Unprecedented Step by Kerala Government Against President and Governor in Supreme Court:| AIRR News

HomeBlogUnprecedented Step by Kerala Government Against President and Governor in Supreme Court:|...

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

Kerala Government का राष्ट्रपति और राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व कदम, Kerala Government ने बिना किसी स्पष्टीकरण के बिलों पर असहमति जताने वाले राष्ट्रपति और राज्यपाल के खिलाफ उठाया बड़ा कदम।-Kerala Government Against President and Governor

क्या आप जानते हैं कि एक राज्य सरकार और राष्ट्रपति के बीच कानूनी लड़ाई कैसे आकार ले सकती है? क्या राज्यपाल की भूमिका सिर्फ एक औपचारिकता है, या उनके पास वास्तविक शक्ति है? आज हम इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढेंगे, जब हम Kerala Government के उस अभूतपूर्व कदम की पड़ताल करेंगे, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति और राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-Kerala Government Against President and Governor

Kerala Government ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति और राज्यपाल के कार्यों को ‘मनमाना’ और ‘असंवैधानिक’ करार दिया है। राज्यपाल द्वारा दो वर्षों तक सात बिलों को लंबित रखने और फिर उन्हें राष्ट्रपति के पास भेजने, और राष्ट्रपति द्वारा चार बिलों को बिना किसी कारण बताए अस्वीकार करने के कार्यों को उन्होंने अनुचित ठहराया है।

इस घटनाक्रम की शुरुआत, वर्तमान स्थिति और भविष्य पर प्रभाव को समझने के लिए हमें भारतीय संविधान की गहराई में जाना होगा। अनुच्छेद 200 और 201 के तहत राज्यपाल को बिलों पर अपनी सहमति देने या उन्हें राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार है, लेकिन इसमें ‘यथाशीघ्र’ कार्रवाई करने की भी बात कही गई है। Kerala Government का आरोप है कि राज्यपाल ने इस अनुच्छेद की भावना का उल्लंघन किया है।

इस घटनाक्रम की आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक समीक्षा से पता चलता है कि यह सिर्फ केरल की समस्या नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की एक बड़ी चुनौती है। राज्यपाल की भूमिका और उनके अधिकारों की सीमाओं को लेकर बहस नई नहीं है, लेकिन Kerala Government के इस कदम ने इस चर्चा को एक नई दिशा दी है।

Kerala Government की याचिका में उल्लेखित बिलों की प्रकृति और उनके महत्व को समझना जरूरी है। इन बिलों में से कुछ जनहित से जुड़े हुए हैं, जिनका उद्देश्य राज्य के नागरिकों के जीवन में सुधार लाना है। इन बिलों को लंबित रखने का अर्थ है जनता के हितों को नजरअंदाज करना। इससे यह सवाल उठता है कि क्या राज्यपाल की भूमिका केवल एक औपचारिकता है या उनके पास वास्तविक शक्ति है जिसका उपयोग वे राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए कर सकते हैं?

इसके अलावा, राज्यपाल द्वारा मीडिया के सामने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री की आलोचना करने के कार्य भी चिंताजनक हैं। यह उनकी संवैधानिक भूमिका के विपरीत है और इससे उनकी निष्पक्षता पर प्रश्न उठते हैं।

यदि सुप्रीम कोर्ट Kerala Government की याचिका को स्वीकार करता है, तो इसका भारतीय लोकतंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह न केवल राज्यपाल की भूमिका को परिभाषित करेगा, बल्कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच संबंधों को भी नया आयाम देगा। इससे राज्यों की स्वायत्तता और उनके विधायी अधिकारों की रक्षा हो सकती है।

इस विवाद से यह स्पष्ट होता है कि संविधान में निहित शक्तियों का संतुलन और उनके उपयोग की प्रक्रिया को लेकर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है। यह मामला न सिर्फ केरल के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है कि क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच की शक्तियों का उपयोग सही ढंग से हो रहा है?

अगली वीडियो में हम इसी विषय पर और गहराई से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या परिवर्तन आ सकते हैं। क्या यह फैसला राज्यपाल की भूमिका को सीमित करेगा या उन्हें अधिक जवाबदेह बनाएगा? क्या इससे राज्य सरकारों को अपने विधायी कार्यों को बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी? इन सवालों के जवाब हम अगली वीडियो में तलाशेंगे।

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

Extra 👍

Kerala Government, राष्ट्रपति, राज्यपाल, सुप्रीम कोर्ट, अभूतपूर्व कदम, राजनीतिक बदला, INDIA ब्लॉक, मजबूत, चाल, AIRR न्यूज़,Kerala Government, President, Governor, Supreme Court, Unprecedented Step, Political Retaliation, INDIA Block, Strengthen, Strategy, AIRR News

RATE NOW
wpChatIcon