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आज हम बात करेंगे एक ऐसे व्यक्ति की, जिसने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे Ram Mandir के अस्तित्व का पुरातात्विक सबूत ढूंढा था। वह हैं के के मुहम्मद, जो अर्चिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व अधिकारी हैं।
आज की खास वीडियो में हम उन्ही के हाल ही में हुए इंटरव्यू पर बात करेंगे।
हाल ही में के के मुहम्मद ने एक इंटरव्यू में अपने अनुभवों और विचारों को साझा किया है। उन्होंने बताया कि वे 1976 में प्रोफेसर बी बी लाल की टीम का हिस्सा थे, जो अयोध्या में बाबरी मस्जिद साइट की खुदाई करके साबित किया था, कि, वहां हिंदू मंदिर के स्तंभ, पूर्णकलश, और देवी-देवताओं की मूर्तियों को पाया था। उन्होंने कहा कि यह साबित करता है कि मस्जिद से पहले वहां एक मंदिर था।
के के मुहम्मद ने ये भी कहा कि उन्होंने अपने शोध को इंडियन आर्कियोलॉजिकल रिव्यू में प्रकाशित किया था, लेकिन वे इसे राजनीतिक रूप नहीं देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि यह एक शैक्षिक मुद्दा था, जिसे विवादों में न घसीटा जाए। उन्होंने ये भी कहा कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस उन्हें पुरातात्विक दृष्टि से चौंका दिया था, लेकिन वे इस बात से सहमत हैं कि मुस्लिमों को ग्यानवापी और मथुरा की मस्जिदें हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक भावनात्मक मुद्दा है, जिसमें दोनों पक्षों को आपसी समझौता करना होगा।
आपको बता दे कि, के के मुहम्मद ने राम मंदिर के उद्घाटन में कांग्रेस के न शामिल होने को एक बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर एक राष्ट्रीय मामला है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों को भाग लेना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि नरेंद्र मोदी के शासन काल में अर्चिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का अंधेरा दौर चल रहा है, जिसमें उनके शोध को नजरअंदाज किया जा रहा है।
यह था आज का खास वीडियो , जिसमें हमने आपको के के मुहम्मद के बारे में बताया। आशा है कि आपको यह वीडियो पसंद आया होगा। धन्यवाद।