“AIRR News: Jammu & Kashmir – From Political Controversy to a New Direction”-j&k political update

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क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति, जो पिछले कई दशकों से विवादों और संघर्षों का केंद्र रही है, अब एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 30 सितंबर से पहले कराए जाएंगे और इसके बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब राज्य में लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। इस घटनाक्रम ने न केवल जम्मू-कश्मीर की राजनीति को एक नई दिशा दी है बल्कि देशभर में एक नई बहस को जन्म दिया है। क्या यह बदलाव वाकई राज्य के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा? क्या इससे क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता आ पाएगी? आइए, इन सवालों का उत्तर खोजने के लिए इस घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी और विश्लेषण पर ध्यान दें।-j&k political update

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। -j&k political update

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं और अब अगला कदम राज्य में विधानसभा चुनाव कराना है, जो 30 सितंबर से पहले होंगे। इसके बाद राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। शाह ने बताया कि परिसीमन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और आरक्षण केवल परिसीमन के बाद ही प्रदान किया जा सकता है क्योंकि इसके लिए विभिन्न जातियों की स्थिति का निर्धारण आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर, 2023 को चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर, 2024 तक चुनाव कराए जाएं।-j&k political update

शाह ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में सफल चुनाव कराना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कश्मीर नीति की जीत है। उन्होंने बताया कि हालिया चुनावों में अलगाववादियों ने भी बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया और यह लोकतंत्र की बड़ी जीत है। उन्होंने आश्वासन दिया कि विधानसभा चुनाव 30 सितंबर से पहले कराए जाएंगे और इसके बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।

आपको बता दे कि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति लंबे समय से जटिल और विवादास्पद रही है। 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से यह मुद्दा और भी संवेदनशील हो गया है। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 30 सितंबर, 2024 से पहले कराए जाएंगे और इसके बाद राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। 

शाह ने बताया कि परिसीमन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जो कि आरक्षण के लिए आवश्यक है। परिसीमन के बाद ही विभिन्न जातियों की स्थिति का निर्धारण किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर, 2023 को चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर, 2024 तक चुनाव कराए जाएं।

लोकसभा चुनाव के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद, जम्मू-कश्मीर में एक नई राजनीतिक दिशा की ओर बढ़ने की संभावना है। शाह ने बताया कि इस बार के चुनाव में अलगाववादियों ने भी बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया, जो कि लोकतंत्र की बड़ी जीत है। यह दिखाता है कि मोदी सरकार की कश्मीर नीति ने राज्य में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है। 2019 में अनुच्छेद 370 के हटाने के बाद, राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। यह निर्णय अत्यधिक विवादास्पद था और इसके विरोध में व्यापक विरोध और हिंसा हुई थी। इस बीच, राज्य में चुनाव कराना और फिर से राज्य का दर्जा बहाल करना एक महत्वपूर्ण कदम है जो राज्य में स्थिरता और लोकतंत्र को मजबूत कर सकता है।

हालाँकि जम्मू-कश्मीर का इतिहास लंबे समय से विवादित रहा है। 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद, जम्मू-कश्मीर एक विवादास्पद क्षेत्र बन गया। 1947-48 के पहले भारत-पाक युद्ध के बाद, जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया, जिसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) कहा जाता है। इसके बाद कई दशकों तक राज्य में आतंकवाद और अलगाववादी आंदोलनों का बोलबाला रहा। 

1990 के दशक में, आतंकवाद ने राज्य में विकराल रूप धारण कर लिया और हजारों लोगों की जानें गईं। 2000 के दशक में, भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाए और स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित किया। 

2019 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया। इस कदम का उद्देश्य राज्य में शांति और विकास लाना था, लेकिन इसके विरोध में व्यापक विरोध और हिंसा हुई। 

ऐसे में जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना और फिर से राज्य का दर्जा बहाल करना राज्य में लोकतंत्र को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे राज्य में स्थिरता और विकास की संभावना बढ़ेगी। शाह के अनुसार, इस बार के चुनाव में अलगाववादियों ने भी बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया, जो कि लोकतंत्र की बड़ी जीत है। 

हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ हैं। राज्य में आतंकवाद का खतरा अभी भी बना हुआ है और विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों के बीच तनाव है। इसके अलावा, राज्य में आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों की कमी भी एक बड़ी चुनौती है।

जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति से जुड़े अन्य प्रमुख घटनाओं में 2008 का अमरनाथ भूमि विवाद, 2010 का पत्थरबाजी आंदोलन और 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन शामिल हैं। इन घटनाओं ने राज्य की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को और जटिल बना दिया है।

तो इस तरह जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना और फिर से राज्य का दर्जा बहाल करना एक महत्वपूर्ण कदम है जो राज्य में स्थिरता और लोकतंत्र को मजबूत कर सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ हैं और इसे सफल बनाने के लिए सरकार को विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों के साथ मिलकर काम करना होगा। 

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

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