Manipur के थौबल जिले में सोमवार की शाम को तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई और पांच लोग घायल हो गए। इसके बाद राज्य के पांच घाटी जिलों में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया, ताकि हिंसा को बढ़ने से रोका जा सके। इस हिंसा का शिकार हुए लोगों में मुख्य रूप से मेइतेइ और कुकी जातियों के लोग शामिल हैं, जो Manipur की आबादी का लगभग 93 प्रतिशत हिस्सा हैं। इन दोनों जातियों के बीच मई 2023 से ही जातीय आधार पर हिंसा चल रही है, जिसमें अब तक 197 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।-Manipur- the Meitei and Kuki Communities”
इस हिंसा का मुख्य कारण मेइतेइ समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांगना है, जिसका विरोध कुकी समुदाय कर रहा है। कुकी समुदाय का मानना है कि अगर मेइतेइ को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया तो वे अपनी भूमि और प्रभाव को खो देंगे। इसके अलावा, नशीली पदार्थों के खिलाफ मेइतेइ नेतृत्व वाली सरकार का अभियान, म्यांमार से अवैध प्रवासी आना, जनसंख्या की बढ़ोतरी और बेरोजगारी जैसे अन्य मुद्दे भी हिंसा को भड़काने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इस हिंसा को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जैसे कर्फ्यू लगाना, सुरक्षा बलों को तैनात करना, शांति समिति बनाना और दोनों पक्षों के बीच बातचीत करना। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने भी हिंसा की निंदा करते हुए लोगों से जल्द ही सभी आरोपी गिरफ्तार होंगे और कानून के मुताबिक सजा पाएंगे कहते हुए जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि पुलिस हमले के पीछे के लोगों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है।
इस हिंसा के पीछे कौन है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अज्ञात गोलीबारी करने वाले लोग लिलोंग चिंगजाओ क्षेत्र में कई स्थानीय लोगों को निशाना बनाया। वे भेषबदल करके आए थे। जिनमे से तीन लोग वहीं मर गए। पांच लोग अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। बाद में नाराज़ लोगों ने तीन कारों को आग लगा दी।
यह हिंसा Manipur में चल रही जातीय टकराव का एक और उदाहरण है, जिसमें मेइतेइ और कुकी समुदाय के बीच आग लगी हुई है। मेइतेइ मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हिस्सा हैं और अधिकांशतः इंफाल घाटी में रहते हैं। कुकी और नागा आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी क्षेत्रों में बसते हैं।
इन दोनों समुदायों के बीच विरोध और टकराव का इतिहास काफी पुराना है। 1990 के दशक में भी इनके बीच खूनी संघर्ष हुए थे, जिसमें कई लोगों की जान गई थी। इसके बाद भी इनके बीच शांति कायम नहीं हो पाई है।
इस हिंसा से Manipur के लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कर्फ्यू के कारण लोगों की आजीविका पर असर पड़ रहा है। लोग अपने काम-धंधे नहीं कर पा रहे हैं। इसके साथ ही, लोगों को खाने-पीने, दवाइयों, ईंधन और अन्य जरूरी सामान की कमी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का जीवन अस्थिर और असुरक्षित हो गया है।
इस हिंसा को खत्म करने के लिए आवश्यक है कि दोनों समुदायों के बीच समझौता और समानता का वातावरण बनाया जाए। इसके लिए सरकार, सामाजिक संगठन, धार्मिक नेता और लोकप्रिय व्यक्तित्वों को एकजुट होकर काम करना होगा। इसके साथ ही, लोगों को भी अपने जातीय और सांस्कृतिक भेदभाव को छोड़कर, एक दूसरे का सम्मान और सहयोग करना होगा।
Manipur का नाम राज्यों में सबसे खूबसूरत और संस्कृतिपूर्ण राज्यों में आता है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता, लोकनृत्य, लोकगीत, लोककला और लोकसाहित्य का अपना एक अलग ही आकर्षण है। इस राज्य को शांति और समृद्धि की ओर ले जाने के लिए इस हिंसा को रोकना ही नहीं, बल्कि इसके मूल कारणों को दूर करना भी जरूरी है।
Manipur में हुई हिंसा एक गंभीर और चिंताजनक मुद्दा है, जिसका समाधान जल्द से जल्द निकालना चाहिए। इस हिंसा का प्रभाव राज्य के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए भी नकारात्मक है। इस हिंसा को रोकने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। दोनों समुदायों के बीच विश्वास, समझौता और सहयोग का माहौल पैदा करना होगा। इससे ही मणिपुर को एक शांति, समृद्धि और सुखी राज्य बनाया जा सकता है।