Manmohan Singh: ‘दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ चुका है’. साल 1991 में बतौर वित्त मंत्री बजट पेश करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कहे गए इस वाक्य की गूंज हमेशा सुनाई देती रहेगी. यही वो वाक्य है जिसने भारत की तकदीर को बदलकर कर रख दिया. जिसके दम पर आज भारत ग्लोबल इकॉनमिक पावर (Global Economic Power) है. 1991 में बजट पेश करने के साढ़े तीन दशकों के बाद आज भारत पूरी दुनिया में अपने जिस तेज गति से विकास कर रही अर्थव्यवस्था पर नाज कर रहा है इसका श्रेय डॉ मननोहन सिंह को ही जाता है जिनके योगदान के लिए ये देश हमेशा उन्हें याद करता रहेगा.
भारत को संकट से उबारने की मिली जिम्मेदारी
1991 में पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने. तब भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद संकट के दौर से गुजर रही थी. भारत दिवालिया घोषित होने के कगार पर खड़ा था. आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा का भंडार खाली हो चुका था. तब पीवी नरसिम्हा राव ने भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने की जिम्मेदारी मनमोहन सिंह को सौंपी और उन्हें इस संकट को टालने के लिए कठिन फैसले लेने को कहा. रुपये के अवमुल्यन का फैसला लिया गया जिससे एक्सपोर्ट्स को आकर्षक बनाया जा सके. आरबीआई ने विदेशी बैकों के पास 47 टन सोना गिरवी रख विदेशी मुद्रा भंडार उधार लिया साथ ही इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड से 2 अरब डॉलर का कर्ज लिया गया.
24 जुलाई 1991 को मनमोहन सिंह ने पेश किया ऐतिहासिक बजट
1991 में 24 जुलाई को जब मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया तब उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म करने का एलान किया जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज विकास में सबसे बड़े बाधा के तौर पर देखा जा रहा था. भारत में आर्थिक उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई. कई सेक्टर्स को विदेशी निवेश के लिए खोला गया. कॉरपोरेट टैक्स को बढ़ाया गया और रसोई गैस और चीनी पर सब्सिडी को घटाया गया. और मनमोहन सिंह के इस फैसले का असर ये हुआ कि दो सालों में ही विदेशी मुद्रा भंडार एक अरब डॉलर से बढ़कर 10 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और भारत पर जो संकट मंडरा रहा था वो टल गया.
जब मनमोहन सिंह बोले – ‘मुझे किया जा सकता है बर्खास्त’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन और गुरशरण (Strictly Personal: Manmohan and Gursharan” by Daman Singh) में लिखा भी है कि, मजाकिया लहजे में पीवी नरसिम्हा ने कहा कि इन फैसलों के चलते सबकुछ ठीक हो गया तो हम सब इसका श्रेय ले सकेंगे और गलत हुआ तो मुझे बर्खास्त भी किया जा सकता है. हालांकि पीवी नरसिम्हा – मनमोहन सिंह की जोड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था को जिस पथ पर लेकर चले उसके बाद जितनी भी सरकारें देश में बनी, जिस भी दल के नेतृत्व में बनी उन सभी सरकारों ने आर्थिक सुधार और उदारीकरण के फैसले को आगे ही बढ़ाने का काम किया और इसी का नतीजा है कि भारत दुनिया की आज पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार हो चुका है.
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