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भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय आया है जहां पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हैं, यह दावा करते हुए कि वर्तमान शासन पिछले शक्तिशाली नेताओं की तुलना में प्रभावहीन है। इस रिपोर्ट में हम उनके विचारों, उन तथ्यों और घटनाओं का विश्लेषण करेंगे जो उनकी दलीलों का समर्थन करती हैं, और उन विचारों के निहितार्थों की जांच करेंगे। तो, नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-Kangana Ranaut political news
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक स्तर और घरेलू प्रतिष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वह जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी के मुकाबले बहुत पीछे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि बीजेपी के “अबकी बार, 400 पार” के नारे का कोई आधार नहीं है।-Kangana Ranaut political news
सिन्हा के अनुसार, बीजेपी लगातार दो चुनावों में हिंदी पट्टी जैसे राज्यों में वोटों की ऊपरी सीमा को छू चुकी है, जहां पार्टी की मजबूत उपस्थिति है। उनका मानना है कि “बीजेपी के साथ अब कुछ हद तक ऊब हो गई है” और “10 साल बाद आप बासी हो जाते हैं। और आप कोई भी नया वादा नहीं कर सकते… उनका लोगों पर कोई असर नहीं होगा।”
आपको बता दे कि उनका कहना ऐसे ही नहीं है बल्कि उनके इस ब्यान का आधार पुरानी घटनाओ और सर्वेक्षणों पर आधारित है जैसे 2022 में C-Voter Survey द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 41% उत्तरदाताओं का मानना था कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंच पर एक प्रभावी नेता हैं, जबकि 29% का मानना था कि वे प्रभावहीन हैं। यह सर्वेक्षण उस समय किया गया था जब भारत G20 की अध्यक्षता कर रहा था।
वही 2020 के नवभारत टाइम्स-मोरिंग कंसल्ट पोल में पाया गया कि 57% उत्तरदाताओं का मानना था कि नरेंद्र मोदी मौजूदा हालात से निपटने में विफल रहे थे। इस सर्वेक्षण को कोविड-19 महामारी की शुरुआत के दौरान किया गया था।
इसके अलावा 2019 के चुनावों में, बीजेपी ने लोकसभा की 543 सीटों में से 303 सीटें जीतीं, जो 2014 में जीती गई 303 सीटों के बराबर थी। हालाँकि, पार्टी का वोट शेयर 37.46% से घटकर 37.36% हो गया।
यशवंत सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के बीच तुलना करते हुए कहा कि “वैश्विक स्तर पर मोदी की कोई तुलना अटल बिहारी वाजपेयी से नहीं की जा सकती, इंदिरा गांधी से उनकी कोई तुलना नहीं की जा सकती, जवाहरलाल नेहरू से उनकी कोई तुलना नहीं की जा सकती, लेकिन उन्हें माना जाता है भारत का अब तक का सबसे महान प्रधान मंत्री।”
उन्होंने यह भी कहा कि वाजपेयी मोदी से बहुत अलग थे। उनका कहना है कि “वाजपेयी एक अलग तरह के व्यक्ति थे, और जिस समय हमने साथ काम किया, “ऐसा एक भी अवसर नहीं था जहां उन्होंने सांप्रदायिक ज्वालाएं भड़काने का सहारा लिया हो।”
आगे उन्होंने भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता और बेरोजगारी पर भी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि मोदी सरकार “पर्यावरण की कीमत पर आर्थिक विकास पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करती है।”
वह चुनाव आयोग और प्रवर्तन निदेशालय जैसी जांच एजेंसियों के कामकाज की भी आलोचना करते हैं। उनका आरोप है कि ये एजेंसियां विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं।
आपको बता दे कि पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार के प्रदर्शन पर कई आरोप लगाए हैं। आइए इन आरोपों का तथ्यों और पिछली घटनाओं के संदर्भ में विस्तृत विश्लेषण करें।
जैसे कि सिन्हा का दावा है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा, वैश्विक स्तर पर जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे पिछले नेताओं की तुलना में कम है।
