Landmark Verdict by Allahabad High Court: Marital Rape Not a Crime, AIRR News Special

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Landmark Verdict by Allahabad High Court: Marital Rape Not a Crime, AIRR News Special

Allahabad उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला: वैवाहिक बलात्कार अपराध नहीं, एआईआरआर न्यूज विशेष

क्या 18 वर्ष से अधिक आयु पत्नी के साथ योन संबंध भारतीय दण्ड संहिता के तहत वैवाहिक बलात्कार है ?

जानिए आज की इस वीडियो में ..

वैवाहिक बलात्कार का मतलब है कि जब एक पति अपनी पत्नी के साथ उसकी इच्छा के बिना यौन संबंध बनाता है, तो वह उसका बलात्कार करता है। यह एक गंभीर अपराध है, जो पत्नी के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे पत्नी को अपने आत्मसम्मान, आत्मादर और आत्माभिव्यक्ति का हक छीन जाता है।

आपको बता दे कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध के रूप में मान्यता देने के लिए कई याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं आया है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 375 के अनुसार, एक पति को अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने का अधिकार है, जब तक कि पत्नी नाबालिग न हो। इसका मतलब है कि एक पति अपनी पत्नी के साथ बलात्कार कर सकता है, और उसके लिए कोई दंड नहीं है।

दूसरी तरफ वे लोग भी है जो इस बात का विरोध करते हैं कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध के रूप में मान्यता देने से विवाह की पवित्रता और संस्कृति का अपमान होगा। वे कहते हैं कि विवाह में यौन संबंध के लिए सहमति का मतलब नहीं है कि पत्नी कभी भी ना कह सकती है। वे कहते हैं कि वैवाहिक बलात्कार के आरोपों का दुरुपयोग किया जा सकता है, और इससे परिवार का तोड़-फोड़ हो सकता है।

इस बात का समर्थन करने वाले लोग कहते हैं कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध के रूप में मान्यता देने से पत्नी के अधिकारों और गरिमा का सम्मान होगा। वे कहते हैं कि “बलात्कार” बलात्कार है, चाहे वह किसी भी संबंध में हो। वे कहते हैं कि वैवाहिक बलात्कार के आरोपों को सत्यापित करने के लिए उचित प्रक्रिया और सबूत होने चाहिए, और इससे विवाह की पवित्रता और संस्कृति का कोई असर नहीं पड़ेगा।

ऐसे में Allahabad हाईकोर्ट के एक फैसले से वैवाहिक बलात्कार के मुद्दे पर एक नयी बहस शुरू हो गई है, जिसमें कुछ लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसे आलोचना कर रहे हैं। 

आपको बता दे कि इस फैसले का अनुसरण करते हुए, कुछ ऐसे ही अन्य मामलो में कोर्ट ने कई को केस खारिज कर दिए हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2017 में एक पति को अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक बलात्कार के आरोप से बरी किया था, और कहा था कि “विवाहित महिला के साथ बलात्कार का कोई अस्तित्व नहीं है”।

वहीं, कुछ न्यायाधीशों ने भी वैवाहिक बलात्कार को अपराध के रूप में मानने की जरूरत को जताया है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने 2019 में एक पति को अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक बलात्कार के आरोप में दोषी पाया था, और कहा था कि “विवाह का मतलब यह नहीं है कि पति अपनी पत्नी के साथ जब चाहे यौन संबंध बना सकता है”।

इस प्रकार, वैवाहिक बलात्कार के मामले में भारत में एक कानूनी अस्पष्टता है, जिसको सुलझाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का इंतजार है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सर्वोच्च न्यायालय वैवाहिक बलात्कार को कैसे परिभाषित करता है, और इसके लिए कौन से दंड और प्रक्रिया निर्धारित करता है।

धन्यवाद् 

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