महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले BJP ने सीट शेयरिंग की बातचीत का जिम्मा देवेंद्र फडनवीस को सौंपा, कैसे बनेगी बात; यहां समझें समीकरण

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महाराष्ट्र में दक्षिणपंथी संगठनों के एक वर्ग में गहरी आपत्ति के बावजूद, भाजपा ने अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ अपना गठबंधन जारी रखने का फैसला किया है. भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को नागपुर में आयोजित समन्वय बैठक में आरएसएस को इस फैसले से स्पष्ट रूप से अवगत कराया. – maharashtra elections update

बता दें, पिछले दो महीनों में फडणवीस ने नागपुर और मुंबई में तीन बार आरएसएस नेताओं के साथ चुनाव और राजनीति पर चर्चा की है. – maharashtra elections update

आधिकारिक तौर पर, भाजपा ने कहा है कि वह 2024 का विधानसभा चुनाव सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के हिस्से के रूप में लड़ेगी, जिसमें भाजपा, एनसीपी और सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना शामिल है. – maharashtra elections update

लेकिन भाजपा ने गठबंधन की चुनावी तैयारियों में नेतृत्व की भूमिका निभाई है और पार्टी की राज्य कोर कमेटी ने रविवार को मुंबई में एक बैठक के बाद सीट बंटवारे पर सभी फैसले लेने की जिम्मेदारी फडनवीस को सौंप दी है. ऐसे में अब फडनवीस को ही गठबंधन के सहयोगियों के साथ बातचीत तय करके सीटों का बंटवारा तय करना है और उनके साथ सहमति बनानी है. – maharashtra elections update

सहयोगियों के साथ बातचीत करके सीटों का बंटवारा होगी असली चुनौती

गठबंधन के साथ, भाजपा के लिए अगली चुनौती अक्टूबर-नवंबर में होने वाले महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के चुनावों के लिए अपने सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत करना है. इसके पूर्व लंबे समय तक सहयोगी रहने के बाद, अविभाजित शिवसेना और भाजपा, अपनी समान हिंदुत्व विचारधारा के साथ, आपसी सहमति से सीटों के बंटवारे पर पहुंचे थे.

2019 के चुनावों में भाजपा-एनसीपी के बीच 54 सीटों पर था सीधा मुकाबला

भाजपा और एनसीपी, जो अब सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, ये दोनों दल पारंपरिक रूप से एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं. 2019 के विधानसभा चुनावों में, वे पूरे महाराष्ट्र में 54 विधानसभा सीटों पर सीधे मुकाबले में थे. इन 54 सीटों में से भाजपा ने 30 और अविभाजित एनसीपी ने 24 सीटें जीती थी. जुलाई 2023 में एनसीपी में विभाजन के बाद, इनमें से 18 एनसीपी विधायकों ने अजित पवार और छह ने शरद पवार के गुट के प्रति अपनी वफादारी का संकल्प लिया. 

एनसीपी करेगी हार्ड बार्गेनिंग

8 अगस्त से राज्यव्यापी यात्रा पर निकले अजित पवार ने यह साफ कर दिया है कि एनसीपी हार्ड बार्गेनिंग करेगी. आम तौर पर पार्टियां मौजूदा विधायकों की सीटें बरकरार रखती हैं. बाकी सीटों पर दूसरे फैक्टर्स भी काम करते हैं. 

क्या कहते हैं भाजपा के चुनावी रणनीतिकार…?

महायुति के सहयोगियों के पास मौजूदा सदन में 187 विधायक हैं. बाकी 101 विधानसभा सीटों के लिए, सहयोगियों को अपनी-अपनी हिस्सेदारी के लिए सख्त बातचीत करनी होगी. भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों का कहना है कि कोशिश यह होगी हर पार्टी अपनी मौजूदा सीट बरकरार रखे. जिन निर्वाचन क्षेत्रों में कोई पार्टी दूसरे स्थान पर है, उन पर विचार किया जाएगा. तीसरा, संगठनात्मक आधार के साथ-साथ जीतने की क्षमता सीट बंटवारे के फॉर्मूले को निर्धारित करने के लिए मानदंड होगी.

