MP ELECTION ANALYSIS: Madhya Pradesh Election Drama: Awaited Dec 3rd Verdict Unveils Political King.
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 17 नवंबर को हो चुके हैं.. और अब सभी को इंतजार है 3 दिसंबर का.. क्योंकि इस दिन चुनाव के नतीजे आने वाले हैं… इस दिन तस्वीर साफ होने वाली है कि मध्यप्रदेश के सियासी रण का सरताज कौन है.. क्या मध्यप्रदेश में शिवराज की वापसी होगी या कमलनाथ के सिर पर ताज होगा..
आपको बता दें 230 सीटों पर हुए Madhya Pradesh Election में इस बार में 77.15 फीसदी मतदान हुआ है… अगर 2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो 75.05 प्रतिशत मतदान हुआ था.. यानि इस बार 2.10 प्रतिशत मतदान बढ़ा है.. अब सवाल ये उठता है कि ये बंपर वोटिंग किस ओर इशारा करता है… क्या इस बार जनता के मन में सरकार के खिलाफ गुस्सा है.. क्या जनता को शिवराज के वादों का पिटारा पसंद नहीं आया… या जनता कमलनाथ के वादों से खुश हैं…
क्योंकिं ज्यादा वोटिंग अक्सर बदलाव के लिए ही होती है.. आंकड़ों भी यही बताते हैं कि ज्यादा वोटिंग से सरकार और सत्ता बदलती है… 2013 विधानसभा चुनाव की बात करें तो 72.07 प्रतिशत मतदान हुआ था.. वहीं 2018 में 75.49 फीसदी वोटिंग हुई थी.. इस बढ़ी हुई वोटिंग से कांग्रेस को फायदा हुआ, सत्ता बदली और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी.. वैसे पूरे प्रदेश में पिछले चुनाव की तुलना में इस बार 2.10 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है…
इस बार के मतदान में कुछ ऐसा हुआ है जो पहले देखने को नहीं मिला है.. जैसे बालाघाट जिले के सोनेवानी मतदान केंद्र में सबसे कम 42 मतदाता थे लेकिन यहां 100 प्रतिशत मतदान हुआ… बालाघाट नक्सल बेल्ट माना जाता है और यहां दोपहर 3 बजे तक ही मतदान करवाया गया… वहीं पहली बार महिला वोटरों ने जमकर मतदान किया है… चुनाव आयोग के मुताबिक कुल 2.72 करोड़ महिला वोटरों में से 1.93 करोड़ ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया..
महिलाओं की बंपर वोटिंग इस बार कई नए समीकरण बना रही है.. क्योंकि शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना प्रभावी मानी जा रही है.. क्योंकि इस योजना के तहत हर महीने 1250 रुपए महिलाओँ के खाते में डाले जा रहे हैं.. इसलिए राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सरकार की ये योजना का ही प्रभाव है कि महिलाओं ने बंपर वोटिंग की है.. हालांकि ये तर्क पूरी तरह से सही भी नहीं माना जा सकता.. क्योंकि कमलनाथ ने नारी सम्मान योजना के तहत हर महीने 1500 रुपए देने का वादा किया है.. इसलिए जानकारों का ये भी मानना है कि महिलाओं ने कांग्रेस को बंपर वोट दिया है..
हालांकि पूरी तरह से दोनों तथ्यों से इनकार नहीं किया जा सकता… इसी तरह आदिवासी वर्ग भी इस बार बेहद अहम फैक्टर है.. 2018 में ये वर्ग कांग्रेस के साथ था… इसलिए कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो पाई थी.. प्रदेश में आदिवासियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं.. इस बार बीजेपी कांग्रेस के अलावा अन्य दल भी हैं जो आदिवासी वर्ग को साधने में जुटे थे…. जयस भी इस बार हुंकार भर रही है.. ऐसे में इस वर्ग का वोट बैंक बंटने वाला है.. जो जाहिर सी बात है बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए नुकसान दायक होगा..बहरहाल 3 दिसंबर को तस्वीर साफ हो जाएगी… कि प्रदेश में शिवराज की वापसी होगी या कमलनाथ सरकार बनाएंगे..
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