आज हम दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की हाल ही में हुई गिरफ्तारी पर चर्चा करेंगे, जिसे उन्होंने “अवैध” और “लोकतंत्र के मूल्यों पर हमला” बताया है। लेकिन क्या सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी वास्तव में “अवैध” और “लोकतंत्र के मूल्यों पर अभूतपूर्व हमला” थी?-Kejriwal Arrest update
क्या ईडी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है, खासकर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए?
क्या दिल्ली आबकारी नीति घोटाला एक वास्तविक मुद्दा है, या यह केवल केजरीवाल और AAP को बदनाम करने का एक राजनीतिक चाल है?
क्या ईडी के तर्क, कि केजरीवाल एक “मुख्य साजिशकर्ता” हैं, पर्याप्त सबूतों द्वारा समर्थित हैं?
और क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी का उनकी पार्टी के चुनावी अभियान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है?
जानेगे सब कुछ बस बने रहिये हमारे साथ।
नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
ईडी के अधिकारियों ने शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में 21 मार्च को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal ने इसे “अवैध गिरफ्तारी” करार दिया। केजरीवाल ने तर्क दिया कि उनकी गिरफ्तारी उनके निजी अधिकारों का उल्लंघन करती है और लोकतंत्र का मूलरूप कमज़ोर करती है। उनका आरोप है कि यह गिरफ्तारी केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए एक व्यवस्थित चाल है।-Kejriwal Arrest update
ईडी ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि गिरफ्तारी सबूत और कानूनी आधार पर की गई है। ईडी ने केजरीवाल के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उनकी गिरफ्तारी का समय उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार करने से रोकने के लिए था। ईडी ने कहा कि केजरीवाल ने जांच से लगभग छह महीने तक परहेज किया और एजेंसी के नौ समन को नजरअंदाज किया।-Kejriwal Arrest update
केजरीवाल ने अपने जवाबी हलफनामे में ईडी पर उनकी गिरफ्तारी के समय और तरीके पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी अपने पीएमएलए शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है और चुनावी प्रक्रिया से पहले उन्हें गलत तरीके से निशाना बना रही है। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी गिरफ्तारी चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करेगी और सत्तारूढ़ पार्टी को अनुचित लाभ देगी।
केजरीवाल ने अपने हलफनामे में दिल्ली सरकार में शराब नीति निर्माण में अपनी भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं जो उन्हें किसी आपराधिक गतिविधि या अवैध धन से जोड़ते हों। उन्होंने गवाहों को डराने-धमकाने के आरोपों से भी इनकार किया और कहा कि ईडी की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है।-Kejriwal Arrest update
आपको बता दे कि दिल्ली आबकारी नीति को भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और नीति निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बाद वापस ले लिया गया था। इसके बाद ईडी ने मामले की जांच शुरू की और कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें केजरीवाल, दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और BRS विधायक के कविता शामिल हैं। जबकि AAP के सांसद संजय सिंह को हाल ही में जमानत पर रिहा किया गया था, लेकिन AAP विधायक सत्येंद्र जैन इस मामले में अलग से जेल में हैं।
बाकि इसे केजरीवाल और AAP ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित और उनकी पार्टी को बदनाम करने के उद्देश्य से बताया है।
वैसे दिल्ली आबकारी नीति घोटाला 2021-22 के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा लागू की गई नई शराब नीति से संबंधित एक भ्रष्टाचार घोटाला है। इस नीति का उद्देश्य दिल्ली में शराब की बिक्री को व्यवस्थित करना और शराब माफिया के प्रभाव को कम करना था।
हालाँकि, इस नीति की शुरुआत से ही इसकी आलोचना की गई और कई लोगों ने आरोप लगाया कि नीति फायदे पहुंचाने वाली कंपनियों को अनुचित लाभ देने के लिए डिज़ाइन की गई थी। नीति में कई अनियमितताएं भी पाई गईं, जैसे लाइसेंसधारियों के लिए निविदा शर्तों में बदलाव और लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के लिए नियमों में संशोधन।
2022 में, दिल्ली के उपराज्यपाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को मामले की जांच करने का आदेश दिया। सीबीआई ने मामले में कई छापे मारे और कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और शराब कारोबारी समीर महेंद्रू शामिल हैं।
इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की। ईडी ने भी मामले में कई छापे मारे और कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal भी शामिल हैं।
बाकी केजरीवाल की गिरफ्तारी व्यापक रूप से एक राजनीतिक कदम के रूप में देखी जा रही है, जिसमें ईडी का उपयोग सरकार के राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा रहा है। हालाँकि, ईडी ने अपने कार्यों का बचाव करते हुए कहा है कि गिरफ्तारी निष्पक्ष जांच के हिस्से के रूप में की गई है।
इस मामले की सच्चाई जो भी हो, यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति ने खतरनाक मोड़ ले लिया है। सत्तारूढ़ दल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ अपने अधिकार का उपयोग कर रहा है, और मीडिया भी केंद्र सरकार के करीब से जुड़ गया है। इसका भारतीय लोकतंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, जहां लोगों को मुखर होने और विरोध करने से डरने लग रहा है।
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