Model Code of Conduct / मॉडल कोड आफ कंडक्ट क्या होता है ?
यह कैसे काम करता है ? इसे कौन लागू करता है ? इसमें कौन कौन से प्रावधान शामिल होते हैं ? इसकी आववश्यकता क्यों पड़ी ? यह कब से चलन में है ?
जानेंगे सब कुछ विस्तार से …
Model Code of Conduct को समझते हुए , वरिष्ठ पत्रकार हर्ष कहते हैं की
मॉडल कोड आफ कंडक्ट कि अगर आप बात करें तो ये चुनाव से पूर्व राजनीतिक दलों और जो उम्मीदवार होते हैं उनको रेगुलेट करने के लिए जो नियम जारी किए जाते हैं उन नियमों के समूह को आप कह सकते हैं कि वह
आदर्श आचार संहिता है
Model Code of Conduct के
उद्देश्य क्या है
इस प्रश्न का जवाब देते हुए
एक पूर्व चुनाव आयुक्त ने कहा था की
“ इसका प्राथमिक उद्देश्य है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना ताकि भारत का जो लोकतंत्र है उसे लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके “
Model Code of Conduct उस विचार का प्रतिनिधित्व करती है , जिसमे कहा गया है की ,
” बचाव इलाज़ से सदैव बेहतर होता है “।
एक समय ऐसा भी था , जब चुनाव प्रचार के नाम पर पार्टियां मतदाताओं को कलम , टोपी , छतरी , टी शर्ट और तो और नकद रुपये तक का लालच देती थी।
इन उपहारों का प्रभाव मतदाता के मन मष्तिष्क पर पड़ता था।
समय बदला , चुनाव आयोग की नज़र इस पर टेढ़ी हुई और यहाँ से Model Code of Conduct का जन्म हुआ ।
क्या क्या पॉइंट आपको मिलेंगे इसमें तो यह कहा गया है कि
आप चुनाव प्रचार के लिए मस्जिदों मंदिरों या फिर किसी दूसरे पूजा स्थल का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं
आप मतदाताओं को रिश्वत नहीं दे सकते
आप उनको डरा धमका नहीं सकते
आप उनका इंपर्सनेशन नहीं कर सकते हैं यानी के उनके रूप में जाकर के आप उनके स्थान पर मतदान नहीं कर सकते हैं
इसके अलावा मतदान समाप्त होने मतदान की समाप्ति के निर्धारित होने से पहले जो 48 घंटे की होती हैअन्य मतदान होने से पहले के जो 48 घंटे हैं इस पूरी अवधि के दौरान जो सार्वजनिक बैठके हैं उन पर रोक लगा दी जाती है
आप कोई भी पॉलीटिकल पार्टी जो है वह बैठक नहीं कर सकती है
जुलूस नहीं किया जा सकता
इस पूरे पीरियड को आप कहते हैं इलेक्शन साइलेंस
आप सोचते होंगे की
ऐसा क्यों किया जाता है
यह किया जाता है ताकि आपकी जो मतदाता है उन्हें बेसिकली एक फ्री एनवायरनमेंट दिया जा सके एक अभियान मुक्त वातावरण दिया जा सके ताकि वह स्पष्ट तरीके से अपना डिसीजन ले सकें
तो यह तमाम इंपॉर्टेंट पॉइंट्स थे जो कि आपको आदर्श आचार संहिता में देखने को मिलते हैं अब यहां पर एक सवाल ये उठता है कि क्या आदर्श आचार संहिता जो है वह बाध्यकारी होती है क्या यहां पर कोई वैधानिक समर्थन मौजूद है
तो महत्वपूर्ण यह है कि जो आपका आदर्श आचार संहिता है यह स्वतंत्रता और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग के अभियान के हिस्से के रूप में विकसित हुई है और सभी जो भारत के प्रमुख राजनीतिक दल हैं उनके बीच में इसको लेकर के आम सहमति देखने को मिलती है
लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि जो आदर्श आचार संहिता है उसका भारत में कोई भी वैधानिक समर्थन मौजूद नहीं है यानी कि कोई भी स्टेट्यूटरी बाकी बैंकिंग उसके पास नहीं है सरकार इसको लेकर के कोई कानून लेकर के नहीं आई थी ना ही आपको संविधान में इसका जिक्र देखने को मिलेगा यह जो नियम है पूरी तरह से वॉलंटरी होते हैं स्वैच्छिक होते हैं और अगर कोई पार्टी कोई व्यक्ति इनका उल्लंघन करता भी है तो उसकी सजा नहीं दी जा सकती है उसे उसके उसे पर केवल एक मोरल जॉब एप्लीकेशन होता है वही अधिरोपित किया जा सकता है
