क्या आप जानते हैं कि भारत में चार-लेन और उससे अधिक लेन वाले राजमार्गों का निर्माण इतनी तेजी से क्यों हो रहा है कि इसका अनुपात पिछले साल के मुकाबले लगभग 43% तक बढ़ गया है? क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे कौन सी रणनीति और नीतियां हैं, जिन्होंने भारत को विश्व के सबसे बड़े राजमार्ग निर्माण करने वाले देशों में से एक बना दिया है? क्या आप जानते हैं कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, समाज और सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, और इसका भविष्य क्या होगा? और ये भी जानेगे कि Modi Government के कार्यकाल में इसमें कितनी प्रगति हुई है और क्या उन्हें लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिलेगा ?
अगर आप इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, तो आप सही जगह पर हैं। आज हम आपको भारत में चार-लेन और उससे अधिक लेन वाले राजमार्गों के निर्माण का एक विस्तृत और गहन विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे, जिसमें हम इसकी शुरुआत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बात करेंगे, और इसके फायदे और चुनौतियों को भी सामने लाएंगे।
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भारत में राजमार्गों का एक लंबा और रोमांचक इतिहास है, जिसमें अनेक विकास के चरण शामिल हैं। भारत का पहला राजमार्ग, ग्रैंड ट्रंक रोड, जो दिल्ली से कोलकाता तक जाता है, 16वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी द्वारा बनाया गया था। इसके बाद, ब्रिटिश शासन के दौरान, भारत में राजमार्गों का निर्माण और विस्तार हुआ, जिससे उन्हें अपने शासन और व्यापार को बढ़ावा देने में मदद मिली। भारत में स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने राजमार्गों के निर्माण को एक प्राथमिकता बनाया, और देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने और विकास को बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया।
1998 में नेशनल हाइवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (NHDP)को सुरु किया गया जिसके अंतर्गत देश के सबसे लंबे राजमार्ग, गोल्डन क्वाड्रिलेटरल (GQ), जो चार महानगरों को जोड़ता है, और नॉर्थ-साउथ और ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (NS-EW), जो देश के उत्तरी और दक्षिणी तथा पूर्वी और पश्चिमी छोरों को जोड़ता है, का निर्माण हुआ।
इसके बाद Modi Government के कार्यकाल में भारत में राजमार्ग निर्माण की गति में विशेष तेजी आई। मोदी सरकार ने राजमार्ग निर्माण को एक प्रमुख प्राथमिकता बनाया और इसे देश की आर्थिक विकास योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा माना।
Modi Government ने भारतमाला परियोजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देश के आर्थिक और राजनीतिक केंद्रों, बॉर्डर एरियाज, पोर्ट्स, रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट्स, और अन्य विशेष अर्थव्यवस्थिक क्षेत्रों को एक एकीकृत राजमार्ग जाल से जोड़ना है। इसके अंतर्गत, देश के पहले एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, का निर्माण भी हो रहा है जिसमे दिल्ली से मुंबई तक 1,400 किलोमीटर की दूरी को 12 घंटे में तय करने कि तैयारी हो रही है।
इसी श्रृंखला में 2018 की सेतु भारतमाला परियोजना शुरू हुई, और जिसका लक्ष्य देश के द्वीपों, नदी पार क्षेत्रों, और अन्य दूरदराज के इलाकों को राजमार्गों और सेतुओं के माध्यम से जोड़ना है। इसके अंतर्गत, देश का सबसे लंबा सेतु, भूपेन हजारिका सेतु, जो असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ता है, और देश का पहला रेल-सड़क सेतु, बोगीबील सेतु, जो ब्रह्मपुत्र नदी पर बना है, का उद्घाटन हुआ है।
