Kharmas 2024 why bhishma pitamah wait to end kharmas for death

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Kharmas 2024: खरमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं. ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु और मीन में भ्रमण करते हैं तो इनका तेज मद्धम पड़ जाता है. इस समय आत्मा, ऊर्जा और शक्ति के कारक सूर्य की स्थिति कमजोर होने से उनके शुभ प्रभावों में भी कमी आ जाती है.

वहीं कहते हैं कि खरमास में मृत्यु होना भी शुभ नहीं माना जाता, महाभारत के युद्ध में खरमास के दौरान भीष्म पितामहा 58 दिनों तक बाणों की शैया पर लेटे रहे. उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, फिर भी उन्होंने प्राण नहीं त्यागे, आइए जानते हैं क्यों भीष्म पितामह ने खरमास में प्राण क्यों नहीं त्यागे, इसका क्या महत्व है.

मृत्यु के लिए भीष्म पितामह ने खरमास खत्म होने का इंतजार क्यों किया

150 साल के भीष्म बाणों की शैया पर पूरे खरमास 58 दिनों तक कष्ट सहते रहे थे. आइए, जानते हैं भीष्म ने खरमास में प्राण क्यों नहीं त्यागे थे.

कुरुक्षेत्र के युद्ध में भीष्म पितामह अजेय थे. उनकी शक्ति से पांडव चिंतित थे. सिर्फ श्रीकृष्ण को भीष्म की मृत्यु का रहस्य पता था. इसके लिए उन्होंने शिखंडी को आगे किया. श्रीकृष्ण जानते थे कि भीष्म, शिखंडी पर शस्त्र नहीं उठाएंगे, क्योंकि भीष्म सिर्फ पुरुषों से युद्ध करते थे और शिखंडी में स्त्री और पुरुष दोनों के तत्व विद्यमान थे.

कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर भीष्म को युद्ध के 10वें दिन अर्जुन और शिखंडी ने मिलकर अनेकों बाणों से घायल किया था. तीरों की शैय्या पर भीष्म 58 दिनों तक लेटकर अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा करते रहे. हालांकि भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान था लेकिन फिर भी उन्होंने कष्ट सहा और खरमास खत्म होने का इंतजार किया.

दरअसल खरमास में सूर्य दक्षिणायन (सूर्य की दक्षिण दिशा की ओर गति) होते हैं,  धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिस व्यक्ति की मृत्यु दक्षिणायन में होती है उसे मरने के बाद नर्क की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि असहनीय पीड़ा के बाद भी भीष्म पितामह ने प्राण त्यागने के लिए खरमास खत्म होने का इंतजार किया.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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