तो यहां पर आपको मॉडल कोड आफ कंडक्ट का कोई भी स्टेट्यूटरी बैंकिंग देखने को नहीं मिलेगी
आप कह सकते हैं कि यह जो आपका मॉडल कोड आफ कंडक्ट है यह बाध्यकारी नहीं होता है
पॉलीटिकल पार्टी अपनी मोरालिटी के बेस पर उनके जो नैतिकता है उसके बेस पर इस्तेमाल करती हैं वह चाहे तो उसका उल्लंघन भी कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें कोई भी कानूनी सजा प्रदान नहीं की जा सकती है तो यह बेसिकली हमने यहां पर बात की आदर्श आचार संहिता की
इसको इसको जारी करने का काम होता है चुनाव आयोग का
क्या क्या नियमित किया जाता है इसमें
इसमें आपका भाषण को नियमित किया जाता है कि आप क्या बोल सकते हैं
आप मतदान दिवस में क्या-क्या प्रक्रिया आपको पालन करनी होती हैं
इसके अलावा मतदान केंद्र पर आपको क्या-क्या मिलेगा
चुनावी घोषणा के जो सामग्री होती है
आपका जो मेनिफेस्टो होता है उसमें कौन-कौन सी चीज शामिल कर सकते हैं
आप जुलूस और सामान्य आचरण आपका किस तरह का रह सकता है
यह तमाम चीज आपको चुनावी आदर्श आचार संहिता है उसमें आपको देखने को मिल जाते हैं
क्योंकि किसी देश का लोकतंत्र मजबूत तब होता है जब उसे देश में जो चुनाव है वो चुनाव निष्पक्ष तरीके से होते हैं वह चुनाव तंत्र तरीके से होते हैं
यही सुनिश्चित करने का जो काम है वह चुनाव आयोग का है और चुनाव आयोग इसको करने के लिए मॉडल कोड आफ कंडक्ट जारी करता है
कब लागू होता है
अनाउंसमेंट से लेकर के चुनाव की जो नतीजे होते हैं इसके बीच का जो पीरियड रहता है इसके बीच की जो अवधि है इस पूरी अवधि में आपको चुनावी आचार संहिता जो है वह लागू होती हुई दिखाई दे जाएगी
यह परिचय हुआ कि यहां पर आपको कौन-कौन सी इंपॉर्टेंट चीज मिलेगी अब एक बार बात करते हैं कि इसके माध्यम से कौन-कौन सी चीजों को प्रतिबंधित किया जाता है तो
इसके माध्यम से हमने देखा आपका सामान्य आचरण बैठ के जुलूस मतदान दिवस पर क्या-क्या हो सकता है मतदान केंद्र पर्यवेक्षक सत्ता पार्टी और चुनावी घोषणा पत्र इन तमाम चीजों को रेगुलेट करने की कोशिश की जाती है
जैसे कौन कौन सी चीज आपको मिलेगी
सत्ताधारी दल चुनाव प्रचार के लिए अपने आधिकारिक तंत्र का इस्तेमाल नहीं कर सकता है यानी कि जो पार्टी अभी सत्ता में है वह सरकार की मशीनरी का इस्तेमाल करते हुए प्रचार नहीं कर सकती है
और इस पूरी अवधि के दौरान किसी नई नीति किसी नई परियोजना किसी नए प्रोजेक्ट का जो उद्घाटन नहीं किया जा सकता किसी नए प्रोजेक्ट को अनाउंस नहीं किया जा सकता ताकि मतदाताओं के व्यवहार को प्रभावित होने से रोका जा सके
इसके अलावा जो आपका सत्ताधारी दल है वह सरकारी पैसे का इस्तेमाल अपने विज्ञापन के लिए या फिर सरकार की उपलब्धियां को बताने के लिए नहीं कर सकता है इसके अलावा मंत्रियों को आधिकारिक दौरे को मंत्रियों को यह निर्देश दिए जाते हैं कि वहअपने आधिकारिक दौरे और चुनाव की जो तारीख हैं उन दोनों को अलग रखे हैं उनको जोड़कर ना देखा जाए
चुनावी दौरे है – चुनावी यात्रा है उसके लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल न किया जाए इसके अलावा सत्ताधारी दल प्रचार के लिए सरकारी परिवहन या फिर मशीनरी का उपयोग नहीं कर सकता है
इसके साथ-साथ जो राजनीतिक दल है वह उम्मीदवारों की आलोचना तो कर सकते हैं उनके जो राजनीतिक रिकॉर्ड रहा है उसके आधार पर उम्मीदवारों की आलोचना तो की जा सकती है लेकिन उम्मीदवारों की आलोचना करने के लिए उन्हें नीचा दिखाने के लिए आप जाति और संप्रदाय का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं
राजनैतिक शक्तियां, जरा बच के रहना क्योंकि आदर्श आचार संहिता लागू है !!