MIZORAM ELECTION ANALYSIS: Power Shift or Continuity Amid Bumper Voting.
Mizoram Electoral रहस्य: बंपर वोटिंग के बीच सत्ता परिवर्तन या निरंतरता।
Mizoram का महारथी कौन होगा…क्या फिर सत्ता में पुरानी पार्टी बाकिज होगी या दूसरी पार्टी यहां सरकार बनाएगी…क्योंकि इस बार MIZORAM ELECTION में बंपर वोटिंग हुई.. 40 विधानसभा सीटों के लिए यहां 7 नवंबर को मतदान हुआ… Mizoram में इस बार 77.04 प्रतिशत वोटिंग हुई… इस अधिक वोटिंग ने यहां के मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है… दरअसल इस बार वोटिंग पर्सेंटेज के बेहतर होने के कई मायने हैं.
कुछ एक्सपर्ट इसे सत्ता में बदलाव के संकेत भी मान रहे हैं… इस बार मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट, कांग्रेस और जोरम पीपुल्स मूवमेंट के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. तीनों ही पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार दमदार हैं… मौजूदा सीएम जोरमथांगा की बहुसंख्यक मिजो समुदाय में पकड़ अब भी कायम है.. वहीं नए अध्यक्ष लालसावता के नेतृत्व में कांग्रेस फिर से वापस आने की पूरी कोशिश कर रही है और आक्रामक रूप से जोरमथांगा को सत्ता से हटाने में लगी है.. वहीं तीसरी पार्टी है जोरम पीपुल्स मूवमेंट की युवाओं में अच्छी पकड़ है…. मिजोरम में ज्यादा वोटिंग दो बातों के संकेत दे रही है. पहला ये कि MNF के हाथ से सत्ता जा सकती है. आमतौर पर माना जाता है कि जब सत्ता के विरोध में लहर होती है तब लोग ज्यादा से ज्यादा वोट करते हैं… ऐसे में हो सकता है कि लोगों ने MNF को बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना लिया हो…
मिजोरम के बगल में मणिपुर में हिंसा कई महीनों से चली आ रही है… वहां बीजेपी की सरकार है. एमएनएफ का बीजेपी के साथ केंद्र में गठबंधन है. हालांकि पार्टी राज्य में इससे मना करती है, लेकिन लोगों में इसे लेकर नाराजगी हो सकती है… ज्यादा वोटिंग का दूसरा संकेत जेडपीएम के पक्ष में हो सकता है. दरअसल, जेडपीएम युवाओं के बीच काफी पॉपुलर है. इसने पिछले कुछ साल में लोकल मुद्दों को लेकर स्थानीय लोगें में पैठ बनाई है… पार्टी की बढ़ती ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 8 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. इसके अलावा इस बार चुनाव में 18-19 आयु वर्ग के 50,611 मतदाता थे, जिन्होंने पहली बार मतदान किया. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर इन सभी ने वोट किया है तो हो सकता है कि ये जेडएमपी के पक्ष में जाए, क्योंकि वो युवाओं के बीच लोकप्रिय पार्टी है…
हालांकि यहां एक और फैक्टर भी है जिस पर बात करनी जरूरी है.. MIZORAM ELECTION के अधिकांश लोग ईसाई धर्म को मानते हैं.. यहां की 94 फीसदी आबादी आदिवासी है.. मिजोरम मणिपुर सीमावर्ती राज्य है.. ऐसे में वहां पर जो हिंसा हुई, उसका असर इन चुनावों में दिख सकता है. मणिपुर में हिंसा के बाद काफी लोगों ने मिजोरम में शरण ली. ऐसे में ये मुद्दा प्रभावित कर सकता है.. कहा जा रहा है कि इन चुनावों में सत्ताधारी एनएनएफ इसी के चलते इन चुनावों में बीजेपी से दूरी रखी.. ईसाई बहुल राज्य होने के कारण मणिपुर में जो चर्च जलाए गए. उसे लेकर यहां के अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं..
सोनिया गांधी ने अपने वीडियो संदेश में मिजोरम की शांति और विकास के लिए कांग्रेस को वोट दें.. तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी शानदार मिजोरम बनाने का वादा किया.. अब 3 दिसंबर को साफ होगा कि किसमें कितना है दम..
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