क्या हैं वे 5 सवाल, आइए जानते हैं।– Kolkata doctor-murder case
( 1 ) पहला प्रश्न: अस्पताल पर हमला करने वाले लोग कौन थे?
( 2 ) दूसरा प्रश्न: यह भीड़ कहां से उत्पन्न हुई?
( 3 ) तीसरा प्रश्न: पुलिस चुप क्यों है?
( 4 ) चौथा प्रश्न: रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का क्या बयान है?
( 5 ) पांचवां प्रश्न: मुख्यमंत्री का प्रदर्शन किसके विरुद्ध है?
ये वे 5 प्रश्न हैं जिनके बारे में जानना आपके लिए आवश्यक है।
पहले हमें यह समझना होगा कि यह पूरा चक्र कहाँ से प्रारंभ हुआ है।
14 और 15 अगस्त की मध्यरात्रि को महिला संगठनों और नागरिक समाज से जुड़े व्यक्तियों ने ‘रीक्लेम द नाइट’ के नारे के साथ महिलाओं को सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित किया था।
इस स्थिति में आरजी कर अस्पताल में चल रहे चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शन के दौरान मंच महिला छात्रों को सौंप दिया गया।
डॉक्टर विशाखा भी मंच पर उपस्थित थीं। बीबीसी के साथ बातचीत में, उन्होंने उस रात की स्थिति का वर्णन किया, जब एक अज्ञात समूह ने धरनास्थल पर आक्रमण किया। देर रात को व्यापक तोड़फोड़ की गई।
विशाखा कहती हैं, “हमें श्यामबाज़ार के क्षेत्र में जाना था, जहाँ कोलकाता के सभी डॉक्टर, विशेषकर महिला डॉक्टर, रात को एकत्रित होने वाले थे और मोमबत्तियों के साथ मार्च करने वाले थे।”-Kolkata doctor-murder case
हम मंच पर उपस्थित थे जब अस्पताल के मुख्य द्वार के बाहर कुछ लोग इकट्ठा होने लगे। धीरे-धीरे, भीड़ बढ़ती गई और अधिक लोग वहां जमा होने लगे। हमारे सहयोगियों ने सभी महिला डॉक्टरों से मंच छोड़ने का अनुरोध किया।
उन्होंने बताया कि मंच पर उपस्थित सभी छात्राएं अचानक अपने-अपने हॉस्टलों की ओर दौड़ गईं। तभी उन्हें हंगामे और तोड़फोड़ की आवाजें सुनाई देने लगीं।
इस घटना के पश्चात कई प्रश्न उत्पन्न हो रहे हैं, जिनके उत्तर अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। आइए, उन पांच महत्वपूर्ण प्रश्नों पर ध्यान दें।
आइए अब हम ऊपर दिए गए प्रश्न पर ध्यान केंद्रित करें और उनके बारे में समझें।
( 1 ) पहला प्रश्न: अस्पताल पर हमला करने वाले लोग कौन थे?
विशाखा उस भयावह अनुभव को याद करते हुए कहती हैं, “हम अस्पताल के एक सुरक्षित क्षेत्र में स्थित हॉल में प्रवेश कर गए और अपने आप को अंदर से बंद कर लिया। हमने वहाँ जो भी वस्तुएं देखीं, उन्हें दरवाज़े के पास रख दिया ताकि कोई उसे तोड़ न सके।”
विशाखा के अनुसार उस समय सभी लोग अत्यंत भयभीत थे।
हमारे अस्पताल में एक सहयोगी को जो कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं, वह आप सभी के लिए ज्ञात हैं। इस दौरान, हम पूरी रात जागते रहे और सुबह होने पर ही बाहर निकल सके।
इस प्रकरण में कोलकाता पुलिस ने अब तक 19 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये लोग कौन थे और धरने के स्थल पर आने का उनका उद्देश्य क्या था। इस संबंध में कई प्रश्नों के उत्तर अभी भी प्राप्त नहीं हुए हैं।
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, 12 व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया गया है और वे टाला थाना की हिरासत में हैं। इसके अतिरिक्त, पुलिस इस मामले में और कोई जानकारी प्रदान नहीं कर रही है।
देर रात तक इस मामले में 12 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन शुक्रवार सुबह कोलकाता पुलिस ने एक ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी कि अब तक 19 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कोलकाता पुलिस के अनुसार, इनमें से पांच व्यक्तियों की पहचान सोशल मीडिया पर प्राप्त फीडबैक के आधार पर की गई है।-Kolkata doctor-murder case
पुलिस ने यह अनुरोध किया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी संदिग्ध को पहचानता है, तो कृपया इसकी सूचना प्रदान करें।
( 2 ) दूसरा प्रश्न: यह भीड़ कहां से उत्पन्न हुई?-Kolkata doctor-murder case
इस घटना से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि कोलकाता पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई कर रही है। पुलिस अब तक यह स्पष्ट करने में असफल रही है कि उन लोगों की पहचान क्या है, जो हमले के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, यह स्पष्ट नहीं है कि हमला करने वाली भीड़ कहाँ से आई थी और इस भीड़ में शामिल व्यक्तियों की पहचान क्या है।