2019 में भाजपा को मिली थीं 105 सीटें

2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 105 सीटें जीती थी और कुल वोट शेयर 25.75% था. अविभाजित शिवसेना, जो उस समय भाजपा की चुनाव-पूर्व सहयोगी थी, उसने 16.41% वोट शेयर के साथ 56 सीटें जीती थी.

अविभाजित एनसीपी का वोट शेयर रहा 16.71 फीसदी

अविभाजित एनसीपी का वोट शेयर 16.71% था और वह 54 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. जबकि उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस को 15.97% वोट हासिल हुए थे और 44 सीटों पर जीत मिली थी.  एनसीपी के विभाजन के बाद, 42 विधायक अजित पवार के साथ चले गए, जिससे शरद पवार के गुट में सिर्फ 12 विधायक रह गए.

लोकसभा चुनावों के नतीजे महायुति के फेवर में नहीं

इसी साल हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के नतीजे मौजूदा सरकार और गठबंधन के फेवर में नहीं रहे हैं. एनसीपी और एकनाथ शिंदे से बेहतर एनसीपी शरद पवार गुट और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने कहीं महायुति से बेहतर किया. कुल मिलाकर लोकसभा चुनावों के नतीजों की बात करें तो विधानसभा चुनावों में महायुति को बहुमत मिलने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं.

शिवसेना (UBT) और एनसीपी शरद पवार गुट हैं काफी एग्रेसिव

शरद पवार गुट और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट चुनावों को लेकर बहुत गंभीर नजर आ रहे हैं. दोनों ही दलों के शीर्ष नेता राज्य और केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं. उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों ही नेता अमित शाह को निशाने पर लिए. उद्धव ठाकरे ने भाजपा के हिंदुत्व को ही झूठा बता दिया और शरद पवार ने तो अमित शाह को ऐसे शब्दों से नवाजा जिसकी शायद कभी वो कल्पना नहीं किए होंगे. 

फिलहाल कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति नहीं

लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति थी, लेकिन अच्छे नतीजे आने की वजह से अब वह स्थिति नहीं दिखाई दे रही है. साथ ही राहुल गांधी के पदयात्राओं ने कांग्रेस में जोश भर दिया है. इसके अलावा कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें मिलने से उसे नेता प्रतिपक्ष का भी पद मिल गया है, तो लोकसभा में राहुल गांधी को अब अपनी बात रखने और आम जन का मुद्दा उठाने के लिए ज्यादा समय मिल रहा है. 

शिवसेना (UBT) को सहानुभूति की आस

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे राज्यभर में यह साबित कर दिए हैं कि उनके साथ कुछेक लोगों ने मिलकर धोखा किया है और वही असली शिवसेना है. उनके साथ भाजपा की राज्य इकाई के कुछ नेता और केंद्र सरकार के नेताओं ने मिलकर पार्टी को तोड़ने का काम किया. जिससे उन्हें सहानुभूति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. 

गौरतलब है कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के बीच बात बन जाने पर एकजुटता दिखाने में कामयाबी मिल सकती है. लेकिन, बात नहीं बनने की स्थिति में अजित पवार ने जो हाल ही में बयान दिया है कि बहन के सामने पत्नी को चुनाव लड़ाकर गलती कर दी है. इससे यह साफ हो रहा है कि भाजपा के साथ बात नहीं बनने पर वो फिर से पवार साहब के साथ जाने से गुरेज नहीं करेंगे. अब यह पवार साहब पर है कि वे अजित पवार पर कितना भरोसा कर पाएंगे. पवार साहब के पास राजनीति का कई दशकों का अनुभव है और उनके किसी को पहचानने की भूल करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.  
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