Lower 01 — How does Modi’s confusion strategy affect political discourse?-Modi latest news
Lower 02 — The Art of Diversion: Understanding Modi’s Strategy in lokshabha election 2024
Lower 03 — How does Modi’s confusion strategy affect political discourse?
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR NEWS….लोकसभा चुनाव लगभग अपने अंतिम पड़ाव पर हैं…ऐसे में तमाम तरह की अटकलें भी लगनी शुरू हो गई हैं…देश की जनता और राजनीतिक दलों के अपने-अपने दावे हैं…समूचा विपक्ष, इंडिया गठबंधन की बड़ी जीत का दावा कर रहा है तो वहीं, बीजेपी मोदी की गारंटी के सहारे इस चुनाव में अपनी जीत तय मानकर चल रही है…पार्टी का ये कॉन्फिडेंस बनता भी है क्योंकि मौजूदा राजनीतिक दौर को देखें…तो बीजेपी वो पार्टी है जो पूरे साल चुनावी रणनीति बनाने पर खूब मेहनत करती है…किसी भी स्तर का चुनाव क्यों ना हो…उसके जमीनी कार्यकर्ता, नेता और आलाकमान तीनों युद्ध स्तर पर तैयारी करके मैदान में उतरते हैं…प्रभावशाली चुनावी योजनाएं हों या फिर असरदार नारे…-Modi latest news
इन दोनों में बीजेपी को महारत हासिल है…इसके अलावा बीजेपी के पास मोदी नाम का वो मैजिक है जिसके सामने बड़े-बड़े राजनीतिक दल और उनकी चुनावी रणनीतियां छूमंतर होने लगती हैं…प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में वो कला है जिसके सहारे वो विपक्षियों को मूल मुद्दों से भटकाने में हमेशा कामयाब रहते हैं…इस लोकसभा चुनाव में भी मोदी ने ‘400 पार’ का नारा क्या दिया…पूरा विपक्ष उसी में उलझ गया…बीजेपी से ज़्यादा विपक्षी नेताओं की जुबान से ‘400 पार’ के नारे का जिक्र हुआ यानि मोदी के इस नारे ने विपक्षी खेमे में खूब खलबली मचाई… ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी के ‘400 पार’ के नारे में कितनी सच्चाई है…क्या ‘400 पार’ का नारा उछालकर बीजेपी विपक्ष को असल मुद्दों से भटकाना चाहती थी…क्या सचमुच विपक्ष पूरे चुनाव में इस नारे के फेर से बाहर नहीं निकल पाया…आइये आपको बताते हैं….-Modi latest news
लोकसभा चुनावों से पहले पूरा विपक्ष…सरकार की तानाशाही, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, संविधान और लोकतंत्र को खतरा बताकर मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की तैयारी कर रहा था…लेकिन जैसे ही बीजेपी ने ‘400 पार’ के नारे को चुनावी रैलियों में बुलंद किया…पूरा विपक्ष इसी नारे के जाल में फंसता चला गया…विपक्ष की चुनावी रैलियों में असल मुद्दों की बजाय बीजेपी के ‘400 पार’ के लक्ष्य की भविष्यवाणियां शुरू हो गई…राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी जैसे विपक्ष के कई बड़े नेता अपनी चुनावी जनसभाओं और रैलियों में अपने-अपने हिसाब से बीजेपी को सीटें देते दिखाई और सुनाई दिए…यानि विपक्ष को जिन मुद्दों को जोर-शोर से उठाना चाहिए था उसकी बजाय इंडिया गठबंधन के करीब सभी नेता हार-जीत के आंकड़ों में उलझे हुए दिखाई दिए…ये कोई नई बात नहीं है जब मोदी ने विपक्ष को अपने बयानों और चुनावी रणनीति में उलझाया हो…-Modi latest news
बीजेपी को बीते चुनावों में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भी विपक्ष ने कोई सबक नहीं लिया था…विपक्ष अपनी हार पर मंथन करने की बजाय ईवीएम में उलझ गया था…विपक्ष के पास पूरे पांच साल थे लेकिन ना हो उसने उस लेवल का होमवर्क किया और ना ही अपनी पिछली गलतियों से कोई सीख ली…गठबंधन बनने के बाद लगा था कि इस बार विपक्ष मुखर होकर मोदी सरकार पर हमला करेगा…लेकिन कुछ राज्यों में गठबंधन के टूटने और फिर बीजेपी की चुनावी रणनीति में उलझने की वजह से विपक्ष कहीं ना कहीं कमज़ोर तो हुआ ही है…लेकिन 4 जून को आने वाले नतीजों से ये साफ हो जाएगा कि…मोदी ने अपने नारों से इस बार भी विपक्ष को उलझाया है और मूल मुद्दों से भटकाया है या नहीं ??…..राजनीति से जुड़ी ऐसी ही खस जानकारी के लिए देखते रहिए AIRR NEWS…..
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