एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR और नेशनल इलेक्शन वॉच ने हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव 2024 में विजयी उम्मीदवारों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण में कई अहम तथ्यों का खुलासा हुआ है, जो भारतीय राजनीति में धनबल और बाहुबल के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं। आज के इस वीडियो में हम इन तथ्यों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि आखिरकार क्या कारण हैं जिनसे यह स्थिति उत्पन्न हुई है। हम इस घटना का इतिहास, वर्तमान और भविष्य पर इसके प्रभावों का भी मूल्यांकन करेंगे। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। -Lok Sabha Elections 2024 update
लोकसभा चुनाव 2024 में करोड़पति विजेता उम्मीदवारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2009 के लोकसभा चुनावों में जीते 543 सांसदों में से 315 यानी लगभग 58% सांसद करोड़पति थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में 543 विजयी उम्मीदवारों में से 504 यानि 93% करोड़पति हैं। इस परिवर्तन से यह स्पष्ट होता है कि पिछले 15 वर्षों में भारतीय राजनीति में धनबल का प्रभाव काफी बढ़ गया है। -Lok Sabha Elections 2024 update
बाकि 2024 के लोकसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि देखने को मिली, लेकिन विजयी महिलाओं की संख्या में गिरावट आई। इस साल 74 महिला उम्मीदवार विजयी हुईं, जो 2019 के मुकाबले कम है, जब 77 महिलाएं संसद में पहुंची थीं।
वही घोषित गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में जीतने वाले 170 लगभग 31% उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 2009 के बाद से यह संख्या 124% बढ़ी है।
इसी कड़ी में विजेता उम्मीदवारों की शिक्षा के मामले में, 420 विजेता उम्मीदवारों ने स्नातक और उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता होने की घोषणा की है। आयु के मामले में, 280 विजेता उम्मीदवारों ने अपनी आयु 41 से 60 वर्ष के बीच घोषित की है।
आपको बता दे कि भारतीय राजनीति में धनबल और बाहुबल का प्रभाव नया नहीं है। 1970 और 1980 के दशक से ही यह प्रवृत्ति शुरू हुई थी, जब धन और बाहुबल का उपयोग चुनाव जीतने के लिए किया जाने लगा। हालांकि, 2009 के बाद से इसमें तेजी आई है।-Lok Sabha Elections 2024 update
वर्तमान में, करोड़पति और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि से भारतीय राजनीति की स्थिति चिंताजनक हो गई है। यह प्रवृत्ति लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा है, क्योंकि यह नैतिकता और योग्यता को पीछे छोड़ देता है।
भविष्य में, अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता है। धनबल और बाहुबल का बढ़ता प्रभाव राजनीतिक प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को कम कर सकता है।
वैसे अतीत में भी ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं, जहां धनबल और बाहुबल का उपयोग चुनाव जीतने के लिए किया गया है। इन घटनाओं ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के बीच एक नई प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है, जो नैतिकता और सिद्धांतों की उपेक्षा करती है।-Lok Sabha Elections 2024 update
राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की भूमिका इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रही है। दल अक्सर धनवान और बाहुबली उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि वे चुनाव जीतने में अधिक सक्षम माने जाते हैं।
तो इस तरह लोकसभा चुनाव 2024 का विश्लेषण भारतीय राजनीति में धनबल और बाहुबल के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह प्रवृत्ति लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए गंभीर चुनौती है और इससे निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
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