इन योजनाओं के कारण, भारत में चार-लेन और उससे अधिक लेन वाले राजमार्गों का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है, और इसका अनुपात पिछले साल के मुकाबले लगभग 43% तक बढ़ गया है। इसका मतलब है कि भारत में अब तक कुल 47,000 किलोमीटर के चार-लेन और उससे अधिक लेन वाले राजमार्ग बन चुके हैं, जो 2013-14 के मुकाबले तीन गुना अधिक है। इसके साथ ही, भारत में अब तक कुल 1.4 लाख किलोमीटर के राजमार्ग बन चुके हैं, जो 2014 के मुकाबले दोगुने हैं।
इसके निरंतर विकास में Modi Government के द्वारा राजमार्ग निर्माण के लिए बजट को बढ़ाकर 2013-14 के 31,130 करोड़ रुपये से 2024-25 के लिए 2.8 लाख करोड़ रुपये तक कर देने से कर देने का बड़ा योगदान है। इसके अलावा, निजी निवेश को भी बढ़ावा देने के लिए, मोदी सरकार ने हाइवे प्रोजेक्ट्स को आसान और आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न पहल की हैं।
इन पहलों के कारण, भारत में राजमार्गों के निर्माण की गति और गुणवत्ता में सुधार हुआ है, और देश को विश्व के सबसे तेज राजमार्ग निर्माण करने वाले देशों में से एक का दर्जा मिला है।
जिनमे हाइवे प्रोजेक्ट्स को छोटे और व्यवहार्य टुकड़ों में बांटना, जिससे निवेशकों को जोखिम कम और लाभ ज्यादा मिले। हाइवे प्रोजेक्ट्स को ई-टेंडरिंग, ई-मॉनिटरिंग, और ई-पेमेंट के माध्यम से निष्पक्ष, पारदर्शी, और जल्दी से अनुदान और निर्वाह करना, जिससे भ्रष्टाचार, देरी, और अधिकारीकरण को कम किया जा सके। साथ ही हाइवे प्रोजेक्ट्स डिवेलपमेंट के लिए हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) लाना, जो एक नया और लोकप्रिय निवेश मॉडल है, जिसमें सरकार और निजी निवेशक दोनों का योगदान होता है, और जिससे निवेशकों को वापसी की गारंटी मिलती है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिले।
इन पहलों के कारण, भारत में राजमार्गों के निर्माण की गति और गुणवत्ता में सुधार हुआ है, और देश को विश्व के सबसे तेज राजमार्ग निर्माण करने वाले देशों में से एक का दर्जा मिला है।
इससे राजमार्गों के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों का आपसी संपर्क और समन्वय बढ़ा, जिससे राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूती मिली। वही इन राजमार्गों के माध्यम से देश के आर्थिक और राजनीतिक केंद्रों, बॉर्डर एरियाज, पोर्ट्स, रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट्स, और अन्य विशेष अर्थव्यवस्थिक क्षेत्रों को जोड़ा, जिससे व्यापार, परिवहन, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यटन को बढ़ावा मिला।
इसके अलावा राजमार्गों के माध्यम से देश के द्वीपों, नदी पार क्षेत्रों, और अन्य दूरदराज के इलाकों को जोड़ा, जिससे उनका विकास और समावेशन हुआ, और उन्हें आधुनिक सुविधाओं और अवसरों का लाभ मिला। इन्ही राजमार्गों के माध्यम से देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को मजबूत किया, जिससे देश की सीमाओं का संरक्षण, आपदा प्रबंधन, और राष्ट्रीय रक्षा को सुगम बनाया।
इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि भारत में चार-लेन और उससे अधिक लेन वाले राजमार्गों का निर्माण एक महत्वपूर्ण और आवश्यक कदम है, जो भारत के विकास की नई रफ्तार को दर्शाता है। हमें इसके फायदे का लाभ उठाना है, और इसकी चुनौतियों का सामना करना है, ताकि हम एक समृद्ध, सुखी, और सुरक्षित भारत का निर्माण कर सकें। लेकिन क्या ये सब योजनाए आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को वापिस सत्ता में ला सकती है ये सब आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो पायेगा बाकि इन सभी राजमार्गो में लगने वाला भारी भरकम टोल टैक्स आम जन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
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