद्दे पर लोगों की अलग अलग प्रकार का प्रतिक्रिया सामने आ रही है….-Muslim Women Alimony    

 इस मुद्दे पर मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि शरीयत के हिसाब से तलाकशुदा महिलाओं का गुजारा भत्ता उनके पहले पति द्वारा नहीं बल्कि उनके परिवार द्वारा दिया जाना चाहिए। यह तर्क इस्लामिक कानून और परंपराओं पर आधारित है, जो कि पारिवारिक और सामुदायिक समर्थन को प्राथमिकता देता है, क्योंकि उनके शरीयत के हिसाब से, तलाक के बाद महिला का नाता उसके पति से समाप्त हो जाता है, और उसके गुजारे की जिम्मेदारी उसके परिवार पर होती है।-Muslim Women Alimony

तो वही दूसरी तरफ एक तर्क ये कहता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को वित्तीय स्थिरता मिलेगी, जिससे वे आत्मनिर्भर हो सकेंगी। यह निर्णय महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.. महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण  होना न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि समाज में उनकी स्थिति को भी मजबूत करता है। इस निर्णय के पीछे का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें और समाज का एक बडा तबका इस से प्रभावित न हों,  इसलिए राष्ट्रीय महिला आयोग NCW ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत किया है। एनसीडब्ल्यू का मानना है कि यह निर्णय महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि “इस निर्णय से महिलाओं को न्याय मिलेगा और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा।”

इसी के साथ हम बात करें तो विश्व बैंक की  रिपोर्ट की तो, उसके हिसाब से, आर्थिक स्वतंत्रता महिलाओं की समग्र भलाई और सामाजिक स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “आर्थिक रूप से स्वतंत्र महिलाएं न केवल अपने परिवारों को बेहतर जीवन दे सकती हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक योगदान कर सकती हैं।” इस रिपोर्ट के आधार पर कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हम अगर हम कानूनी नजरिए से भी देखें तो भी ये निर्णय महत्वपूर्ण है.. क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि भारत का संवैधानिक कानून किसी भी धार्मिक कानून से ऊपर है। इस निर्णय ने यह भी बताता है कि किसी भी धर्म की महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संविधान का सहारा ले सकती हैं। यह निर्णय महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उन्हें न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

हालांकि, इस निर्णय के विरोध में कई आवाजें उठ रही हैं क्योंकि कुछ मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह निर्णय इस्लामिक कानून और परंपराओं के खिलाफ है। वे इसे धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के रूप में देखते हैं। वहीं, दूसरी ओर, महिला अधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का समर्थन किया है। उनका मानना है कि यह निर्णय महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करेगा।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय न केवल महिलाओं को वित्तीय स्थिरता प्रदान करेगा बल्कि उनके आर्थिक सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देगा। हालांकि, इस निर्णय के खिलाफ उठने वाली आवाजें इस मुद्दे को और भी जटिल बना देती हैं। लेकिन, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हर महिला को न्याय और अधिकार मिले ताकि वे समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकें।इस निर्णय के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इसे लागू करने में क्या चुनौतियाँ सामने आती हैं और सरकार और समाज इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। यह निर्णय निश्चित रूप से महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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Question —

1–सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया निर्णय में किस बात का समर्थन किया है?

2–मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का विरोध क्यों किया है?

3–सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को क्या लाभ होगा?

4–राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत कैसे किया है?

5—विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता के क्या लाभ होते हैं?
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