इन दिनों हरियाणा कांग्रेस में कुछ ठीक नहीं चल रहा है.. कुछ ही महीनों में हरियाणा में लोकसभा चुनाव होने हैं लेकिन कांग्रेस में उथल-पुथल मची हुई है.. अंदरूनी कलह फिर निकल कर सामने आ रही है.. कांग्रेस के नेता हाथ छोड़कर जा रहे हैं.. इस बार कांग्रेस की दिग्गज नेता किरण चौधरी ने कांग्रेस को टाटा-बाया बोल दिया… कौन हैं वो नेता और उन्होंने कांग्रेस का दामन क्यों छोड़ा, आज के वीडियो में हम बताएंगे कि किरण चौधरी के जाने से कांग्रेस को कितना नुकसान होगा.. –Kiran Chaudhary political news
नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR NEWS… लोकसभा चुनाव नतीजे आए अभी 15 दिन ही हुए हैं कि हरियाणा में कांग्रेस को बड़ा झटका लग गया है… कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है और अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल हो गई हैं. किरण चौधरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल की पुत्रवधु हैं. किरण की बेटी श्रुति पूर्व सांसद हैं और पार्टी छोड़ने तक हरियाणा कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष भी थीं. किरण चौधरी,Kumari Selja और रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ एसआरके गुट का भी हिस्सा थीं जो हरियाणा में कांग्रेस का पर्याय बन चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनौती देता आया है… –Kiran Chaudhary political news
वहीं आपको बता दें कि कांग्रेस हरियाणा की सत्ता से पिछले दो चुनाव से दूर है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हरियाणा की एक भी सीट नहीं जीत सकी थी… पार्टी इस बार सूबे की 10 में से पांच सीटें जीतने में सफल रही. लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद 10 साल बाद सूबे की सत्ता में वापसी की आस लगाए कांग्रेस के लिए, किरण का पार्टी छोड़ जाना बड़ा झटका माना जा रहा है. इससे अक्टूबर-नवंबर महीने तक होने वाले हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के अभियान पर कितना असर पड़ेगा, बात इसे लेकर भी हो रही है…-Kiran Chaudhary political news
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस में पहले जो भगदड़ की स्थिति देखी गई है, उसकी एक वजह ये भी थी कि नेताओं में इसे लेकर विश्वास का अभाव था कि वो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत सकते हैं. हालिया आम चुनाव के बाद तस्वीर बदली है, खासकर हरियाणा में. ऐसे में नहीं लगता कि किरण चौधरी के जाने से कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो सकता है. फिर भी, अब कांग्रेस नेतृत्व को चाहिए कि वो Kumari Selja और रणदीप सिंह सुरजेवाला से संवाद करे, ये भरोसा दिलाए कि उन्हें हाशिए पर नहीं जाने दिया जाएगा. साथ ही नेतृत्व को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सूबे में पार्टी के सबसे बड़े चेहरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी हताश और निराश ना हों.. अब आपको बताते हैं कि किरण चौधरी ने कांग्रेस क्यों छोड़ी?.. –Kiran Chaudhary political news
किरण के कांग्रेस छोड़ने की वजह को लेकर बात करने से पहले हरियाणा कांग्रेस की चर्चा जरूरी है. हरियाणा में दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस का पर्याय बन चुके हैं तो वहीं एक दूसरा गुट हैKumari Selja और रणदीप सिंह सुरजेवाला का, जिसमें किरण चौधरी भी थीं और इसे एसआरके गुट भी कहा जाता था. लोकसभा चुनाव में किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी भी कांग्रेस से टिकट की दावेदार थीं… श्रुति महेंद्रगढ़-भिवानी लोकसभा सीट से 2009 में सांसद रही हैं. 2014 और 2019 में भी वह इस सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार थीं लेकिन दोनों बार चुनाव हार गई थीं. कांग्रेस ने इस बार श्रुति की जगह विधायक राव दान सिंह को मैदान में उतारा था. बेटी को टिकट नहीं मिलने से किरण नाराज थीं ही,
हुड्डा के करीबी को उम्मीदवार बनाए जाने से इसे और हवा मिल गई. कांग्रेस अध्यक्ष को भेजे अपने इस्तीफे में किरण ने कहा भी है- हरियाणा में पार्टी व्यक्तिगत जागीर बन गई है जिसमें हमारे जैसी ईमानदार आवाजों के लिए कोई जगह नहीं बची है.. ऐसे वो कांग्रेस में नहीं रह सकती और इसलिए इस्तीफा दे रही हैं…अब सवाल ये है कि हुड्डा के बढ़ते कद की वजह से किरण ने कांग्रेस से किनारा किया..
