तालमेल के अभाव में महाराष्ट्र में सरकार और सहयोगी दलों में महासंग्राम, यहां जानिए महायुति में क्यों गहराने लगे जख्म और उभरने लगे मतभेद?

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महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन स्कीम को लेकर महासंग्राम होता दिखाई दे रहा है। इस स्कीम का श्रेय लेने के लिए महायुति के दलों में होड़ मची हुई है। सबसे पहले शिवसेना ने अपने पोस्टर से सरकार के सहयोगी दूसरे दलों के नेताओं के नाम गायब कर दिए, तो अब दूसरे दल भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं।-Maharashtra Politics update

28 जून को, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने राज्य का सालाना बजट पेश किया, जिसका मुख्य आकर्षण मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन स्कीम (MMLBY) थी। इस स्कीम के तहत 21 वर्ष से 65 वर्ष की महिलाओं को 1,500 रुपये की मासिक तौर पर आर्थिक सहायता दी जाती है। एक अनुमान के मुताबिक, 2.5 करोड़ लाभार्थियों को इस स्कीम का लाभ दिए जाने पर राज्य के खजाने पर पर 46,000 करोड़ रुपये का भारी खर्च आएगा। -Maharashtra Politics update

स्कीम के प्रचार के लिए 24 घंटे के अंदर लगाए पोस्टर

24 घंटे से भी कम समय बाद, मुंबई और ठाणे जिले में इस स्कीम पर पोस्टर लगाए गए, जिनमें बीच में सीएम एकनाथ शिंदे की तस्वीर प्रमुखता से छपी थी। इनमें से किसी भी पोस्टर में, जिन्हें जल्दी से डिजाइन और पोस्ट किया गया था, उपमुख्यमंत्रियों, BJP के देवेंद्र फड़नवीस या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के पवार का जिक्र नहीं था।-Maharashtra Politics update

लगाए गए पोस्टर की वजह अभी तक नहीं आई सामने

ऐसा करने की पीछे की वजह अभी तक सामने नहीं आई है कि ऐसा क्यों किया गया? क्या इसको स्कीमबद्ध तरीके से किया गया का हिस्सा? लेकिन इस शिवसेना के इस कदम ने BJP और NCP में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को उत्तेजित कर दिया, जिन्होंने एकनाथ शिंदे को इस स्कीम का एकमात्र चेहरा बनाने के शिवसेना के हथकंडे को मंजूरी नहीं दी।-Maharashtra Politics update

एकबार फिर दूसरे मुद्दे पर गरमाया माहौल

दो महीने से अधिक समय से चल रही इस स्कीम को लेकर सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर मतभेद 5 सितंबर को साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में फिर से उभरे, जब शिवसेना के एक मंत्री ने इस प्रमुख प्रोजेक्ट पर विज्ञापनों और प्रचार सामग्री से सीएम की तस्वीर हटाने के NCP के फैसले पर आपत्ति जताई। जोरशोर से उठाए गए इस मुद्दे के बाद, दोनों पक्षों को शांत करने के लिए सीएम एकनाथ शिंदे को हस्तक्षेप करना पड़ा और यह फैसला लिया गया कि सहयोगियों को इस स्कीम पर एकरूपता और एकता सुनिश्चित करनी चाहिए।

उल्टा चोर कोतवाल को डाटे जैसा 

NCP के एक सीनियर मिनिस्टर ने कहा कि यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डाटे जैसा है। मंत्री ने दावा किया कि यह शिवसेना थी जिसने पहली बार इस स्कीम को किडनैप करने की कोशिश की। उन्होंने यह दर्शाने के लिए हर संभव प्रयास किया कि कैसे सीएम द्वारा इस प्रोजेक्ट की अवधारणा, स्कीम और क्रियान्वयन किया गया था। शुरुआत में उनके पोस्टर में सिर्फ़ सीएम की तस्वीर थी। अब जब NCP ने अजित पवार की तस्वीर इस्तेमाल की है, तो वे नाराज़ हैं। उन्हें हमसे सवाल करने की हिम्मत है। इस स्कीम का श्रेय लेने को लेकर सहयोगी दलों के बीच मतभेद कोई रहस्य नहीं है। 

नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव की संभावना

नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना के साथ, तीनों महायुति दल महिला-केंद्रित स्कीम के ज़रिए अपने चुनावी आधार को मज़बूत करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। हर पार्टी इस स्कीम के ज़रिए अपने नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए जनसभाएं और रैलियां कर रही है। 

स्कीम का श्रेय लेने के लिए महायुति में मची होड़

NCP इस स्कीम का श्रेय लेने के लिए वित्त मंत्री के तौर पर पवार की भूमिका का इस्तेमाल कर रही है और कह रही है कि उनकी मंज़ूरी की वजह से यह संभव हुआ। अपनी अलग पहचान बनाने के लिए, पवार ने अगस्त में अपनी राज्यव्यापी जनसमन यात्रा के दौरान गुलाबी रंग की जैकेट पहनना शुरू किया, जिस पर नारा था एकच वादा, अजित दादा। इसके अलावा, NCP ने अपने पोस्टरों में स्कीम के नाम से मुख्यमंत्री हटा दिया और इसके बजाय इसे सिर्फ़ लड़की बहन स्कीम के तौर पर संदर्भित किया। 

BJP ने बैनर से हटाया मुख्यमंत्री का नाम

BJP ने भी इस स्कीम पर अपने कार्यक्रमों से मुख्यमंत्री शब्द हटा दिया है। अपनी कई रैलियों में इस प्रमुख स्कीम को लड़की बहन स्कीम के नाम से संबोधित किया गया। पार्टी ने फडनवीस को प्यार करने वाले भाई के रूप में पेश करने के लिए उनके लिए देवा भाऊ नाम का इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है। पवार के गृह क्षेत्र बारामती सहित पूरे राज्य में फणनवीस की छवि और देवा भाऊ वाले बैनर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों के बारे में जब पत्रकारों ने देवेंद्र फणनवीस से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि लोग अक्सर उन्हें प्यार से देवेंद्र भाऊ, देवा भाऊ कहकर बुलाते हैं। व्यक्तिगत रूप से, मुझे देवा भाऊ पसंद है, क्योंकि यह अधिक स्नेही लगता है। 

विचारों में होनी चाहिए एकरूपता

एक मराठी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान फणनवीस ने इस स्कीम को लेकर कैबिनेट में टकराव पर बात की। उन्होंने कहा कि कोई लड़ाई नहीं थी। इस बात पर चर्चा हुई कि हमें प्रमुख स्कीम को कैसे ब्रांड करना चाहिए। हमें लगा कि इसमें एकरूपता होनी चाहिए।

महायुति में उभरे ताजा मतभेद

इस स्कीम को लेकर मतभेद महायुति में उभरे मतभेदों की यह सीरीज ताजा है। जब सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी की एक प्रतिमा ढह गई, तो NCP ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिससे उसके दोनों सहयोगी आश्चर्यचकित हो गए। पिछले हफ्ते, राज्य के कैबिनेट मंत्री तानाजी सावंत की टिप्पणी कि उन्हें कैबिनेट की बैठकों में भाग लेने के बाद उल्टी आती है क्योंकि उन्हें NCP नेताओं के बगल में बैठना पड़ता है। इस बात से अजीत पवार की पार्टी को नाराज कर दिया, जिसने शिवसेना नेता के इस्तीफे की मांग की।

गौरतलब है कि हाल के लोकसभा चुनावों में, महायुति ने राज्य की 48 सीटों में से 17 सीटें जीतीं, जो विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) से पीछे रह गई, जिसको महज 30 सीटों पर जीत हासिल हुई। BJP को नौ सीटों पर जीत मिली और 26.18% वोट शेयर हासिल हुआ। शिवसेना को सात सीटें मिलीं और वोट शेयर 12.95% रहा, और NCP को एक सीट मिली और वोट शेयर 3.6% वोट रहा। अब विधानसभा चुनावों में BJP पर अपने विधायकों की ओर से कम से कम 150 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव है, वहीं शिवसेना 80 से 90 सीटों की उम्मीद कर रही है और NCP ने संकेत दिया है कि वह केवल 60 सीटों पर ही राजी हो जाएगी।
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