नॉर्थ ईस्ट दिल्ली सीट से Manoj Tiwari का मुकाबला कन्हैया कुमार से.. जानिए क्या कहता है समीकरण?

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Manoj Tiwari v/s Kanhaiya Kumar

दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट सीट में कांटे की टक्कर-Manoj Tiwari v/s Kanhaiya Kumar

कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को बनाया उम्मीदवार

बीजेपी को Manoj Tiwari से कड़ा मुकाबला

पूर्वांचल कार्ड और जातिगत समीकरण पर फोकस

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में लोकसभा की सात सीटें हैं. बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली सीट से सांसद Manoj Tiwari पर ही फिर से भरोसा जताया है. भोजपुरी गायक और भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार Manoj Tiwari के सामने कांग्रेस ने अब युवा चेहरे कन्हैया कुमार को मैदान में उतार दिया है. कन्हैया कुमार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं और उनकी गिनती अच्छा वक्ता के रूप में होती है… कन्हैया कुमार कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं लेकिन ग्रैंड ओल्ड पार्टी में शामिल होने से पहले वह लेफ्ट का चेहरा रहे हैं.

2019 के चुनाव में कन्हैया को लेफ्ट ने मोदी सरकार के फायरब्रांड मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनाया था. हालांकि, तब वह हार गए थे. कभी लेफ्ट का चेहरा रहे कन्हैया कुमार को अब कांग्रेस ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया है तो इसके पीछे का गणित क्या है?.. तो इसमें सबसे अहम है पूर्वांचली कार्ड.. बीजेपी ने दिल्ली के अपने सात में से छह सांसदों के टिकट काट दिए और केवल एक सांसद जो अपना टिकट बचाने में सफल रहा. -Manoj Tiwari v/s Kanhaiya Kumar

टिकट बचाने वाले इकलौते सांसद थे Manoj Tiwari. बीजेपी ने दो बार के सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष Manoj Tiwari पर लगातार तीसरी बार भरोसा जताया है तो उसके पीछे उनका पूर्वांचली होना भी बड़ी वजह माना जा रहा है. अब कांग्रेस ने भी एक पूर्वांचली के सामने पूर्वांचली को ही टिकट दे दिया है. Manoj Tiwariबिहार के कैमूर जिले के निवासी हैं तो कन्हैया कुमार भी बिहार से ही आते हैं…वहीं  कन्हैया कुमार की सियासत का आधार लेफ्ट की लाइन रही है. कन्हैया के भाषणों में गरीब-मजदूर-दलित-शोषित-वंचित की बात अधिक रहती है. नॉर्थ ईस्ट लोकसभा क्षेत्र में बड़ी तादाद यूपी, बिहार, हरियाणा जैसे राज्यों से आकर मेहनत-मजदूरी कर जीवनयापन कर रहे मजदूरों की है. लेफ्ट से आए कन्हैया के चेहरे पर कांग्रेस की रणनीति इस वोटर वर्ग को साधने की भी है… -Manoj Tiwari v/s Kanhaiya Kumar

जातीय गणित की बात करें तो जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष को कांग्रेस ने इस सीट से उतारा तो इसके पीछे भी उसका अपना गणित है. कांग्रेस की रणनीति कन्हैया के सहारे Manoj Tiwari के पूर्वांचली वोटबैंक में सेंध लगाने के साथ ही दलित-पिछड़ा-अल्पसंख्यक और मजदूर वर्ग को साथ लाकर वोटों का नया समीकरण गढ़ने की भी है. कन्हैया कुमार अपने भाषणों में युवाओं और रोजगार के साथ ही दलित-पिछड़े और दबे-कुचले वर्गों की बात करते हैं..

पिछले 10 साल से सांसद Manoj Tiwari को लेकर एंटी इनकम्बेंसी कैश कराने की कोशिश में जुटी कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के समर्थन से एकमुश्त दलित-मुस्लिम-ओबीसी वोट की आस है. कांग्रेस नेताओं को लगता है कि थोड़े-बहुत पूर्वांचली वोटर्स का साथ भी मिल गया तो यह बफर का काम करेगा और ऐसे में पार्टी के यहां से जीतने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी… दूसरी तरफ, बीजेपी को भरोसा है कि पूर्वांचली और दलित-पिछड़ा वोटर्स के समर्थन से Manoj Tiwari जीत की हैट्रिक लगाएंगे. दो पूर्वांचलियों की लड़ाई में ओबीसी-दलित के साथ ही सवर्ण वोटर्स का रोल अहम हो गया है.

कहा यह भी जा रहा है कि पूर्वांचली वोट स्थानीय अस्मिता के आधार पर बंट सकता है. Manoj Tiwari भोजपुरी बेल्ट से आते हैं. वहीं, कन्हैया कुमार जिस बेगूसराय से आते हैं, वहां अंगिका और मगही भाषा बोली जाती है. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भोजपुरी भाषी वोटर्स की संख्या अच्छी खासी है और यह Manoj Tiwari के पक्ष में जा सकता है… बहरहाल मुकाबला कड़ा होगा..  

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