लोकसभा के साथ 4 राज्यों में विधानसभा चुनावों का भी ऐलान..  देखिए क्या है समीकरण

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4 राज्यों में विधानसभा चुनावों का भी ऐलान-lok sabha elections latest update

आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में विधासनभा चुनाव

अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी एक फेज में 19 अप्रैल को मतदान

ओडिशा में 13 मई, 20 मई, 25 मई और एक जून को वोट डाले जाएंगे

lok sabha elections की काउंटिंग के साथ 4 जून को रिजल्ट

चुनाव आयोग ने 16 मार्च को lok sabha elections के साथ चार राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया..अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी एक फेज में 19 अप्रैल को मतदान होगा। आंध्र प्रदेश में 13 मई को एक फेज में वोटिंग होगी। ओडिशा में चार चरणों में 13 मई, 20 मई, 25 मई और एक जून को वोट डाले जाएंगे…-lok sabha elections latest update

इनके अलावा गुजरात की 5, यूपी की 4, हरियाणा, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु की 1-1 विधानसभा सीट पर उपचुनाव होगा। यहां उस क्षेत्र में होने वाले lok sabha elections के साथ ही नोटिफिकेशन जारी होगा और वोटिंग होगी।सभी राज्यों में काउंटिंग lok sabha elections की काउंटिंग के साथ 4 जून को होगी..ओडिशा की 147, सिक्किम की 32, अरुणाचल प्रदेश की 60 और आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे। ओडिशा में बीजू जनता दल (BJD) की सरकार है।–lok sabha elections latest update

यहां भाजपा सीधे मुकाबले में है। नवीन पटनायक यहां साल 2000 से मुख्यमंत्री हैं.. वहीं आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के नेता जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री हैं.. यहां पूर्व मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी, अभिनेता पवन कल्याण की जनसेना और भाजपा गठबंधन एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं..अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है।

2019 में पार्टी ने यहां 60 में से 42 सीटें जीती थीं। इसके अलावा सिक्किम में प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) की सरकार है। यहां भाजपा गठबंधन की सरकार में शामिल है..वहीं आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 और विधानसभा की 175 सीटें हैं.. दोनों के चुनाव एक साथ होंगे। 5 साल से जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में राज्य में YSRCP की सरकार है। विपक्ष की भूमिका में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) है, जिसका नेतृत्व चंद्रबाबू नायडू कर रहे हैं। वे तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं…आंध्र प्रदेश में TDP, भाजपा और जन सेना पार्टी (JSP) मिलकर चुनाव लड़ेंगी। जन सेना पार्टी 175 सीटों में से 21 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

भाजपा 10 सीटों, जबकि TDP 144 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पीथापुरम सीट में इस बार कड़ा मुकाबला होने वाला है। इस सीट से साउथ एक्टर और JSP प्रमुख पवन कल्याण और फिल्म डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा आमने-सामने होंगे… अब बताते हैं कि आंध्रा में बीजेपी की क्या स्थिति है.. तो साल 2004 और 2009 के lok sabha elections में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी.. 2014 में भाजपा ने TDP के साथ मिलकर चुनाव लड़ा.. इस चुनाव में भाजपा के 3 सांसद और 9 विधायक जीतकर आए।

2019 में TDP ने भाजपा से नाता तोड़ लिया। इससे दोनों पार्टियों को नुकसान हुआ। TDP तीन सीट पर आ गई और भाजपा खाता भी नहीं खोल सकी।ओडिशा में लोकसभा की 21 और विधानसभा की 147 सीटें हैं। नवीन पटनायक के नेतृत्व में राज्य में बीजू जनता दल की सरकार है। नवीन पटनायक 5 मार्च 2000 से लगातार मुख्यमंत्री हैं। वो देश के दूसरे सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता बन गए हैं।

वे 24 साल से लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। अब उनसे आगे सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग हैं, जो 24 साल 166 दिन तक CM पद पर रहे.. वहीं ओडिशा में भाजपा और BJD के गठबंधन के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पाई. दोनों का गठबंधन 11 साल पहले टूटा था.. भाजपा और BJD तीन lok sabha elections- 1998, 1999 और 2004 और दो विधानसभा चुनाव- 2000 और 2004 में एक साथ उतरी थीं.. उस समय BJD, NDA की सबसे भरोसेमंद पार्टी मानी जाती थी.

.हालांकि 2009 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी। इसके कारण करीब 11 साल का गठबंधन टूट गया था। BJD चाहती थी कि भाजपा विधानसभा चुनाव में 163 सीटों में से 40 पर चुनाव लड़े, जबकि भाजपा 63 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती थी…वहीं अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनने और दल-बदल की जबरदस्त कहानी रही है.

2016 में भाजपा ने दो सरकारों को अस्थिर किया.. सबसे पहले 2016 में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल को समर्थन देकर कांग्रेस की नबाम तुकी सरकार को गिराया और कालिखो पुल की सरकार बनाई.. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा..जुलाई 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत कालिखो पुल की सरकार को बर्खास्त कर राज्य में फिर से कांग्रेस की सरकार को बहाल किया था.. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नबाम तुकी की जगह पेमा खांडू को नया CM बनाया..

16 सितंबर 2016 को CM पेमा खांडू के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल के 43 विधायक कांग्रेस से भाजपा की सहयोगी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए। पांचवे दिन यानी 21 दिसंबर को एक हाई ऑक्टेन ड्रामा में खांडू समेत 7 विधायकों को पीपुल्स पार्टी अध्यक्ष ने निलंबित कर दिया…दिसंबर 2016 में खांडू ने पीपुल्स पार्टी के 43 विधायकों में से 33 के भाजपा में शामिल होने के साथ सदन में बहुमत साबित कर दिया.. भाजपा के पहले से ही 11 विधायक थे और उसने दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से आंकड़ा 46 कर लिया..

2003 में 44 दिनों की गेगोंग अपांग के नेतृत्व वाली सरकार के बाद वह अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के दूसरे मुख्यमंत्री बने.. वहीं अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के 4 विधायक थे, जिनमें से चुनाव से ऐन पहले 3 विधायक भाजपा में शामिल हो गए.. पूर्व CM नबाम तुकी कांग्रेस के इकलौते विधायक और प्रदेश अध्यक्ष थे। नबाम ने भी 9 मार्च को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.. इधर, भाजपा ने सभी 60 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है.. मुख्यमंत्री पेमा खांडू मुक्तो सीट से चुनाव लड़ेंगे..

पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले तीन पूर्व कांग्रेसी नेताओं को भी टिकट दिया है.. सिक्किम में लोकसभा की 1 और विधानसभा की 32 सीटें हैं… प्रेम सिंह तमांग उर्फ पीएस गोले के नेतृत्व में राज्य में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार है। 1994 से लेकर 2019 तक राज्य में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार रही…पार्टी के चीफ पवन चामलिंग लगातार 24 साल 166 दिन तक सीएम पद पर रहे.. हालांकि 2019 विधानसभा चुनाव में SKM को 17 सीटें मिली थीं, वहीं चामलिंग की पार्टी को 15 सीटें ही मिली थीं…

सिक्किम में 2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थीं.. 13 अगस्त 2019 को पवन चामलिंग की पार्टी SDF के एक साथ 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए.. ऐसे में SDF के पास केवल 5 विधायक ही बचे.. राज्य में भाजपा और सिक्किम क्रांतिरी मोर्चा का गठबंधन है…

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