इसके विपरीत 2023 गैलप इंटरनेशनल इंडेक्स के अनुसार, नरेंद्र मोदी को दुनिया के 10 सबसे प्रशंसित नेताओं में शुमार किया गया है।
वही 2022 में, मोदी 30 विश्व नेताओं में से “शीर्ष 10 सर्वश्रेष्ठ” के रूप में स्थान पाने वाले एकमात्र एशियाई नेता थे, जो यूगोव-कैम्ब्रिज ग्लोबल लीडरशिप पोल के अनुसार था।
हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सर्वेक्षण प्रतिष्ठा के केवल एक पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं, और अन्य कारक भी हैं जो वैश्विक नेता के रूप में एक व्यक्ति की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकते हैं।
सिन्हा ने यह भी तर्क दिया है कि प्रधान मंत्री मोदी की घरेलू प्रतिष्ठा पिछले प्रधानमंत्रियों की तुलना में कम है।
लेकिन 2023 मॉर्निंग कंसल्ट पोल के अनुसार, 72% भारतीय नरेंद्र मोदी के कार्य प्रदर्शन को स्वीकार करते हैं।
वही 2022 प्यू रिसर्च सेंटर पोल में पाया गया कि 63% भारतीयों का मानना है कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।
हालाँकि, यहाँ भी यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सर्वेक्षण केवल एक समय बिंदु पर जनता की राय का प्रतिनिधित्व करते हैं, और समय के साथ जनता की धारणा बदल सकती है।
आगे जैसा कि सिन्हा ने बीजेपी के “अबकी बार, 400 पार” के नारे की आलोचना की है, जिसमें कहा गया है कि पार्टी लगातार दो चुनावों में वोटों की ऊपरी सीमा तक पहुंच चुकी है। इसका विश्लेषण करते हुए हम देखते है कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में लोकसभा की 543 सीटों में से 303 सीटें जीतीं, जो 2014 में जीती गई 282 सीटों से अधिक थी। वही पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनावों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में जीत हासिल की।
हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बीजेपी की कुछ राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में उपस्थिति कमजोर रही है।
वही अगर बात करे भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और पर्यावरणीय क्षरण पर भी प्रधान मंत्री मोदी और बीजेपी सरकार की तो सिन्हा ने इसपर भी आलोचना की है।
क्योंकि भारत में आर्थिक असमानता में पिछले कुछ दशकों में वृद्धि हुई है, जैसा कि विश्व बैंक की रिपोर्ट से पता चलता है। वही सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार बेरोजगारी दर भी हाल के वर्षों में बढ़ी है।
साथ ही भारत का पर्यावरण प्रदर्शन भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और वनों की कटाई शामिल है।
वैसे ये सभी समान आरोप अतीत में भी प्रधानमंत्रियों पर लगाए गए हैं। उदाहरण के लिए, इंदिरा गांधी पर आपातकाल लागू करने और लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने का आरोप लगाया गया था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार पर बाबरी मस्जिद विध्वंस और 2002 के गुजरात दंगों से निपटने में विफल रहने का आरोप लगाया गया था।
तो इस तरह यशवंत सिन्हा के विचार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार के प्रदर्शन पर सवाल उठाते हैं। उनका तर्क है कि मोदी की तुलना पिछले महान नेताओं से नहीं की जा सकती है, और उनकी सरकार देश का सामना करने वाली आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने में विफल रही है। सिन्हा के विचारों का चुनावी परिदृश्य पर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि वह 2024 के लोकसभा चुनावों में सरकार बदलने का आह्वान कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि आपको हमारा ये वीडियो पसंद आया होगा और आपको इससे कुछ नया जानने का मौका मिला होगा। तो जुड़े रहिये हमारे साथ। नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।