भारत के आगामी Lok Sabha Elections 2024 के लिए राजनीतिक दलों के बीच सीट-शेयरिंग का मुद्दा गर्माता जा रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस टीएमसी दोनों आमने सामने है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनके बहुत करीब हैं। गांधी का यह बयान उस समय आया, जब कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी पर सीट-शेयरिंग के मुद्दे पर तंज कसा था। गांधी ने कहा कि हमारे नेताओं के कुछ टिप्पणियों का कोई मतलब नहीं है और टीएमसी के साथ सीट-शेयरिंग की बातचीत चल रही है। गांधी ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित किया था। इसके पहले, चौधरी ने ममता बनर्जी को “अवसरवादी” कहकर आक्रमण किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ममता की मदद के बिना लोकसभा चुनाव लड़ेगी। चौधरी का यह बयान उस समय आया, जब खबरें सामने आईं कि टीएमसी आगामी संसदीय चुनाव में पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।
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कांग्रेस और टीएमसी के बीच सीट-शेयरिंग का विवाद राजनीतिक गणित के अलावा व्यक्तिगत रिश्तों को भी प्रभावित कर रहा है। राहुल गांधी और ममता बनर्जी के बीच का रिश्ता अतीत में काफी अच्छा रहा है। दोनों ने कई बार एक-दूसरे का समर्थन किया है और विभिन्न मुद्दों पर एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ आवाज उठाई है। लेकिन, अब जब दोनों पार्टियों के बीच सीट-शेयरिंग की बातचीत अटक गई है, तो इन दोनों नेताओं के बीच का रिश्ता भी तनावपूर्ण हो गया है। कांग्रेस के अनुसार, टीएमसी ने कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में सिर्फ दो सीटें देने का प्रस्ताव दिया है, जो कांग्रेस के लिए स्वीकार्य नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि वे अपनी ताकत पर लड़ना चाहते हैं और ममता की दया की जरूरत नहीं है। वहीं, टीएमसी का कहना है कि कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर लड़ना चाहिए और पश्चिम बंगाल में टीएमसी को अकेले लड़ने देना चाहिए।
ऐसे में भारत के आगामी Lok Sabha Elections 2024 में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का टूटना अब तय मन जा रहा है। कांग्रेस और टीएमसी के बीच अनबन से इन दोनों दलों के बीच का सहयोग खत्म हो सकता है। इससे भाजपा को फायदा हो सकता है, क्योंकि वह अपने विरोधियों को बांटकर राजनीतिक लाभ उठा सकती है। भाजपा को पश्चिम बंगाल में टीएमसी के खिलाफ एक विकल्प के रूप में खुद को प्रस्तुत करने का मौका मिल सकता है। वहीं, बिहार में भाजपा नीतीश कुमार के साथ अपना गठबंधन बनाए रखने का प्रयास कर सकती है।
जिस तरीके से ये टकराव बढ़ रहा है इसे देखते हुए इतना ही कहा जा सकता है की सीट-शेयरिंग के विवाद को सुलझाने के लिए दोनों दलों को एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। दोनों दलों को राष्ट्रहित को प्राथमिकता देना होगा। दोनों दलों को अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए एक समझौता करना होगा। दोनों दलों को अपनी ताकत और कमजोरी को स्वीकार करना होगा। दोनों दलों को एक दूसरे को उचित सीटों का हिस्सा देना होगा। दोनों दलों को एक दूसरे के उम्मीदवारों का समर्थन करना होगा।
सीट-शेयरिंग के विवाद का परिणाम भारत की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है। इसलिए, दोनों दलों को इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करना चाहिए। इससे विपक्षी गठबंधन का एकता बना रहेगा और भारत की लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी।
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