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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन लोकसभा चुनावों में हेराफेरी करने का प्रयास कर रहा है। उनका दावा है कि प्रशासन उनकी पार्टी और उनके समर्थकों को “लक्षित करके और प्रताड़ित करके” चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन क्या आप भी मानते है की प्रशासन वास्तव में पीडीपी को लक्षित कर रहा है और उनके समर्थकों को प्रताड़ित कर रहा है?-Mehbooba Mufti latest news
क्या जम्मू-कश्मीर में चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होंगे?-Mehbooba Mufti latest news
और भाजपा को चुनावों में कथित रूप से समर्थन देकर सरकार अपने निष्पक्ष और स्वतंत्र रुख से समझौता तो नहीं कर रही है?आइये आज की इस खास वीडियो में हम इस विषय को गहराई से समझते है। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।
हाल ही में मेहबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने पुलवामा में शनिवार शाम 6:30 बजे से धारा 144 के तहत 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिए हैं, जो सोमवार को होने वाले श्रीनगर लोकसभा सीट का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह अभूतपूर्व है कि जहां चुनाव होने हैं वहां प्रतिबंध लगाए गए हैं।
मुफ्ती का आरोप है कि प्रशासन लोगों को वोट डालने से रोकने के लिए उन्हें परेशान करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव में धांधली की तैयारी चल रही है।
पीडीपी अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं को, जो उसकी बैठकों का आयोजन कर रहे थे, मतदान से पहले हिरासत में ले लिया गया है।
आगे उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल पुलवामा तक ही सीमित नहीं है। कुछ दिन पहले जम्मू के पुंछ जिले के सुरांकोटे में हमला हुआ था। जिसके बाद उनके 50-60 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है और एक अजीब माहौल बनाया जा रहा है।
मुफ्ती ने कहा कि अगर भारत निर्वाचन आयोग को 1987 के चुनावों को दोहराना है, तो फिर इस चुनाव का यह नाटक क्यों? अगर उन्हें इखवान यानी सरकारी बंदूकधारी या इखवानों की पार्टी बनानी है, जिनके वे प्रॉक्सी हैं, जिनका वो समर्थन करते हैं, तो उन्हें कहना चाहिए।
मुफ्ती ने कहा कि प्रशासन अभी तक अपने प्रॉक्सी के समर्थन में खुले तौर पर सामने नहीं आया है क्योंकि वे श्रीनगर और बारामूला की दो सीटों पर चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद, वे राजौरी-पुंछ अनंतनाग-राजौरी सीट का हिस्सा है में अपना समर्थन घोषित करेंगे। वहां पर चुनाव केवल उनकी पार्टी, सूट-बूट के इख्वानों की पार्टी के कारण ही टला हुआ था। उन्होंने राजनीतिक इखवानों को बनाया है जिनका वे पूरी तरह से समर्थन करते हैं, पूरा सरकारी तंत्र उनका समर्थन करता है।
आपको बता दे की मुफ्ती का आरोप है कि सरकारी अधिकारी दबाव में हैं। पीडीपी कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है, उन्हें परेशान किया जा रहा है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से ”चुनावों का नाटक” रोकने को कहा है।
मुफ्ती ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा ने कई युवाओं को जेल में डाल दिया है। उन्होंने कश्मीर के लोगों से अपनी पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील करते हुए कहा कि आपकी यह जिम्मेदारी है कि आप नई दिल्ली को यह संदेश दें कि आप हमारे युवाओं को जेल में डालते हैं तो हम उनको अपना एडवोकेट बनाकर संसद भेजेंगे।
मुफ्ती ने कहा कि वे पीडीपी को इसलिए निशाना बना रहे हैं क्योंकि वे उनकी पार्टी की लोकप्रियता से ”घबरा” गए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव में उनकी पार्टी को मिल रही जबरदस्त प्रतिक्रिया से भाजपा बौखला गई है।
ऐसे में मुफ्ती के आरोप प्रशासन और भाजपा की भूमिका पर सवाल उठाते हैं। अगर उनके आरोप सही हैं तो यह चुनाव की निष्पक्षता पर एक बड़ा सवालिया निशान है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि भाजपा अपनी शक्ति और प्रभाव का इस्तेमाल विपक्षी दलों को दबाने के लिए कर रही है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मुफ्ती एक राजनीतिक नेता हैं और उनके आरोप पक्षपाती हो सकते हैं। यह भी संभव है कि प्रशासन वास्तव में चुनावों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहा हो।
बाकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उनके दावों का समर्थन करने के लिए कुछ सबूत हैं। उदाहरण के लिए, पुलवामा में धारा 144 लागू करना एक असामान्य कदम है, जो चुनाव में हस्तक्षेप का संकेत दे सकता है।
इसके अलावा, मुफ्ती का यह आरोप कि पीडीपी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है, भी विश्वसनीय है। कई रिपोर्टें आई हैं कि पीडीपी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है और परेशान किया गया है।
यह भी संभव है कि प्रशासन वास्तव में चुनावों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहा हो। हालाँकि, मुफ्ती के आरोपों को ध्यान में रखते हुए, चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त उपाय करने चाहिए कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र हों।
इसके अलावा, भाजपा की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए। मुफ्ती का आरोप है कि भाजपा चुनावों में अपने पक्ष में हेराफेरी करने की कोशिश कर रही है। अगर यह सच है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है।
कुल मिलाकर, मुफ्ती के आरोपों ने जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनावों की निष्पक्षता पर एक बड़ा सवाल चिह्न लगा दिया है। चुनाव आयोग और अन्य हितधारकों को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र हों।
फिलहाल जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने महबूबा मुफ्ती के आरोपों का खंडन किया है। प्रशासन ने कहा है कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से कराए जाएंगे। प्रशासन ने यह भी कहा है कि धारा 144 लगाना एक सामान्य प्रक्रिया है और यह चुनाव में हस्तक्षेप का संकेत नहीं है।
लेकिन इसके विपरीत विपक्षी दलों ने मुफ्ती के आरोपों का समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि प्रशासन चुनावों में हेराफेरी करने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि चुनाव आयोग को मुफ्ती के आरोपों की जांच करनी चाहिए।
तो ये थी आज की खास वीडियो। आशा है आपको वीडियो पसंद आया होगा। बाकि अन्य खबरों के लिए बने रहिये हमारे साथ। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।