दरअसल किरण चौधरी 40 साल से कांग्रेस में थीं. हुड्डा को दबदबे के दौर में भी Kumari Selja और रणदीप सिंह हुड्डा के साथ चुनौती देती आईं किरण के पार्टी छोड़ने की वजह बस बेटी को टिकट नहीं मिलने की वजह से पनपी नाराजगी ही है? बात इसे लेकर भी हो रही है. कहा जा रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस नेतृत्व जाट-दलित को साथ लाकर वोटों का नया समीकरण गढ़ने की रणनीति पर काम कर रहा है. पार्टी के पास हुड्डा जैसा बड़ा जाट चेहरा पहले से ही है, मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद Kumari Selja को यह भरोसा दिलाया है कि नेतृत्व उनके साथ अन्याय नहीं होने देगा. किरण भी जाट समाज से आती हैं, ऐसे में जाट पॉलिटिक्स की पिच पर हुड्डा के सामने पार्टी में उनको उतनी तरजीह मिलती नजर नहीं आई… इसके उलट, बीजेपी जाट पॉलिटिक्स की पिच पर हरियाणा में उतनी मजबूत नहीं है.
लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर बीजेपी की हार के पीछे भी जाट और किसान की नाराजगी के चर्चे हैं. जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन भी टूट चुका है, ऐसे में बीजेपी को एक बड़े जाट चेहरे की जरूरत थी और किरण चौधरी को तरजीह की. विशेषज्ञों का कहना है कि जब कोई पार्टी किसी राज्य में लंबे समय तक सत्ता से बाहर रहती है और फिर जब उसकी सत्ता में वापसी की उम्मीद जगती है, क्षत्रपों की यह महत्वाकांक्षा होती है कि पार्टी उन्हें प्रोजेक्ट करे. ये स्वाभाविक है. अब यह कांग्रेस नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह इस तरह की चीजों को कैसे मैनेज करता है.
.एक पहलू ये भी है कि लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण पर हुड्डा की छाप साफ नजर आई. चुनाव नतीजे आने के बाद हुड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें Kumari Selja को छोड़कर हरियाणा से जीते कांग्रेस के चारों सांसद मौजूद थे… हुड्डा की इस पीसी को ये संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखा गया कि हरियाणा में कांग्रेस का मतलब हुड्डा ही हैं.Kumari Selja ने पांच सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की हार को लेकर नाम लिए बिना हुड्डा को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा भी था-
कांग्रेस मैं और मेरा की राजनीति से हारी.. कुल मिलाकर हरियाणा कांग्रेस में कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसे में कांग्रेस के सामने विधानसभा चुनाव में खुद को एकजुट करने की बड़ी चुनौती है… ऐसी ही सियासी खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ….
हरियाणा कांग्रेस में खलबली
किरण चौधरी ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा
बेटी बेटी श्रुति चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल
हुड्डा से तल्खी भी है कांग्रेस छोड़ने की वजह
इस्तीफे में बताई इस्तीफे की सच्चाई
TAGS
#kiran choudhary, #shruti chaudhary, #kiran choudhary join bjp, #congress leader kiran chaudhary, #selja, #hudda, #haryana bjp#airrnews