मोदी कैबिनेट का हुआ गठन-Lok Sabha Final Updates
अब कौन बनेगा लोकसभा अध्यक्ष?
क्या ओम बिड़ला को फिर मिलेगा मौका?
या गठबंधन की मजबूरी से किसी और को मिलेगा पद?
डी पुरंदेश्वरी के नाम की सबसे अधिक चर्चा
बीजेपी की आंध्रप्रदेश अध्यक्ष हैं डी. पुरंदेश्वरी
स्पीकर नहीं तो बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं बिड़ला
I.N.D.I.A ब्लॉक TDP के स्पीकर को सपोर्ट करेगा-Lok Sabha Final Updates
नई सरकार का गठन हो चुका है… मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी हो गया है और सभी अपने-अपने काम में लग चुके हैं.. लेकिन अभी भी एक अहम पद खाली है.. जिसके लिए कई समीकरण देखे जा रहे हैं… वो पद है लोकसभा स्पीकर का.. जिसे लेकर कई नामों की चर्चा हो रही है… आज के इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि स्पीकर का पद किसे मिल सकता है.. -Lok Sabha Final Updates
नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR NEWS …..लोकसभा के अंक गणित और सत्ता-विपक्ष के बीच जारी खींचतान को देखते हुए स्पीकर का पद इस बार अहम हो गया है.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार दो बड़े घटक दल TDP और जदयू भी इस होड़ में शामिल दिख रहे हैं.. TDP नेता एन चंद्रबाबू नायडू और जदयू नेता नीतीश कुमार को लगता है कि अगर उनकी पार्टी में तोड़फोड़ की कोशिश होगी तो स्पीकर पद उस समय जीवन बीमा होगा.. I.N.D.I.A ब्लॉक ने भी कहा है कि स्पीकर पद TDP के पास जाता है, तो वे समर्थन देने तैयार है..-Lok Sabha Final Updates
हालांकि, मोदी के दूसरे कार्यकाल में स्पीकर रहे कोटा सांसद ओम बिड़ला फिर दावेदारी में आगे हैं.. उनके कैबिनेट मंत्री न बनने से अटकलें और जोर पकड़ चुकी हैं.. इसी बीच बीजेपी की आंध्र प्रदेश अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी का नाम भी उछला है.. पुरंदेश्वरी चंद्रबाबू नायडू की साली हैं.. उन्होंने नायडू का उस वक्त समर्थन किया था, जब उनकी अपने ससुर एनटी रामाराव का तख्ता पलट करने पर आलोचना हो रही थी.. ऐसे में उन्हें स्पीकर बनाया जाता है, तो नायडू पर सॉफ्ट प्रेशर रहेगा.. उनकी पार्टी पुरंदेश्वरी का विरोध नहीं कर पाएगी…वहीं पुरंदेश्वरी कम्मा समुदाय से हैं.. चंद्रबाबू नायडू भी इसी समुदाय के हैं..
आंध्र प्रदेश की राजनीति में यह प्रभावशाली समुदाय है.. कम्मा समुदाय को TDP का ट्रेडिशनल वोटर माना जाता है.. साफ है कि डी पुरंदेश्वरी के बहाने बीजेपी नायडू की पार्टी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है.. वहीं पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में पिछले कार्यकाल में लोकसभा अध्यक्ष रहे ओम बिरला को जगह नहीं दी गई है.. माना जा रहा था कि स्पीकर का कार्यकाल पूरा करने के बाद बिरला को कैबिनेट में जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं होने से अब उनके भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं..
सूत्रों के मुताबिक बिरला के लिए बड़ी भूमिका वाले रास्ते अभी भी खुले हुए हैं…मोदी मंत्रिमंडल के गठन के बाद अब यह संभावना बनी है कि ओम बिरला एक बार फिर लोकसभा अध्यक्ष बनेंगे.. बिरला मोदी और शाह के नजदीकी माने जाते हैं और स्पीकर के संवैधानिक पद पर रहते हुए उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जो अपने आप में रिकॉर्ड हैं.. अपनी कार्यशैली के कारण बीजेपी सहित विरोधी दलों में भी उनकी अच्छी पैठ है.. बीजेपी इस बार पूर्ण बहुमत में नहीं है, इसलिए मोदी-शाह भी अपने विश्वासपात्र को ही लोकसभा अध्यक्ष बनाना चाहेंगे.
