The Murder of Kanhaiyalal Teli: A Mirror to Political Tensions and Communal Strife
Kanhaiyalal Teli की हत्या: राजनीतिक तनाव और सांप्रदायिक संघर्ष का एक दर्पण
Kanhaiyalal Teli, ये नाम आपके जेहन में आते ही एक साथ हज़ारो विचार मन में कौंध जाते है , की आखिर उनकी हत्या और उसके बाद मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर निशाना क्यों साधने लगते है , क्या Kanhaiyalal Teli की हत्या ने उन्हें एक शस्त्र दे दिया है जिसकी आड़ में वे अपने राजनीतिक हित साधने में लगे हुए है।
राजस्थान चुनावो के लिए 25 नवम्बर को मतदान हो चूका है अब बस रिजल्ट का इंतज़ार है लेकिन इन चुनावो में होने वाली जनसभाओं में Kanhaiyalal Teli जी की हत्या का मुद्दा हर कोई भुन्नाने में लगा हुआ था।
आपको बता दे कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक जनसभा में गहलोत की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला और उन्हें तेली की हत्या पर “वोट-बैंक की राजनीति” करने का गंभीर आरोप लगाया। राजस्थान में मोदी जी के इस भाषण से , इस मामले के राजनीतिक प्रभाव स्पष्ट हो गए थे।
इसके बाद गहलोट ने भी ये दावा किया कि कन्हैया लाला के हत्यारों को पुलिस हिरासत से भाजपा के दबाव में छोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं ने आरोपियों की गिरफ्तारी में हस्तक्षेप किया था।
इन चुनावो में कांग्रेस और भाजपा दोनों इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का लाभ उठा रहे थे, इसे एक जुटाव का बिंदु के रूप में उपयोग कर रहे थे और अपने विरोधियों की इस हत्या कांड के लिए आलोचना करने में इस्तेमाल कर रहे थे।
कन्हैया लाल जी की हत्या जैसे विवादों ने भारत में साम्प्रदायिक संघर्ष और राजनीतिक तनाव को बढ़ावा दिया था। इसके अलावा, ये घटनाएं भारतीय समाज और राजनीति में मौजूद गहरी दरारों को भी उजागर करती हैं।
अब बात करते है कन्हैया लाल तेली जी की हत्या के मामले कि, आपको बता दे कि, कन्हैया लाल एक हिंदू दर्जी थे ,जो राजस्थान के उदयपुर के धनमंडी क्षेत्र में रहते थे। उनकी हत्या 28 जून 2022 को हुई थी। वे हिंदू तेली समुदाय से संबंधित थे। उनकी हत्या के पीछे की वजह उनका एक सामाजिक मीडिया पोस्ट था, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नुपूर शर्मा के भाषण का समर्थन किया था।
इस पोस्ट के कारण उनके पड़ोसी नजीम ने उनके खिलाफ पुलिस में एक मामला दर्ज कराया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार किया गया। बाद में, उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया था। इसके बाद जून 15 को अज्ञात लोगो द्वारा उन्हें जब मौत की धमकिया मिली तो इस बार में उन्होंने स्थानीय पुलिस स्टेशन में एक अनुरोध किया की उन्हें सुरक्षा की जरुरत है , लेकिन अफ़सोस पुलिस ने उनकी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया।
इसके बाद 28 जून 2022 को , हत्या के दिन, दो हमलावरों ने उनकी दुकान में प्रवेश किया और खुद को ग्राहक के रूप में पेश किया और उसके बाद उन दोनों ने मिलकर कन्हैया लाल की हत्या कर दी , इस घटना का हमलावरों ने वीडियो भी बनाया और साथ ही क़त्ल करने की जिम्मेदारी भी खुद पर ली।
वायरल वीडियो में क़त्ल करते मुहम्मद रियाज अत्तारी और मुहम्मद घौस को आसानी से पहचाना जा सकता है।
इस हत्या के बाद, क्षेत्र में कर्फ्यू घोषित किया और सूचना के तमाम माध्यम जैसे इंटरनेट ,मोबाइल सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गयी , कन्हैया लाल की हत्या ने भारत भर में आक्रोश भर दिया और इसके बाद राजस्थान के कई इलाको में दंगे भी भड़के।
इस घटना के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस हत्या के हत्यारों को भाजपा से जोड़कर आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य के विधानसभा चुनावों के आगे साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश की है , इसके अलावा, भाजपा नेताओं का आरोपियों की गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाया गया।
आपको बता दे कि, इस हत्या के बाद, न्यायिक प्रक्रिया में भी काफी विवाद उठे थे. उदयपुर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रफुल्ल कुमार ने बताया था कि “हमने अब दो मास्टरमाइंड्स को गिरफ्तार किया है, और पहले हमने दो पुरुषों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने इस इस हत्या कांड को किया था”।
इस हत्या कांड के बाद, महाराष्ट्र राज्य में 21 जून को एक और घटना हुई जिसमें एक चिकित्सक की नूपुर शर्मा के सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों का समर्थन करने के लिए चाकू मारकर हत्या कर दी गई।
इसके अलावा, अफगानिस्तान में, आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने पिछले महीने एक सिख मंदिर पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें कम से कम दो लोगों की मौत हुई और सात लोग घायल हुए, और कहा कि यह हमला भारत में मुहम्मद पर लगाए गए अपमान के जवाब में किया गया था।
इन सभी विवादों ने भारत में साम्प्रदायिक संघर्ष और राजनीतिक तनाव को बढ़ावा दिया था. इसके अलावा, ये घटनाएं भारतीय समाज और राजनीति में मौजूद गहरी दरारों को उजागर करती हैं।कन्हैया लाल तेली की हत्या के बाद राजस्थान की राजनीति में काफी हलचल मची थी।
3 दिसम्बर को आने वाले राजस्थान और अन्य राज्यों के चुनावी नतीजों पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस पर आपकी क्या राय है। आप हमें कमैंट्स बॉक्स में जरूर बताइये।
धन्यवाद !
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