इस उन्मादी भीड़ ने लाठी-डंडों के साथ न केवल प्रदर्शन स्थल को नष्ट किया, बल्कि वहाँ रखी कुर्सियों को भी तोड़ दिया। भीड़ का आक्रमण यहीं समाप्त नहीं हुआ, बल्कि इसके बाद अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड को भी अपने निशाने पर लिया गया, जिसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। अस्पताल के चिकित्सकों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह सब एक घंटे से अधिक समय तक चलता रहा। इस दौरान, वहाँ तैनात पुलिसकर्मियों के साथ भीड़ की झड़प हुई, जिसने अस्पताल के मुख्य द्वार पर स्थित बैरिकेड को भी तोड़ दिया। इन झड़पों में कुछ छात्रों और पुलिसकर्मियों को चोटें आईं, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े। गुरुवार को अपने कार्यालय के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस झड़प में 15 से अधिक पुलिसकर्मी और अधिकारी घायल हुए हैं, जिनमें एक डीसीपी रैंक का अधिकारी भी शामिल है।
( 3 ) तीसरा प्रश्न: पुलिस चुप क्यों है?
अस्पताल में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी से बातचीत करते हुए यह बताया कि पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। उन्होंने कहा,
“अस्पताल के मुख्य द्वार पर स्थित कुछ सीसीटीवी कैमरे भी क्षतिग्रस्त हो गए थे। हालांकि, जो कैमरे कार्यरत थे, उनकी सहायता से कुछ व्यक्तियों की पहचान की गई है। इनमें से 12 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।” लेकिन ये व्यक्ति कौन हैं
और किस संगठन या राजनीतिक दल से जुड़े हैं, इस बारे में उन्होंने जानकारी देने से मना कर दिया। पुलिस का कहना है कि जल्द ही और भी गिरफ्तारियां की जाएंगी। अचानक इतनी बड़ी भीड़ कहाँ से आई,
इस पर पुलिस ने भी कोई स्पष्टता नहीं दी है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ के आने के बारे में विभिन्न दावे किए जा रहे हैं।
कुछ स्थानीय व्यापारी बताते हैं कि ये लोग ट्रकों पर सवार होकर आए, जबकि अस्पताल के एक कर्मचारी का कहना था कि ये सभी आसपास के निवासी हैं।
( 4 ) चौथा प्रश्न: रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का क्या बयान है?
अस्पताल के रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि जब भीड़ अस्पताल में पहुंची, उस समय सुरक्षाकर्मियों की संख्या बहुत कम थी, जिससे वे आसानी से अंदर घुस गए। घटना के अगले दिन, यानी बृहस्पतिवार को, अस्पताल में सैकड़ों हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया, जिससे यह एक छावनी में बदल गया। इसके साथ ही कई आईपीएस अधिकारियों की भी तैनाती की गई है। रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉक्टर हसन मुश्ताक़ बताते हैं कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने सोचा कि जो भीड़ मुख्य गेट के सामने इकट्ठा हो रही है, वह उनके आंदोलन के समर्थन में है, क्योंकि वे ‘हमें इंसाफ़ चाहिए’ के नारे लगा रहे थे। उन्होंने कहा, “लगभग एक से डेढ़ घंटे तक भीड़ मुख्य गेट के सामने रही, लेकिन पुलिस ने उस समय हस्तक्षेप नहीं किया, जिसके कारण हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।”
( 5 ) पांचवां प्रश्न: मुख्यमंत्री का प्रदर्शन किसके विरुद्ध है?
पश्चिम बंगाल में हुई इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। हालांकि, अब तक इसके समर्थन में कोई ठोस प्रमाण नहीं पेश किया गया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भीड़ बीजेपी और वाम दलों के समर्थकों की थी।
वहीं, विधानसभा में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि भीड़ में शामिल लोग तृणमूल कांग्रेस के ‘गुंडे’ थे।
इस मुद्दे पर शुक्रवार को सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर फॉर इंडिया ने 12 घंटे के बंद का आह्वान किया, जिसे भारतीय जनता पार्टी ने भी समर्थन दिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ‘घटना के विरोध’ में कोलकाता में शुक्रवार को रैली निकाली। हालांकि, वह स्वयं राज्य की मुखिया हैं और कोलकाता की घटना को लेकर उनके प्रशासन से सबसे अधिक सवाल उठाए जा रहे हैं।
कुल मिलाकर, पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है और आने वाले दिनों में यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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