इस चॉइस में भी बिरला खरे उतरते हैं.. हालांकि, बीजेपी का पूर्ण बहुमत में न आना ही उनके अध्यक्ष बनने में रोड़ा भी साबित हो सकता है, क्योंकि सहयोगी दल स्पीकर पद की मांग कर रहे हैं..इसके साथ ही अगर बिरला दूसरी बार फिर लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाते हैं और वे इस पद पर अपना दूसरा कार्यकाल भी पूरा कर लेते हैं, तो उनके नाम एक रिकॉर्ड और दर्ज हो सकता है.. साढ़े तीन दशक पहले लगातार दो बार चुने जाने और कार्यकाल पूरा करने वाले बलराम जाखड़ एक मात्र लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं.. जीएम बालयोगी, पीए संगमा जैसे नेता दो बार लोकसभा अध्यक्ष तो बने, लेकिन पूरे 5-5 साल के कार्यकाल पूरे नहीं किए.
बलराम जाखड़ ने साल 1980 से 1985 और 1985 से 1989 तक अपने दोनों कार्यकाल पूरे किए.. गठबंधन की मजबूरियों के कारण यदि लोकसभा अध्यक्ष का पद सहयोगी दलों के पास जाता है तो इस स्थिति में ओम बिरला का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी दौड़ में है.. इस पद के लिए राजस्थान से ही भूपेंद्र यादव का नाम भी चला था, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दे दी गई है.. अब माना जा रहा है कि यदि बिरला लोकसभा अध्यक्ष नहीं बन सके, तो मोदी-शाह के नजदीकी होने के कारण उन्हें BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद दिया जा सकता है..
BJP सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के संभावित नामों में बिरला का भी नाम है, लेकिन इस मामले में एक अड़चन भी है.. वो ये कि महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं.. BJP चुनावी फायदा लेने के लिए इन राज्यों में से किसी एक राज्य के नेता का नाम अध्यक्ष पद के लिए चुन सकती है.. हालांकि अब तक लोकसभा अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म होने के तत्काल बाद पार्टी अध्यक्ष का पद किसी को नहीं दिया गया है..वहीं राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष पद पर नए नाम को लेकर भी चर्चा तेज है.. जब पिछले साल विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने भजनलाल शर्मा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित किया था, तभी से प्रदेश अध्यक्ष बदलने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं.. कारण केवल एक ही है कि CM और प्रदेश अध्यक्ष दोनों ही ब्राह्मण हैं.. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को इस पद पर एक साल होने वाला है और वे दूसरी बार चित्तौड़गढ़ से सांसद बने हैं..
बिरला के प्रदेश अध्यक्ष बनने में भी एक अड़चन है। राजस्थान में जाट और राजपूत समाज एक बड़ा वोट बैंक है, जो वोटिंग के दौरान एक तरफा तौर पर एकजुट हो जाता है.. इस लोकसभा चुनाव के दौरान प्रतिनिधित्व और टिकट कटने सहित अन्य कारणों के कारण जाट समाज BJP से नाराज रहा.. जाट समाज को साधने के लिए भागीरथ चौधरी को केंद्र में मंत्री बना दिया गया है.. इधर, राजपूत समाज के लिए कहा जा रहा है कि वो नाराजगी के कारण उतनी तादाद में वोट डालने के लिए निकला ही नहीं, जैसे पहले निकला करता था.. इसका नुकसान BJP को 11 सीट गंवा कर भुगतना पड़ा..ऐसे में माना जा रहा है कि राजनीतिक फायदा उठाने के लिए BJP जाट समाज या राजपूत समाज से प्रदेश अध्यक्ष चुन सकती है..
बिरला वैश्य समाज से आते हैं.. लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद कोई नेता पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बना हो, ऐसा भी कभी नहीं हुआ… आपको बता दें कि संसद में पिछले साल 13 दिसंबर को युवाओं के अचानक घुसने से हंगामा मच गया था..
इन युवाओं की घुसपैठ के चलते विपक्षी दलों ने लोकसभा की सुरक्षा में चूक के आरोप लगाए थे. बिरला का तर्क था कि इसे सुरक्षा में चूक नहीं माना जाए. खराब व्यवहार के कारण बिरला ने पूरे सत्र के लिए 13 विपक्षी सांसदों के निलंबन कर दिया था.. उन्होंने कहा था कि इस कार्यवाही को 13 दिसंबर की घुसपैठ की घटना से जोड़कर नहीं देखा जाए..यानि बिड़ला सख्त भी हैं और मोदी-शाह के करीबी भी.. अगर गठबंधन की अड़चलन नहीं आई तो ओम बिड़ला फिर से लोकसभा अध्यक्ष बन सकते हैं.. नहीं तो पुरंदेश्वरी का नाम लगभग तय माना जा रहा है.. ऐसी ही सियासी खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ..नमस्कार
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